अपवाह तंत्र एवं सिंचाई
अपवाह तंत्र
किसी भी स्थान की अपवाह प्रणाली वहाँ के उच्चावच तथा भूमि की ढाल पर निर्भर करती है। बिहार के अपवाह तंत्र में अनेक छोटी-बड़ी नदियाँ हैं जो धरातलीय बनावट के अनुसार प्रवाहित होती हैं। बिहार में विद्यमान अपवाह तंत्र के अंतर्गत मुख्यतः नदियों, झीलों, आर्द्रभूमि, जलप्रपात तथा विभिन्न गर्म जलकुंडों को शामिल किया जाता है। इस अपवाह तंत्र के अंतर्गत विभिन्न नदियों से निकाली गई नहरों तथा नलकूपों, तालाबों एवं कुओं के माध्यम से संपूर्ण प्रदेश में सिंचाई की जाती है। बिहार में प्रवाहित होने वाली तीन नदियां घाघरा, गंडक तथा कर्मनाशा बिहार और उत्तर प्रदेश की सीमा बनाती हैं।
बिहार की नदियों का अपवाह तंत्र मुख्यतः जालीनुमा तथा वृक्षाकार प्रकार की है जो यहाँ के स्थलाकृतियों के प्रकार एवं संरचना के कारण है। यहाँ की नदियों को मुख्यतः दो भागों में विभाजित किया जा सकता है- 1. हिमालय से निकलने वाली नदियाँ और 2. पठार से निकलने वाली नदियाँ।
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हिमालय से निकलने वाली नदियाँ
- वे नदियाँ जो हिमालय पर्वत से निकलती है और उत्तरी मैदान में दक्षिण एवं दक्षिण-पूर्व की ओर बहती हुई गंगा नदी में मिल जाती है। इसके अंतर्गत गंगा, घाघरा (सरयू), गंडक, बूढ़ी गंडक, बागमती, कमला बालान, कोसी, महानन्दा इत्यादि नदियाँ सम्मिलित हैं।
- हिमालय से निकलने वाली नदियाँ बरसात के समय न केवल बाढ़ उत्पन्न करती है बल्कि कॉप एवं सिल्ट का भी जमाव करती है। ये नदियाँ मार्ग परिवर्तन भी करती है।
गंगा नदी
- गंगा नदी बिहार में पश्चिम से पूर्व की ओर प्रवाहित होती है जो लगभग बिहार प्रांत के मध्य भाग से प्रवाहित होती है। बिहार में गंगा नदी का अपवाह प्रतिरूप (Drainage Pattern) वृक्षाकार है।
- यह बिहार में बक्सर जिले के ‘चौसा’ नामक स्थान पर प्रवेश करती है तथा सारण व भोजपुर के मध्य सीमा बनाती हुई प्रवाहित होती है। गंगा नदी की कुल लम्बाई 2525 किमी. है जबकि बिहार में इसकी लम्बाई 445 किमी. है।
- गंगा में इसके बाएं अर्थात् उत्तरी ओर से घाघरा (सरयु ), गंडक, बुढ़ी गंडक, कोसी, बागमती, कमला बलान तथा महानंदा आकर मिलती हैं जबकि दायीं ओर अर्थात् दक्षिणी ओर से सोन, कर्मनाशा, पुनपुन, हरोहर, किऊल एवं फल्गु आदि नदियां आकार मिलती हैं।
- गंगा नदी का बिहार में ढ़ाल बहुत कम है इसलिए वर्षा के दिनों में बाढ़ की समस्या उत्पन्न करता गंगा नदी बिहार एवं झारखण्ड के साहेबगंज जिले के साथ सीमा रेखा बनाते हुए बंगाल में प्रवेश करती है। बिहार के 9 प्रमंडलों में से सिर्फ मगध एवं कोसी प्रमंडल में गंगा नदी प्रवाहित नहीं होती।
- बिहार में गंगा नदी बक्सर, भोजपुर, सारण, पटना, वैशाली, समस्तीपुर, बेगुसराय, खगड़िया, लखीसराय, मुंगेर, भागलपुर, कटिहार सहित कुल 12 जिलों से होकर प्रवाहित होती है।
गंगा में मिलने वाली प्रमुख नदियाँ
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नदियाँ
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संगम स्थल
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नदियाँ
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संगम स्थल
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1.
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सरयू (घाघरा)
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छपरा के निकट
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7.
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गंडक
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पहलेजा के निकट
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2.
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सोन
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दिघवारा के निकट
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8.
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कर्मनाशा
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चौसा के निकट
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3.
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फल्गु
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उरैन (मुंगेर) के निकट
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9.
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कमला
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काढ़ागोला के निकट
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4.
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कोसी
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कुरसेला के निकट
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10.
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बूढ़ी गंडक
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मुंगेर के निकट
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5.
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महानन्दा
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मनिहारी
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11.
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बागमती
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मुंगेर
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6.
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पुनपुन
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फतुहा (पटना)
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12.
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किऊल
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सूर्यगढ़ा
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घाघरा (सरयू)
- यह नदी गुरला मंधोता चोटी के पास मापचोचुंग हिमनद (नेपाल) से निकलती है तथा उत्तर प्रदेश के अयोध्या में सरयु के नाम से जानी जाती है। इसके पश्चात इसका नाम घाघरा हो जाता है। तीव्र प्रवाह के कारण इस नदी को घाघरा या घग्घड़ कहा जाता है ।।
- बिहार में सारण जिले के छपरा में गंगा नदी से मिल जाती है। ऊपरी भाग में इसे लखनदेई तथा मैदानी भाग में पहुंचकर पश्चिम की ओर करनाली तथा पूर्व की ओर शिखा कहलाती है। यह बिहार और उत्तर प्रदेश के मध्य सीमारेखा का निर्धारण करती है।
- इसकी कुल लम्बाई 1080 किमी. है जबकि बिहार में इसकी लम्बाई 83 किमी. है। इसका बिहार में जलग्रहण क्षेत्र 2995 वर्ग किमी है।
- इस नदी के अन्य नाम दिविका / देविका एवं रामप्रिया है। उत्तर प्रदेश के पश्चिमी क्षेत्र में इसे शारदा के नाम से भी जाना जाता है।
गंडक नदी
- गंडक नदी नेपाल स्थित अन्नपूर्णा श्रेणी के मानंगमोट और कुतांग के मध्य से निकलती है। यह मुख्यतः सात धाराओं से निर्मित है। यह सप्तगंडकी, कालीगंडकी, नारायणी, शालिग्रामी, सदानीरा, आदि नामों से भी जानी जाती है।
- पूरे वर्ष जल से भरी होने के कारण इसे ‘सदानीरा’ कहा जाता है। नेपाल में इसे ‘सप्तगंडकी’ कहा जाता है।
- यह पश्चिमी चम्पारण के भैंसालोटन नामक स्थान पर बिहार में प्रवेश करती है। इसकी कुल लम्बाई 630 किमी. तथा बिहार में 260 किमी. है।
- गंडक नदी बिहार के पश्चिमी चम्पारण पूर्वी चम्पारण, गोपालगंज, सिवान, सारण, मुजफ्फरपुर, वैशाली से प्रवाहित होती हुई सोनपुर (सारण) व हाजीपुर (वैशाली) की सीमा बनाते हुए गंगा में मिल जाती है।
- गंडक नदी उत्तर प्रदेश और बिहार के मध्य सबसे लम्बी सीमा रेखा का निर्धारण करते हुए प्रवाहित होती है।
- इस नदी का कुल जलप्रवण क्षेत्र 40553 वर्ग किमी तथा बिहार में 4188 वर्ग किमी है।
- इसमें बायीं ओर से भाबसा, हरहा और दायीं ओर से काकरा नदी मिलती है।
नदियों के तट पर बसे बिहार के प्रमुख शहर
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नदी
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प्रमुख शहर
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नदी
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प्रमुख शहर
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1.
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गंगा
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पटना, बक्सर, भागलपुर, मुंगेर
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6.
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बूढ़ी गंडक
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समस्तीपुर, खगड़िया, मुजफ्फरपुर, बेतिया
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2.
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सरयू
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छपरा
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7.
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सोन
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डेहरी ऑन सोन
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3.
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फल्गु
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गया
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8.
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किऊल
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लखीसराय, किऊल
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4.
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बागमती
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दरभंगा
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9.
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गंडक
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हाजीपुर, सोनपुर
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5.
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पुनपुन
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फतुहा
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10.
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दरधा
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जहानाबाद
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बूढ़ी गंडक
- इस नदी का उद्गम सोमेश्वर श्रेणी के विश्वम्भरपुर के पास चौतरवा चौर के पास से हुआ है जो गंडक नदी के समानांतर उसके पूर्व में प्रवाहित होती है। यह उत्तरी बिहार की सबसे तेज धारा वाली नदी है।
- यह पश्चिमी चम्पारण, पूर्वी चम्पारण, मुजफ्फरपुर, समस्तीपुर और खगड़िया से प्रवाहित होती हुई जमालपुर के निकट गंगा में मिल जाती है।
- बूढ़ी गंडक ऊपरी भाग में सिकराना के नाम से जानी जाती है तथा यह मोतीहारी के निकट धनौती नदी की धारा से मिलने के पश्चात् बूढ़ी गंडक के नाम से जानी जाती है।
- इसकी कुल लम्बाई 320 किमी तथा जल प्रवण क्षेत्र 9601 वर्ग किमी. तथा फसली क्षेत्र 7600 वर्ग किमी है।
- बूढ़ी गंडक नदी बिंटू सलाखो प्राकृतिक तटबंध गोखुर झील, परित्यक्त नलिकाओं व विसर्प निशान का निर्माण करने के साथ-साथ चौड़ी में सीमित संकीर्ण नलिकाओं के रूप से प्रवाहित होती है जो इसकी विशेषता है।
- इसकी प्रमुख सहायक नदी बागमती है जबकि अन्य सहायक नदियों में डंडा, हरहा, पंडई, मसान, वाणगंगा, कोहरा, बालोर, सिकटा, धनउती, तिउर, तिलावे आदि शामिल हैं।
बागमती नदी
- यह बिहार की चिरस्थायी नदी है जो नेपाल में महाभारत पर्वत श्रेणी के भिवपुरी से निकलती है तथा सीतामढ़ी जिले के सोखतियां गांव के पास बिहार में प्रवेश करती है। इसकी कुल लम्बाई 589 किमी तथा बिहार में लम्बाई 394 किमी है।
- यह बिहार के सीतामढ़ी, दरभंगा, मधुबनी और मुजफ्फरपुर जिले में प्रवाहित होती हुई देवापुर के निकट (पूर्वी चम्पारण) लालबकेया नदी से मिलती है। इसी नदी के किनारे नेपाल का काठमांडू शहर और प्रसिद्ध पशुपति मंदिर अवस्थित है।
- कोसी परियोजना के अंतर्गत इस नदी पर पुल एवं बांध बनाकर नियंत्रित किया गया है।
- इसमें प्रमुख सहायक नदियों में लालबकेया नदी, लखनदेई, चकनाहा, जमुने, सिपरीधार छोटी बागमती, कमला नदी आदि शामिल हैं। 360 किमी. दूरी तय करने के पश्चात् यह बूढ़ी गंडक नदी में मिल जाती है। इसके पूर्व यह कमला व उसके बाद कोसी नदी में मिल जाती है।
कमला बलान
- इस नदी का उद्गम नेपाल के सिंधोलीगढ़ी के निकट महाभारत श्रेणी से होता है। यह बिहार में मधुबनी के जयनगर में प्रवेश करती है जहां बिहार सरकार द्वारा कमला बैराज का निर्माण किया गया है।
- इसकी एक प्रमुख धारा खगड़िया में बागमती से मिलती है जबकि एक धारा कोसी नदी से मिलती है पीपराघाट में बलान नदी मिलती है जिस कारण नाम कमला बलान है।
- इसकी कुल लम्बाई 328 किमी जबकि बिहार में 120 किमी हैं, कुल जल प्रवणक्षेत्र 7232 वर्ग किमी. बिहार में 4488 वर्ग किमी. ।
- इनकी प्रमुख सहायक नदियों में सोनी, ठोरी, भूतही बलान, मैगावती, त्रिशुला शामिल हैं। –
कोसी नदी
- यह काठमाण्डू के उत्तर-पूर्व स्थित गोसाईधाम से निकलती है और कंचनजंघा को पार करती हुई चतरा के निकट बिहार की सीमा में प्रवेश करती हैं। यह एक पूर्ववर्ती नदी है।
- इस नदी का मूल नाम “सप्तकौशिकी” है, क्योकि यह हिमालय से निकलने वाली 7 धाराओं- इंद्रावती, सुनकोसी, ताम्रकोसी, लिच्छुकोसी, दूधकोसी, अरूणकोसी और तामूरकोसी से मिलकर बनी है।
- बार-बार मार्ग परिवर्तन करने के कारण उत्तरी बिहार बाढ़ की चपेट में आ जाता है, इस कारण इस नदी को बिहार का शोक कहां जाता है।
- यह सुपौल, सहरसा, मधेपुरा, पूर्णिया में प्रवाहित होती है तथा कुरसैला के निकट गंगा से मिलने के पूर्व डेल्टा का निर्माण करती है।
- इसकी कुल लम्बाई 720 किमी. बिहार में 260 किमी. है तथा बिहार में जल प्रवण क्षेत्र 11410 किमी. है।
- इसकी प्रमुख सहायक नदियां हैं- बागमती, कमला, भूतही बलान, त्रिजुगा, फरैनी धार तथा धीमामा धार ।
महानंदा नदी
- यह बिहार के सबसे पूर्व में प्रवाहित होने वाली नदी है, जो बिहार और पश्चिम बंगाल के मध्य कई स्थानों पर सीमा का निर्धारण भी करती है।
- यह नेपाल में महाभारत श्रेणी से निकलती है तथा बिहार के पूर्णिया और कटिहार जिले से प्रवाहित होती हुई मनिहारी के निकट गंगा से मिल जाती है। इसकी कुल लम्बाई 376 किमी. है। बिहार में जल अपवाह क्षेत्र 7957 वर्ग किमी. है।
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पठार से निकलने वाली नदियाँ
- पठारी भाग से निकलकर नदियाँ गंगा नदी में मिल जाती है। इसके अंतर्गत कर्मनाशा, सोन, पुनपुन, फाल्गु, सँकरी, पचाने, मान, काव, मोरहर, हरोहर, चानन, उत्तरी कोयल, अजय, कउल, घोंघा मोहाने, बुडवा इत्यादि नदियाँ तथा कई छोटी-छोटी नदियाँ हैं।
- छोटानागपुर पठार से आनेवाली नदियों में बालू का अंश अधिक रहता है। हजारीबाग के पठारी भाग से निकलने वाली फल्गु नदी गया में विशाल रूप धारण कर लेती है।
- वर्षा ऋतु में छोटानागपुर पठार से निकलने वाली नदियों में भारी मात्रा में जल प्रवाहित होता है परंतु ग्रीष्म ऋतु में या तो पूरी तरह सूख जाती है या नाल के सदृश्य प्रतीत होती है। ये नदियाँ बिहार में जल विद्युत का स्रोत होती है।
सोन नदी
- यह हिरण्यवाह तथा सोनभद्र के नाम से प्रसिद्ध दक्षिण बिहार की प्रमुख नदी है। इस नदी का उद्गम मध्य प्रदेश स्थित अमकंटक चोटी से हुआ है। यह अभिकेंद्री का उदहारण है जहां नर्मदा एवं महानदी भी निकलती है।
- यह भ्रंश घाटी से प्रवाहित होती है तथा मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, झारखण्ड से होते हुए रोहतास से बिहार में प्रवेश करती है। यह बिहार तथा झारखण्ड का सीमा निर्धारण करते हुए मनेर
- के निकट गंगा में मिल जाती है।
- इसकी कुल लंबाई 780 किमी. जबकि बिहार में 202 किमी. है। बिहार में जल ग्रहण क्षेत्र 15820 वर्ग किमी. है। दक्षिण बिहार की सबसे लम्बी नदी है।
- A इसकी प्रमुख सहायक नदियां हैं- गोपद, रिहंद कन्हर, उत्तरी कोयल ।
- इस नदी पर 1973-74 में इंद्रपूरी बराज डेहरी में बांध का निर्माण किया गया। 1862 में निर्मित भारत का सबसे लम्बा रेलपुल (1440 मीटर) कोइलवर के पास बनाया गया है। जिसका नाम अब्दुल बारी पुल है।
- कोइलवर पुल के समानान्तर 500 मीटर की दूरी पर दिसम्बर 2020 में 1500 मीटर लम्बे सड़क पुल का निर्माण किया गया है। इस पुल का नाम बिहार के प्रसिद्ध गणितज्ञ वशिष्ठ नारायण सिंह के नाम पर रखा गया है।
फल्गु नदी
- यह दक्षिणी बिहार के साथ-साथ ऐतिहासिक दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण नदी है जिसका उद्गम उत्तरी छोटानागपुर पठार (हजारीबाग) से होता है। इसकी मुख्य धारा निरंजना या लीलांजन कहलाती है जहां महात्मा बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति हुई।
- बोध गया के निकट मोहने नदी के मिलने के पश्चात् फल्गु के नाम से जानी जाती है। गया में इसी नदी के किनारे पिंडदान किया जाता है। यह नदी अंततः सलिला या लीलाजन के नाम से जानी जाती है। जहानाबाद में बराबर की पहाड़ी के पास यह दो शाखाओं में विभक्त हो जाती है तथा आगे चलकर अनेक शाखाओं-भूतही, कररूआ, लोकायन, महतवाइन में विभक्त हो जाती है।
- 235 किमी. सफर करने के बाद गंगा नदी के टाल क्षेत्र मोकामा में गंगा से मिल जाती है। यह एक मौसमी या मानसूनी नदी है।
पुनपुन नदी
- यह एक मौसमी नदी है जिसका उद्गम छोटानागपुर पठार (पलामू) के चोरहा पहाड़ी से होता है। यह बिहार के औरंगाबाद में प्रवेश करती है। इसका अन्य नाम बमागधी और कीकट है जो औरंगाबाद, अरवल और पटना में गंगा नदी के समानांतर प्रवाहित होती हुई फतूहा के पास गंगा में मिल जाती है।
- इसकी सहायक नदी दरधा मादर, बिलारो, रामरेखा, आद्री, धोखा मोरहर, यमुना आदि है। इसकी लम्बाई 200 किमी. तथा बिहार में जलग्रहण क्षेत्र 7747 वर्ग किमी. है।
अजय नदी
- यह नदी चकाई (जमुई) की पहाड़ी से 5 किमी. दक्षिण बटबाड़ से निकलती है। इसकी कुल लम्बाई 288 किमी. है। इसे जजयावती या अजमती के नाम से भी जाना जाता है।
- अजय नदी झारखण्ड के देवघर जिले में प्रवेश कर पूर्व व दक्षिण की ओर प्रवाहित होती हुई बंगाल में गंगा नदी में मिल जाती है।
कर्मनाशा नदी
- कर्मनाशा का अर्थ-कर्म का नाश करने वाला है। हिंदु धार्मिक मान्यता के अनुसार यह अपवित्र नदी है। यह सारोदाग (कैमूर) में विंध्याचल की पहाड़ी से निकालकर चौसा के पास गंगा से मिल जाती है। इसकी कुल लम्बाई 192 किमी है।
- गंडक और घाघरा के बाद यह तीसरी नदी है जो बिहार व उत्तर प्रदेश की सीमा निर्धारित करती है।
- बिहार में इस नदी को अपवित्र तथा अशुभ माना जाता है।
दुगौंती नदी
- दुगौंती नदी की उत्पति कैमूर पहाड़ी के दक्षिणी सिरे भखमा नामक गांव के निकट से होती है।
- यह नदी लगभग 12 किमी. उत्तर दिशा में प्रभावित होती है जहां अनेक छोटी पहाड़ी नदियां इससे मिलती है और इसको बड़ा रूप प्रदान करती है।
- यह शेरशाह किला के निकट प्रवाहित होते हुए कर्मचह के निकट मैदानी भाग में प्रवेश करती है।
- यह नदी लगभग पहाड़ी भाग से 300 वर्ग किमी. का जल प्रवाहित करती है। इसमें सालो भर पानी रहता है और सिंचाई के काम आता है। इसकी कई सहायक नदियां हैं।
बिहार की प्रमुख नदियाँ, उनके उद्गम स्थल, संगम, लम्बाई सहायक नदियाँ
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नदी
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उद्गम स्थल
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संगम /मुहाना
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ल. किमी. कुल/ बिहार
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सहायक नदियाँ/ विशेष तथ्य
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1.
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गंगा नदी
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गंगोत्री (उत्तराखंड)
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बंगाल की खाड़ी
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2525/445
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घाघरा (सरयू), गंडक, बूढीगंडक, कमला बलान, बागमती, कोसी, महानंदा सोन, फल्गु, उत्तरी कोयल, पुनपुन, चानन, कर्मनाशा, सकरी, पंचान
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2.
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गंडक
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अन्नपूर्णा श्रेणी के मानंगमोट व कुतांग (नेपाल) के मध्य- तिब्बत
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पहलेजा घाटा सोनपुर (गंगा)
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690/260
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भाबसा, हरहरा, काकरा बिहार एवं उत्तर प्रदेश के बीच सबसे लम्बी सीमा रेखा बनाती है।
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3.
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बूढ़ी नदी
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सोमेश्वर पहाड़ी के निकट चौतरवा चौर
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मुंगेर (गंगा)
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320
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डंडा, पंडई, मसान, कोहरा, बालोर, सिकटा, धनऊती तिऊर, तिलाबे, बागमती
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4.
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घाघरा (सरयू)
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मंधोता चोरी के निकट मापचोचुंग हिमनद (नेपाल).
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छपरा के निकट गंगा नदी
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1080/83
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खौना, झरही, दाहा, तेल बिहार- उत्तर की सीमा बनाती है
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5.
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बागमती
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शिवपुरी महाभारत श्रेणी (नेपाल)
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कोसी नदी
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589/394
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ला बकेया, लखनदेई चकनाहा, जमुने, सिपरीधार, छोटी बागमती कोला
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6.
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कमला बालान
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सिंधोलीगढ़ी के निकट महाभारत श्रेणी (नेपाल)
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माढ़ागोला
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328/120
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सोनी, ठोरी, भूतही बलान, मैनावती, त्रिशुला
|
7.
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कोसी
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गोसाई स्थान सप्तकौशिकी (नेपाल)
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कुरसैला के निकट गंगा
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720/260
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बागमती, कमला बलान, त्रिजुगा फरैनी धारा, धीमासाधार मार्ग परिवर्तन के लिए कुख्यात | बिहार का ‘शोक’ कहा जाता है
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8.
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महानंदा
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महाभारत श्रेणी (नेपाल)
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मनिहारी (कटिहार) गंगा
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360
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दानके, पितानु नागर, रत्ना, मेची
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9.
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सोन नदी
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अमरकंटक श्रेणी (मध्य प्रदेश)
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मनेर के निकट गंगा
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720/202
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गोपद, रिहंद, कन्हर, उत्तरी कोयल
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10.
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फल्गू नदी
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उत्तरी छोटानागपुर पठार (हजारीबाग)
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मोकामा टाल क्षेत्र गंगा में
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235
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निरंजना (मुख्य धारा), मोहाने पितृपक्ष के दौरान पिण्ड दान के लिए प्रसिद्ध
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11.
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पुनपुन
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छोटानागपुर पठार (पलामू व MP)
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फतुहा के निकट गंगा नदी
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200
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दरधा, मादर, बिलारो रामरेखा, मोरहर, यमुना, धोवा
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12.
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अजय
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बाटपाड (जमुई)
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पश्चिम बंगाल गंगा नदी
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288
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पथरो, जयंती
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13.
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कर्मनाशा
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सारोदाग कैमूर विंध्याचल श्रेणी
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चौसा के निकट गंगा
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192
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उत्तर प्रदेश बिहार की सीमा बनाती है बिहार में इसे अपवित्र नदी माना जाता है
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14.
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किऊल नदी
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छोटानागपुर पठार (हजारीबाग)
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सूर्यगढ़ा (लक्खीसराय) गंगा नदी
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111
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बर्नर, अंजन, हलाहल
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