लोक कथा
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- लोक कथाओं में हमें प्राय: देश, संस्कृति, जीवन के आदर्श और कल्पना की विस्तृत झांकी मिलती है।
- मानव समाज विभिन्न अवस्थाओं से गुजरता हुआ निम्नतर से ऊँची सभ्यता के स्तर पा सकता है।
- यहाँ तक पहुँचने में उसे जितनी मंजिलें पार करनी पड़ी है, उसकी स्पष्ट छाप लोक कथाओं में मिलती है।
- लोक कथाओं के उद्गम और विकास में भारत का बहुत बड़ा हाथ रहा है।
- इन्हें फैलाने में भारत के व्यापारियों तथा बौद्ध धर्म प्रचारकों का बहुत बड़ा हाथ रहा है।
- इस आदान-प्रदान में विदेशों से भी कुछ कथाएँ हमारे यहाँ आयीं और वे यहाँ इस प्रकार घुल-मिल गई कि आज उन्हें पहचानना भी कठिन है।
राज्य के प्रमुख कलाकार
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- विंध्यवासिनी देवी: ‘बिहार कोकिला’ के नाम से विश्व-विख्यात इस लोक संगीतकार ने बिहार के लोक गीतों को अंतर्राष्ट्रीय ख्याति अर्जित कराने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
- नंदलाल वसुः नंदलाल बसु भारत के एक प्रसिद्ध चित्रकार थे। इनका जन्म 3 दिसम्बर, 1882 को मुंगेर जिले के हवेली खड़गपुर में हुआ था। इनके द्वारा बनाया गया प्रसिद्ध चित्रों में हैं-डांडी मार्च, संथाली कन्या, सती का देह त्याग। इनके द्वारा संविधान की मूल प्रति का डिजाइन भी बनाया गया था।
- बिस्मिल्ला खांः देश-विदेश में विख्यात शहनाई वादक बिस्मिल्ला खां का जन्म 21 मार्च, 1916 में बिहार में बक्सर जिले के डुमरांव में हुआ था। ये शास्त्रीय संगीत गायन में अपने को बनारस घराने से सम्बद्ध कर लिए थे। इनको देश-विदेश में कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है। वर्ष 2001 में इन्हें भारत के सर्वोच्च नागरिक अलंकरण भारत रत्न‘ से सम्मानित किया गया।
- भिखारी ठाकुरः भिखारी ठाकुर भोजपुरी भाषी क्षेत्र में शेक्सपीयर के नाम से विख्यात हैं। ये अनपढ़ होते हुए भी भोजपुरी गीतों और नौटंकी के संवाद को बहुत ही प्रभावकारी ढंग से प्रस्तुत करने में महारत हासिल कर लिए थे। इनके द्वारा रचित ‘विदेशिया‘ राग आज भी काफी लोकप्रिय है। बिहार सरकार प्रतिवर्ष, भोजपुरी साहित्य के क्षेत्र में उल्लेखनीय भूमिका निभाने वाले साहित्यकारों को ‘भिखारी ठाकुर भोजपुरी सम्मान‘ से सम्मानित करती है।
- ईश्वरी प्रसाद वर्मा: श्री ईश्वरी प्रसाद वर्मा पटना कलम के प्रसिद्ध शिल्पकार थे। इन्हें हाथी दांत पर शिल्प करने में प्रवीणता प्राप्त थी।
- पं. रामचतुर मल्लिकः राज्य के दरभंगा जिले के अमताग्राम के निवासी पंडित रामचतुर मल्लिक ने ‘ध्रुपद धमार गायन’ में अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त की थी।
- पं. चन्द्रशेखर खांः राज्य के रोहतास जिले के सोलहनी ग्राम‘ निवासी इस महान गायक ने ‘ठुमरी‘ गायन की शिक्षा दिल्ली के महान संगीतकार उस्ताद अब्दुल गनी खां से ग्रहण की थी और मुंगेर के ‘प्रेम मंदिर‘ में संगीत का प्रचार-प्रसार करने लगे।
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