औद्योगिक प्रदेश
विभिन्न प्रकार के उद्योग जब किसी विशेष स्थान पर संकेद्रित हो जाते हैं क्योंकि वहां अनुकूल दशाएं उपलब्ध हैं तो ये औद्योगिक प्रदेश कहलाते हैं। बिहार में छः प्रमुख औद्योगिक प्रदेश है-
- बरौनी औद्योगिक प्रदेश (बरौनी)
- सोन घाटी औद्योगिक प्रदेश (कैमूर)
- दक्षिण-पश्चिम के मैदान का औद्योगिक प्रदेश (पटना)
- दक्षिण-पूर्व बिहार का औद्योगिक प्रदेश (मुंगेर)
- गया-गुरारू औद्योगिक प्रदेश (गया)
- उत्तर-पश्चिमी गंगा मैदान का चीनी औद्योगिक प्रदेश (चम्पारण)
बिहार औद्योगिक क्षेत्र विकास प्राधिकरण (बिआडा)
- बिहार औद्योगिक क्षेत्र विकास प्राधिकरण का गठन वर्ष 1974 के वैधानिक प्रावधानों के तहत राज्य में विकास के सारे पहलुओं को शामिल करते हुए औद्योगिकीकरण को बढ़ावा देने के उद्देश्य से किया गया। यह औद्योगिक इकाइयों की स्थापना के लिए निवेशकों को आवंटित करने के लिए भूमि का अधिग्रहण करने के लिए अधिकृत है।
- बिआडा का मुख्यालय पटना में है और इसके चार क्षेत्रीय कार्यालय पटना, भागलपुर, मुजफ्फरपुर और दरंभगा में अवस्थित हैं।
बिहार औद्योगिक प्रोत्साहन नीति, 2006
- राजद सरकार ने 2003 में ईरानी समिति के आधार पर नई औद्योगिक नीति, 2003 बनाया। किन्तु व्याप्त भ्रष्टाचार, सरकार की अकुशलता एवं कमजोर अर्थव्यवस्था के कारण इसका यथोचित परिणाम नहीं निकल सका।
- नीतीश सरकार ने औद्योगिक विकास को सुदृढ़ता प्रदान करने के लिए 2006 में ‘औद्योगिक प्रोत्साहन. नीति, 2006′ घोषित की, किन्तु प्राकृतिक आपदा, बिजली संकट, आधारभूत संरचना के अभाव आदि के कारण इस नीति का भी परिणाम फलदायी नहीं हो सका।
- बिहार औद्योगिक प्रोत्साहन नीति, 2006, 1 अप्रैल, 2006 से पाँच वर्षों के लिए लागू किया गया था, जो 31 दिसंबर, 2011 तक रही।
नीति की रणनीति
- राज्य में उद्योगों की स्थापना के लिए अनुकूल परिस्थितियाँ बनाएँ। ताकि निवेशकों के बीच सकारात्मक संवाद कायम हो सके.
- बिहार सिंगल विंडो क्लीयरेंस अधिनियम-2006; राज्य के सर्वांगीण विकास और औद्योगिक विकास को बढ़ावा देना, उद्योगों की स्थापना के लिए तेजी से मंजूरी प्रक्रिया, लाइसेंस और प्रमाण पत्र जारी करना, बिहार राज्य के निवेशकों को अनुकूल माहौल प्रदान करना और इस संबंध में और अन्य संबंधित विषयों के लिए बिहार सिंगल विंडो क्लीयरेंस अधिनियम – 2006 अधिनियमित किया गया है।
- बिहार अवसंरचना विकास सक्षम अधिनियम-2006: निजी क्षेत्र की भागीदारी को आकर्षित करने के लिए राज्य में भौतिक और सामाजिक बुनियादी ढांचे के तेजी से विकास के लिए और डिजाइनिंग, वित्तपोषण, निर्माण, संचालन, रखरखाव के लिए एक व्यापक कानून प्रदान करना।
- बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के लिए, सामान्य परियोजना जोखिमों की पहचान करने में प्रशासनिक और प्रक्रियात्मक देरी को कम करने के लिए, बिहार बुनियादी ढांचा विकास सक्षम अधिनियम, 2006 लागू किया गया है।
- कारखानों के निरीक्षण को सरल बनाने के लिए स्व-प्रमाणन का प्रावधान किया जाएगा।
- जटिल श्रम कानूनों के कारण औद्योगिक विकास पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। ऐसे श्रम कानूनों को सरल और विकासोन्मुखी बनाया जाएगा। मानव संसाधन को इस प्रकार विकसित किया जायेगा जो बढ़ावा दे सके और उच्च स्तर का औद्योगिकीकरण करें।
- इसके अलावा कौशल में सुधार के लिए मौजूदा विभिन्न संस्थानों को मजबूत किया जाएगा। भूमि बैंक- उद्योगों के लिए भूमि की आवश्यकता को पूरा करने के लिए राज्य में विकास योजनाएं, लैंड बैंक की स्थापना की जायेगी. इस बैंक द्वारा विभिन्न उद्योगों की आवश्यकतानुसार एवं विकास योजनाओं हेतु भूमि उपलब्ध करायी जायेगी।
- लघु, अति लघु, कुटीर उद्योग, हथकरघा एवं हस्तशिल्प के लिए विपणन व्यवस्था की जाएगी। औद्योगिक क्षेत्रों में पूंजी निवेश को बढ़ाने तथा निजी क्षेत्र को निवेश के लिए आमंत्रित करने तथा इस उद्देश्य हेतु सार्वजनिक-निजी भागीदारी को प्रोत्साहित करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय स्तर के अनुरूप बुनियादी सुविधाओं का निर्माण करना।
- बुनियादी ढांचे का विकास: बीमार इकाई की समीक्षा करने के लिए, ऐसी इकाइयों की पहचान करना और आवश्यक उपचारात्मक उपाय सुझाना और जिला स्तरीय निगरानी प्रणाली विकसित करके आगे की बीमारी को रोकना। हस्तशिल्प, हथकरघा, खादी, रेशम और ग्रामोद्योग का विकास करना।
बिहार औद्योगिक निवेश संवर्धन नीति, 2016
- बिहार में निवेश के माहौल में सुधार लाने हेतु सरकार द्वारा प्रतिवर्ष 15% की औद्योगिक विकास दर को प्राप्त करने की संकल्पना की गई है जिसके लिये राष्ट्रीय विनिर्माण नीति के साथ-साथ जी.एस.डी.पी. में द्वितीयक क्षेत्र का योगदान बढ़ाना होगा।
- इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिये बिहार सरकार द्वारा औद्योगिक निवेश संवर्धन नीति, 2016 लाई गई है जिसमें मुख्य फोकस बुनियादी एवं आधारभूत ढांचे पर है। इसके अंतर्गत निवेश बढ़ाने हेतु प्रमुख क्षेत्रों में उन्नत प्रौद्योगिकी के साथ-साथ कौशल विकास पर बल दिया गया है।
- निजी औद्योगिक पार्कों की स्थापना हेतु विभिन्न क्षेत्रों में न्यूनतम 25 एकड़ तथा सूचना प्रौद्योगिकी पार्क हेतु न्यूनतम 3 एकड़ जमीन वांछित है। बिहार का सबसे बड़ा इंडस्ट्रियल पार्क, डोभी गया में बन रहा है।
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