पर्यटन स्थल (बिहार की अर्थव्यवस्था)
किसी भी राष्ट्र अथवा राज्य की अर्थव्यवस्था में वहां के पर्यटन स्थलों की अहम भूमिका होती है। बिहार प्राचीन काल से हीं देश और दुनिया के लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र रहा है। महान धर्मों की जन्मस्थली, सांस्कृतिक सम्पन्नता, अपने ऐतिहासिक गौरव, भौगोलिक विविधता तथा प्राकृतिक सुन्दरता के लिए यह प्रदेश लोकप्रिय है। बौद्ध धर्म, जैन धर्म, आजीवक सम्प्रदाय, सूफी संतों, सिख सम्प्रदाय से संबंधित यहाँ अनेक दर्शनीय स्थल है।
पर्यटन के महत्व को देखते हुए राज्य सरकार ने पर्यटन नीति 2015 के तहत इस क्षेत्र को उद्योग का दर्जा दिया है। बिहार पर्यटन का नया टैगलाइन ब्लिसफुल बिहार (आनंदमयी बिहार) है।
बिहार में पर्यटन स्थलों का वर्गीकरण
पर्यटन को सरकार द्वारा 1987 में मान्यता प्रदान किए जाने के बाद सातवीं पंचवर्षीय योजना काल से ही राजकीय निवेश को बढ़ावा मिला। बिहार राज्य पर्यटन विकास निगम का गठन करके राज्य सरकार ने पर्यटन उद्योग को प्रोत्साहन देने के विशेष उपाय किए। निगम के द्वारा बिहार के अनेक महत्वपूर्ण पर्यटन स्थलों के विकास एवं प्रचार के लिए विशेष कार्य किए गए हैं। बिहार में पर्यटन स्थलों को पाँच विभिन्न श्रेणियों में विभक्त किया जा सकता है-
- तीर्थ पर्यटनः बिहार में हिन्दू, मुसलमान, बौद्ध, जैन एवं सिख धर्म के अनेक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल हैं, इनमें गया, थावे, देव (हिन्दू) मनेर एवं फुलवारी शरीफ (मुसलमान) राजगीर, वैशाली एवं बोधगया (बौद्ध), पावापुरी (जैन) और पटना साहिब (सिख) आदि उल्लेखनीय धार्मिक स्थल हैं।
- ऐतिहासिक स्थलः भारत के वैभव से जुड़े मगध (पटना) राजगीर, नंदनगढ़, विक्रमशिला, वैशाली, लोरिया, सासाराम, अजीमाबाद (पटना सिटी), बिहारशरीफ, नालंदा, मुंगेर, भोजपुर, जगदीशपुर आदि बिहार के प्रमुख ऐतिहासिक स्थल हैं। चम्पारण सत्याग्रह के 100वें वर्ष के उपलक्ष्य में स्वच्छ भारत मिशन द्वारा “सत्याग्रह से स्वच्छाग्रह अभियान” चलाया गया है।
- वन अभयारण्यः हिमालय की तराई में स्थित पश्चिमी चम्पारण में वाल्मीकी बन अभ्यारण्य, बेगुसराय में कांवर झील, कैमूर अभ्यारण्य आदि पर्यटकों को विशेष रूप से आकर्षित करते हैं।
- स्वास्थ्य पर्यटनः राजगीर का गर्म पानी का कुंड, मुंगेर का योग संस्थान इत्यादि पर्यटकों को मुख्य रूप से स्वास्थ्य लाभ के लिए आकर्षित करता है।
- खेल-कूद पर्यटनः पर्यटक खेल-कूद का आनंद उठाने के लिए किसी विशिष्ट स्थल पर जाते हैं। अपने पर्यावरण एवं स्थल की उपलब्धता के कारण खेल-कूद पर्यटन को बिहार में बढ़ावा मिल सकता है।
पर्यटन परिपथ
समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और चारों ओर फैले ऐतिहासिक स्मारकों/स्थानों के लिहाज से बिहार में भी पर्यटन की जबर्दस्त संभावना है। बिहार के विभिन्न ऐतिहासिक, पुरातात्विक और धार्मिक स्थल राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय पर्यटकों को समान रूप से आकर्षित करते हैं। राज्य सरकार के पर्यटन विभाग ने राज्य में 8 पर्यटन परिपथों की पहचान की है:
शिव-शक्ति परिपथ
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मुंडेश्वरी स्थान
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कौरा (कैमूर)
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बाबा कोटेश्वरनाथ धाम
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गया
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अशोक धाम
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लखीसराय
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अजगैबीनाथ
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सुल्तानगंज (भागलपुर)
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श्यामा माई मंदिर
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दरभंगा
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सिंहेश्वर स्थान
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मधेपुरा
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आमी मंदिर
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दिघवारा (सारण)
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थावे मंदिर
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गोपालगंज
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महेंद्रनाथ मंदिर
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छपरा
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शीतला माता मंदिर
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पटना
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चंडी स्थान
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बिराटपुर (सहरसा)
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मत्स्यगंधा/रक्तकाली मंदिर
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सहरसा
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महिषी तारा मंदिर
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उग्रतारा स्थान (सहरसा)
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प्रमुख ऐतिहासिक पर्यटन स्थल
वैशाली
- वैशाली में ही विश्व में ज्ञात प्रथम गणतंत्र की स्थापना हुई थी। जैनधर्म के अंतिम तीर्थंकर महावीर स्वामी का जन्म वैशाली के निकट कुण्डग्राम में ज्ञातृक क्षत्रिय कुल में 540 ई. पूर्व में हुआ था।
- वैशाली में ही द्वितीय बौद्ध संगीति का आयोजन 383 ई. पूर्व में कालाशोक के शासनकाल
- में हुआ था। भगवान बुद्ध ने अपना अंतिम उपदेश यहीं दिया था और यहीं वैशाली की नगरवधू
- व राजनर्तकी आम्रपाली बुद्ध के चरणों में शरणागत हुई थी।
- यह छठी शताब्दी ई. पू. में लिच्छवियों की कर्मभूमि थी, जिन्होंने यहां विश्व का प्रथम गणतंत्र स्थापित किया। वैशाली में अशोक की लाट, जैन मन्दिर, बौद्ध स्तूप, राजा विशाल की गढ़ी आदि दर्शनीय स्थल हैं।
- वैशाली में ही चौमुखी या चतुर्मुखी महादेव का मंदिर है। इस मंदिर में स्थापित शिवलिंग में चार देवताओं-ब्रह्मा, विष्णु, महेश और सूर्य के चेहरे हैं।
सासाराम
- पटना से 160 किमी. की दूरी पर स्थित सासाराम में शेरशाह सूरी का अंतिम विश्राम स्थल है। सासाराम में शेरशाह तथा उसके पिता हसन खां सूर का मकबरा भारत में मकबरा निर्माण कला का उत्कृष्ट नमूना है।
- यहीं प्रसिद्ध कैमूर पहाड़ियां भी हैं, जो 1857-58 ई. में अंग्रेजों के विरुद्ध संघर्ष में बाबू अमर सिंह का ठिकाना बनी थीं।
- सासाराम नगर के पूर्व में चन्दपीर पहाड़ी पर एक गुफा में अशोक के शिलालेख पाए गए हैं। पहाड़ी की चोटी पर एक मुसलमान फकीर की दरगाह है, जिसके नाम से यह पहाड़ी प्रसिद्ध है।
पटना
- वर्तमान में बिहार की राजधानी पटना प्राचीन काल में पाटलिपुत्र, कुसुमपुरा या पुष्पपुरा के नाम से विख्यात थी। अजातशत्रु का बेटा उद्यन ने सर्वप्रथम राजगीर की जगह पाटलिपुत्र को राजधानी बनाया।
- सोलहवीं शताब्दी में शेरशाह सूरी ने इस नगर का पुनर्निर्माण करवाया और अठारहवीं शताब्दी में औरंगजेब के पौत्र अजीम-उल-शान ने पाटलिपुत्र का नाम बदलकर अजीमाबाद रखा था।
- पटना स्थित शहीद स्मारक का निर्माण उन सात छात्रों की स्मृति में किया गया है, जो वर्ष 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन में सचिवालय पर तिरंगा झण्डा फहराने में शहीद हो गए थे।
- गांधी के शहादत के तुरंत बाद पटना लॉन का गांधी मैदान के रूप में नामकरण किया गया।
- महात्मा बुद्ध के 2554वीं जन्म वर्षगांठ के अवसर पर बिहार सरकार द्वारा पटना में बुद्ध स्मृति पार्क का विकास किया गया। इस पार्क का उद्घाटन 14वें दलाईलामा द्वारा किया गया था।
भागलपुर
- गंगा के दायें तट पर भागलपुर एक ऐतिहासिक नगर है। लगभग आठवीं शताब्दी में पालवंशीय धर्मपाल द्वारा भागलपुर में विक्रमशिला विश्वविद्यालय की स्थापना की गई थी।
राजगीर
- राजगीर, नालंदा से 15 किमी. दूर अवस्थित है। यह पाटलिपुत्र से पूर्व मगध महाजनपद की राजधानी थी, जिसे राजगृह के नाम से जाना जाता था।
- महात्मा बुद्ध न केवल राजगृह में कई वर्ष व्यतीत किए, बल्कि गृद्धकूट पर्वत पर राजा बिंबिसार को उपदेश भी दिए। यहां स्थित जीवकामेवन मठ बुद्ध का पसंदीदा निवास था। इसके अलावा बिंबिसार ने बुद्ध को वेणुवन विहार दान में दिया था।
- देवदत्त द्वारा बुद्ध के घायल होने पर जीवक चिकित्सक, जो कि राजगीर का ही था, द्वारा इलाज किया गया था। जीवक, बिंबिसार एवं अजातशत्रु के काल में चिकित्सक था। राजगीर में ही पहली बौद्ध संगीति हुई थी।
- राजगीर हिंदू एवं जैन धर्म मतावलंबियों के लिए भी प्रसिद्ध स्थल है।
नालंदा
- नालंदा की स्थापना 5वीं शताब्दी में की गई थी तथा यह शिक्षा का प्रसिद्ध केंद्र (5वीं से 12वीं सदी तक) रहा था।
- ह्वेनसांग यहां 7वीं शताब्दी में रहा था तथा उसने अपने यात्रा वृत्तांत सीयूकी में यहां की शिक्षा व्यवस्था का विस्तृत विवरण दिया था।
- यह प्रथम आवासीय अंतर्राष्ट्रीय विश्वविद्यालय था, जहां 2000 शिक्षक एवं 10 हजार छात्र
- रह कर शिक्षा ग्रहण करते थे। वर्ष 1951 में यहां बौद्ध अध्ययन हेतु अंतर्राष्ट्रीय केंद्र की स्थापना की गई थी।
पर्यटकों का वर्षवार आगमन (लाख में)
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वर्ष
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देशी पर्यटक
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विदेशी पर्यटक
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योग
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2014
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225.44
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8.3
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233.7
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2015
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280.3
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9.2
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289.5
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2016
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285.2
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10.1
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295.3
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2017
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324.1
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10.8
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335.0
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2018
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336.2
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10.9
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347.1
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2019
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339.9
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10.9
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350,8
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2020
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56.4
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3.0
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59.5
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स्रोत: पर्यटन विभाग, बिहार सरकार
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