वैदिक काल में बिहार
भारत में आर्यों ने सर्वप्रथम ‘सप्तसैंधव’ प्रदेश में बसना प्रारम्भ किया। सप्त सैंधव प्रदेश का विस्तार वर्तमान कश्मीर, पाकिस्तान और पंजाब केअधिकांश भागों में था, जहां सिंधु नदी एवं सिंधु की पांच सहायक नदियां – सतलज, व्यास, रावी, झेलम, चेनाब के अतिरिक्त इसी प्रदेश में बहने वाली सरस्वती नदी के सम्मिलित क्षेत्रको सप्तसैंधव प्रदेश कहा गया है।
- इस क्षेत्र में बहने वाली सात नदियों का उल्लेख हमें ऋग्वेद में मिलता है। बिहार के संदर्भ में प्रथम जानकारी शतपथ ब्राह्मण में मिलती है।
- पुराणों के अनुसार मगध का राजवंश वृहद्रथ वंश से प्रारंभ होता है।
- ‘ऋग्वेद’ में मगध क्षेत्र को कीकट प्रदेश (जिसका शासक परमांगद था) एवं इस क्षेत्र में निवास करने वाले लोगों को व्रात्य कहा गया है।
- वायुपुराण एवं पद्मपुराण में गया, राजगीर, पुनपुन आदि को पवित्र स्थानों की श्रेणी में रखा गया है, जबकि वाराहपुराण में कीकट को एक अपवित्र प्रदेश कहा गया है।
- मगधका सर्वप्रथम उल्लेख अथर्ववेद में मिलता है। मगध महाजनपद में वर्तमान पटना, नालंदा, गया, औरंगाबाद, जहानाबाद एवं नवादा जिलों के क्षेत्र शामिल थे।
- बिहार में वैदिक संस्कृति का प्रसार मुख्यतःउत्तर वैदिक काल में ही हुआ। इसी काल में बिहार का आर्यीकरण प्रारम्भ हुआ।
- आयों के विदेह क्षेत्र (मिथिलांचल) में बसने की चर्चा शतपथ ब्राह्मण में की गई है।इसमें विदेह माधव द्वारा अपने पुरोहित गौतम राहूगण के साथ अग्नि (वैश्वानर ) का पीछा करते हुए सरस्वती नदी से सदानीरा नदी (आधुनिक गंडक ) तक पहुँचने का वर्णन है।
- यजुर्वेद में सबसे पहले ‘विदेह राज्य’ का उल्लेख मिलताहै।
- वाल्मीकि रामायण में मलद और करुणा शब्दका उल्लेख बक्सर के लिए किया गया है जहाँ ताड़का राक्षसी का वध हुआथा।
बिहार और वैदिक संहिता (साहित्य)
- विश्व के सबसे प्राचीन माने जाने वाली कृति वेद संहिता है। ऋग्वेद, अथर्ववेद, यजुर्वेद तथा सामवेद में बिहार का उल्लेख मिलता है।
- वेदों की सहिता से रचित ब्राह्मणग्रन्थ (ऐतरेय, शतपथ तैत्तरीय आदि) हैं जिनसे बिम्बिसार के पूर्व की घटनाओं की जानकारी प्राप्त होती है।
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