परिवहन एवं संचार (बिहार की अर्थव्यवस्था)
परिवहन
अधोसंरचना विकास प्राथमिक, द्वितीयक तथा तृतीयक तीनों ही क्षेत्रों की उत्पादक गतिविधियों के विकास और विस्तार के लिए आवश्यक है। परिवहन-तंत्र किसी राज्य के आर्थिक एवं सामाजिक विकास के लिए महत्वपूर्ण साधन होता है। सामाजिक-आर्थिक विशेषीकरण परिवहन के साधनों पर ही संभव है। इसके द्वारा सभी भागों एवं क्षेत्रों के जीवन-यापन के स्तर पर प्रादेशिक असमानता को दूर भी किया जा सकता है, साथ ही उत्तम प्रशासनिक व्यवस्था के लिए भी यह अनिवार्य है। वर्तमान सामाजिक व्यवस्था एवं विकास का आधार परिवहन के साधनों पर बहुत निर्भर है।
बिहार में स्थित परिवहन व्यवस्था को पांच श्रेणियों में बांटा जा सकता है-
- सड़क परिवहन
- रेल परिवहन
- वायु परिवहन
- जल परिवहन
- रज्जुमार्ग परिवहन
सड़क परिवहन
- भारत में आधुनिक सड़कों के विकास का प्रथम प्रयास 1943 ई. में नागपुर योजना के अंतर्गत किया गया। आजादी के बाद भारत में सड़कों की दशाएं सुधारने के लिए 1961 में 20 वर्षीय योजना प्रारंभ की गई।
- बिहार को धरातलीय स्वरूप के आधार पर मुख्यतः तीन भागों उत्तरी-पश्चिमी पहाड़ी भाग, विशाल मध्य का मैदान तथा दक्षिण का पहाड़ी भाग में विभाजित किया जाता है। परंतु बिहार का अधिकांश भाग मैदानी है। अतः स्थलीय परिवहन के साधनों का यहां अधिक विकास हुआ है।
- बिहार में परिवहन के लिए सड़कों का महत्व बहुत प्राचीन समय से रहा है। ईसा से कई हजार वर्ष पूर्व बिहार में सड़कों के प्रमाण मिलते हैं।
- सम्राट अशोक ने बौद्ध भिक्षुओं एवं तीर्थ यात्रियों की सुविधा तथा सामाजिक-आर्थिक महत्व को देखते हुए पुरूषपुर (वर्तमान पेशावर, पाकिस्तान) से लेकर ताम्रलिप्ति (वर्तमान तामलुक, पश्चिम बंगाल) तक एक राजमार्ग का निर्माण करवाया था। इस मार्ग ने बिहार की अन्य गतिविधियों को भी सक्रिय किया था। सल्तनत काल में इस मार्ग की घोर उपेक्षा हुई जिससे वह जर्जर हो गया। शेरशाह ने इस मार्ग का उद्धार करवाया था। यह वर्तमान में राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या-2 (ग्रैंड ट्रंकरोड) है।
- पथ परिवहन एवं उच्च पथ मंत्रालय की सबसे हाल की रिपोर्ट के अनुसार, 31 मार्च 2018 तक भारत में 62.16 लाख किमी. से भी ज्यादा का सड़क नेटवर्क था जो अमेरिका के बाद विश्व का सबसे बड़ा नेटवर्क है।
- 2021 के अनुसार सर्वाधिक राष्ट्रीय उच्चपथ (NH) वाले पांच राज्य हैं:- महाराष्ट्र (18317 किमी.), उत्तर प्रदेश (12245 किमी.), राजस्थान (10477 किमी.), मध्य प्रदेश (8911 किमी.), कर्नाटक (7656 किमी.)।
- 2021 के आंकड़ों अनुसार राष्ट्रीय उच्चपथ के मामले में बिहार का 10वां स्थान है, बिहार में राष्ट्रीय उच्चपथ की लम्बाई 5475 किमी. है जो कुल राष्ट्रीय उच्चपथ का 4.04% है।
- बिहार में राष्ट्रीय उच्चपथ का घनत्व प्रति वर्ग किमी पर 58 किमी. है। ► 2021 के अनुसार न्यूनतम राष्ट्रीय उच्चपथ वाले पांच राज्यः गोवा (299 किमी.) सिक्किम (709 किमी.), त्रिपुरा (854 किमी.) मिजोरम (1423 किमी.)।
- संपूर्ण भारत के संघ शासित एवं अन्य राज्यों में सबसे कम राष्ट्रीय उच्चपथः- चंडीगढ़ (15 किमी.)। > सबसे कम राष्ट्रीय उच्चपथ घनत्त्व वाले राज्यः जम्मू-कश्मीर (10.9 किमी), मध्य प्रदेश (28.5 किमी.), राजस्थान (30.2 किमी.) अरूणाचल प्रदेश (30.3 किमी.)।
- भारत सरकार के पथ परिवहन एवं राष्ट्रीय उच्चपथ मंत्रालय के 2019 के आंकड़े के अनुसार प्रति लाख जनसंख्या पर राष्ट्रीय उच्चपथ की सर्वाधिक लम्बाई वाला राज्य अरूणाचल प्रदेश (183.5 किमी) तथा सबसे कम चंडीगढ़ (1.4 किमी.) है।
जिला सड़कें
- यह संबंधित जिलों के मुख्यालय, अनुमण्डल, प्रखण्ड तथा मुख्य नगरों-शहरों को आपस में जोड़ती है। मुख्य जिला स्तरीय सड़कों तथा अन्य जिलास्तरीय सड़कों का नवनिर्माण, देख-रेख तथा उनकी मरम्मत का दायित्व सार्वजनिक निर्माण विभाग (PWD) पर है।
- वर्ष 2005 में कुल 8891 किमी. मुख्य जिला सड़कें थी, जो सितम्बर 2021 तक 15273 किमी. हो गई।
- 2015 से 2020 के दौरान उत्तर बिहार के पांच जिलों में 107 किमी. मुख्य जिला पथों को राज्य उच्चपथ में बदल दिया गया। इससे सबसे अधिक लाभान्वित होने वाले जिले शिवहर (55 किमी.), मधुबनी (25 किमी.) और किशनंगज (22 किमी.)।
- वर्ष 2015 से 2020 तक के पांच वर्षों के दौरान राज्य में कुल 4252 किमी. मुख्य जिला पथ जुड़े। मुख्य जिला पथ में सर्वाधिक विस्तार पाने वाले तीन जिले पटना (434 किमी.), दरभंगा (410 किमी.) और जमुई (344 किमी.) हैं, जबकि कम लाभान्वित होने वाले जिले भोजपुर (4 किमी.), जहानाबाद (7 किमी.) और खगड़िया (13 किमी.) हैं।
- मुख्य जिला पथों की परियोजनाओं का वित्तीयन राज्य योजना, ग्रामीण अधिसंरचना विकास कोष के अनुदान, केन्द्रीय सड़क कोष, वामपंथी अतिवाद प्रभावित क्षेत्र पथ सम्पर्क परियोजना कोष, भारत-नेपाल सीमा पथ विकास कार्यक्रम, आर्थिक महत्ववान पथ, अंतर्राष्ट्रीय महत्ववान पथ और वित्त आयोग के अनुदानों के तहत किया जा रहा है।
ग्रामीण सड़कें
- ग्रामीण सड़कें गांव-टोलों को सड़क नेटवर्क उपलब्ध कराते हैं और उन्हें प्रखण्डों, नजदीकी नगरों-शहरों-बाजारों, चिकित्सा केंद्रों, शिक्षण संस्थानों आदि से जोड़ते हैं।
- इस पृष्ठभूमि में राज्य सरकार ने ग्रामीण सड़क नेटवर्क को सात निश्चय 2 के एक निश्चय ‘सुलभ संपर्कता के तहत रखा है। इस निश्चय के तहत गांवों को सभी प्रशासनिक स्थानों और महत्वपूर्ण सुविधा केंद्रों के साथ जोड़ने के लिए सुलभ संपर्क उपलब्ध कराया जा रहा है।
- राज्य स्तर पर ग्रामीण सड़कों का निर्माण तथा रख-रखाव का कार्य ग्राम पंचायत तथा प्रखण्ड विकास पदाधिकारी के कार्यालय द्वारा होता है।
- चौड़ाई के आधार पर बिहार में चार प्रकार के उच्च पथ हैं-एक लेन, मध्यवर्ती लेन, दो लेन और द्वियाधिक लेन, जिनकी चौड़ाई 3.75 मीटर से लेकर 7.2 मीटर से भी अधिक है।
- वर्ष 2005-06 में आर्थिक सेवाओं में होने वाले कुल व्यय में ग्रामीण पथों में निवेश पर व्यय मात्र 11.8 प्रतिशत था जो 2020-21 में बढ़कर 46.7 प्रतिशत हो गया।
- 2005-06 में ग्रामीण सड़कों की कुल लम्बाई 835 किमी. थी जो सितम्बर 2021-22 तक 102306 किमी. हो गई। ग्रामीण पथ नेटवर्क की दृष्टि से शीर्ष तीन जिले मधुबनी (6360 किमी.), मुजफ्फरपुर (5797
- किमी.) और पूर्वी चम्पारण (5795 किमी.) है।
रेल परिवहन
- रेलमागों के द्वारा बिहार, देश के विभिन्न भागों से जुड़ा हुआ है। राज्य के विभिन्न क्षेत्र भी इनके माध्यम से एक-दूसरे से जुड़ गए हैं।
- बिहार में रेल परिवहन का शुभारंभ 1860-62 में हुआ। इस अवधि में गंगा के किनारे दक्षिणवर्ती भागों में स्थित नगरों, शहरों एवं अन्य व्यावसायिक, प्रशासनिक, आर्थिक एवं सांस्कृतिक प्रतिष्ठानों एवं केंद्रों को आपस में जोड़ने के लिए ब्रिटिश भारत की सरकार ने मुगलसराय से हावड़ा तक रेल लाइन बिछायी। बिहार में इस रेल लाइन द्वारा भागलपुर, जमालपुर, पटना, आरा, बक्सर आदि नगर जुड़े। अतः इन नगरों का सम्पर्क पश्चिमी एवं पूर्वी भारत से स्थापित हो गया।
- गंगा नदी के कारण बिहार के रेलमार्ग उत्तर और दक्षिण दो भागों में बंट गया। उत्तर बिहार में मीटर गेज रेलवे लाइन का विकास हुआ परन्तु दक्षिण बिहार में बड़ी लाइन का। स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात् 1959 में मोकामा के पास गंगा नदी पर पुल (राजेन्द्र सेतु) के निर्माण के उपरांत उत्तरी तथा दक्षिणी बिहार का रेलमार्ग द्वारा सम्पर्क स्थापित हो गया।
- बिहार में कुल 6870 किमी. रेल ट्रैक और 3794 किमी. रेल मार्ग है। परन्तु निकट भविष्य में रेलमागों की लम्बाई में वृद्धि की संभावना है।
- देश के कुल रेलमार्ग में बिहार का हिस्सा लगभग 5.5 प्रतिशत है जिसमें 2005-2019 के बीच रेलमार्ग की लम्बाई मात्र 340 किमी. बढ़ी है।
- राज्य में रेलमार्गों का घनत्व 39.4 किमी प्रति वर्ग किमी है और संपूर्ण भारत के स्तर पर 20.5 किलोमीटर है।
- भारत में रेल परिवहन की दृष्टि से बिहार का स्थान 9वां है।
- वर्ष 2005-19 के बीच देश में रेलमागों की सर्वाधिक लम्बाई 630 किमी. झारखण्ड में 558 किमी. कर्नाटक में एवं 374 पश्चिम बंगाल में बढ़ी।
- 8 फरवरी, 1862 को बिहार के मुंगेर जिला के अंतर्गत जमालपुर में देश के रेलवे वर्कशॉप की संपूर्ण सुविधा का विकास हुआ।
वायु परिवहन
- बिहार में वायु परिवहन का आरम्भ 1860 में हुआ था। वर्तमान में तीन हवाई अड्डे कार्यरत है जिसमें से गया और पटना को अंतर्राष्ट्रीय मान्यता प्राप्त है जबकि दरभंगा को राष्ट्रीय श्रेणी का दर्जा प्राप्त है।
- पटना में जयप्रकाश नारायण हवाई अड्डा है, जिसे अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा का दर्जा दिया गया है। यहां से काठमाण्डु, कोलकता, मुम्बई, अहमदाबाद, लखनऊ, रांची तथा दिल्ली के लिए वायु सेवा उपलब्ध है।
- बिहार में कई बौद्ध तीर्थस्थल हैं। पूर्वी एशिया के देशों के लिए बिहार की भूमि देव तुल्य से कम नहीं है। वहां के बौद्ध धर्मावलम्बी बोधगया, राजगीर, नालंदा, वैशाली आदि तीर्थयात्रा के लिए आते हैं। अतः बोध गया में अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा का निर्माण एवं विकास किया गया है। यहां के हवाई मार्ग से दक्षिण-पूर्वी एशिया तथा दक्षिण-पश्चिम एशिया के देश जुड़ गए हैं।
- 12 नवम्बर, 2002 को बोध गया-कोलम्बो (श्रीलंका) विमान सेवा शुरू होने के साथ ही स्थित हवाई अड्डे से अंतर्राष्ट्रीय विमानन सेवा का प्रारंभ हो गया था।
- पटना तथा बोध गया से हज यात्री भी मक्का के लिए जाते हैं। सिख तीर्थयात्री पटना स्थिति गुरू गोविन्द सिंह की जन्मस्थली एवं हर मंदिर साहेब के दर्शन के लिए पटना के जयप्रकाश नारायण अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा का उपयोग करते हैं।
- पटना हवाई अड्डा पर निजी कम्पनियों द्वारा भी वायु सेवा उपलब्ध हैं। इनमें जेट एयर वेज, जेट लाइट, किंग फिसर तथा सहारा एयर मुख्य हैं। उपरोक्त जहाजों द्वारा लोग पटना से देश के कोने-कोने में स्थित प्रमुख नगरों में जाया करते हैं।
- प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में 26 सितम्बर 2018 को मंत्रिमंडलीय आर्थिक समिति में स्वीकृत प्रस्ताव के तहत 1,216.90 रू. करोड़ की अनुमानित लागत से पटना एयरपोर्ट पर नया घरेलू टर्मिनल भवन के निर्माण को मंजूरी प्रदान की गई।
- नया टर्मिनल भवन 65,155 वर्गमीटर का होगा, जिसमें 18,650 वर्गमीटर क्षेत्र भूतल होगा। इससे पटना एयरपोर्ट से सालाना 45 लाख यात्रियों का सुचारू आवागमन हो सकेगा। इस टर्मिनल के पूर्ण होने का लक्ष्य नवम्बर 2022 तक था जिसे बढ़ा कर अब मार्च 2023 कर दिया गया है।
- गया स्थित हवाई अड्डा एक अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा है। 12 नवम्बर, 2002 को इसे अंतर्राष्ट्रीय दर्जा प्राप्त हो गया। यहां पर श्रीलंका एयरलाइन के विमान सर्वप्रथम उतरा था।
जल परिवहन
- जल परिवहन के अंतर्गत आंतरिक (अंतर्देशीय) और अंतर्राष्ट्रीय जलमार्ग सम्मिलित किए
- जाते हैं। आंतरिक जलमार्गों के अंतर्गत नदियों, नहरों और झीलें सम्मिलित किए जाते हैं।
- अंतर्राष्ट्रीय जलमार्गों के अंतर्गत सामुद्रिक मार्ग। > बिहार में जल परिवहन के लिए मुख्य साधन नदियां हैं। इनमें गंगा, घाघरा, गंडक, बूढ़ी गंडक, बागमती, कोसी, कमला, सोन, पुनपुन, कर्मनाशा आदि विशेष उल्लेखनीय हैं।
- गंगा एवं उनकी सहायक नदियां (घाघरा, गंडक, बुढ़ी गंडक, कमला, बागमती, कोसी, पुनपुन, सोन, कर्मनाशा आदि) नदियां प्राचीन काल से ही माल और सवारी के लिए यातायात की प्रमुख साधन रही हैं।
- वर्तमान में गंगा नदी द्वारा कोलकाता-फरक्का होते हुए पटना-इलाहाबाद जलमार्ग विकसित किया गया है। इसने 14 फरवरी, 2004 से कार्य प्रारंभ कर दिया है। यह केंद्र सरकार के ‘जल मार्ग प्राधिकरण’ के अंतर्गत कार्य करता है। प्राधिकरण का मुख्यालय नोयडा में है। इसका क्षेत्रीय कार्यालय पटना में है तथा भागलपुर में शाखा कार्यालय है। गंगा नदी को इलाहाबाद से हल्दिया तक राष्ट्रीय जलमार्ग 1. घोषित किया गया है। महेन्द्र घाट के समीप एक राष्ट्रीय पोत संस्थान-नेशनल शिप इन्स्टीच्यूट की स्थापना की गई है।
- गंगा नदी के किनारे गुलाबीघाट के पास माल के संग्रह के लिए ‘कार्गो कॉम्पलेक्स’ का निर्माण किया गया है। इस तरह गंगा नदी हल्दिया से कोलकाता-फरक्का होकर पटना-इलाहाबाद तक लगभग 2,500 किमी. की दूरी नौकागम्य हो गई है।
- भारत में आंतरिक जलमार्ग के विकास, रख-रखाव और व्यवस्था के लिए केंद्र सरकार ने 27 अक्टूबर, 1986 को भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग का गठन किया।
- बिहार सरकार ने नदियों में होने वाली नौका दुर्घटनाओं को रोकने और सुरक्षित नौवाहन को बढ़ावा देने के लिए बंगाल नौवहन अधिनियम की तर्ज पर आदर्श ‘नौवाहन नियमावली-2011 तैयार की है जिसके अंतर्गत राज्य में चलने वाली सभी नावों और स्टीमरों का निबंधन अनिवार्य कर दिया है।
दूरसंचार
- राज्य में BSNL का नेटर्वक कुल भौगोलिक क्षेत्र का 66.0 प्रतिशत, जनसंख्या का 84.7 प्रतिशत एवं गांव के 68.5 प्रतिशत भाग को कवर करता है।
- वर्ष 2020 में बिहार में कुल टेलीभानत्व 53.69 था जिसमें 42 ग्रामीण तथा शहरी 117 था।
- ग्रामीण टेलीघनत्व के हिसाब से 2020 में बिहार का स्थान देश के प्रमुख राज्यों के बीच नीचे से दूसरा था। वहीं शहरी दूरभाष घनत्व में देश में दूसरा स्थान है।
- राज्य सरकार ने संचार एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में महत्वपूर्ण प्रगति की है और इन उपलब्धियों के लिए डिजिटल अवार्ड 2020 से पुरस्कृत किया गया है।
- बिहार में कुल इंटरनेट उपभोक्ता 393 लाख है जिनमें से 226 लाख ग्रामीण तथा 167 लाख शहरी क्षेत्रों के है। राज्य में देश के कुल इंटरनेट ग्राहक का 6.2 प्रतिशत है।
- इंटरनेट सब्सक्रिप्शन के दृष्टि से बिहार की वृद्धि दर राज्यों में प्रथम है।
- 21 सितम्बर, 2020 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने घर तक फाइबर योजना की शुरूआत की।
- भारत नेट परियोजना के तहत अभी तक 226 ग्राम पंचायतों को बाइ-फाइ चौपाल की सुविधा उपलब्ध कराई गई है। इस परियोजना का क्रियान्वयन BSNL के माध्यम से हुआ है।
- बिहार में ई-शासन को बढ़वा देने के लिए सूचना प्रौद्योगिकी विभाग ने सूचना प्रौद्योगिकी अधिसंरचना के लिए नेक्स्ट जेन विस्वान, सेक्लैप 2.0. राज्य आंकड़ा केन्द्र (एसडीसी). नॉलेज सिटी, आधार इन्फ्रास्ट्रक्चर खाका इंटीग्रेशन आदि अनेक योजनाओं का क्रियान्वयन किया है।
- राजगीर (नालंदा) में सूचना प्रौद्योगिकी हब एवं आई. टी सिटी प्रस्तावित है।
- राष्ट्रीय इलेक्ट्रॉनिक एवं इनफॉरमेशन प्रौद्योगिकी संस्थान (NIECIT) की स्थापना पटना में की गई है। इसके सहायक सेंटर बक्सर तथा मुजफ्फरपुर में प्रस्तावित है।
दूरदर्शन
- भारत में पहली बार 15 सितम्बर, 1959 को प्रयोग के तौर पर दूरदर्शन का प्रसारण शुरू हुआ था।
- बिहार में जनसंचार के लिए दूरर्शन का शुभारम्भ 14 अगस्त, 1978 ई. को 1 किलोवाट शक्ति वाले ट्रांसमीटर के साथ मुजफ्फरपुर में हुआ।
- 100 वाट लघु शक्ति एवं 10 वर्ग किमी. सेवा वाले ट्रांसमीटर के साथ पटना में दूरदर्शन केन्द्र की स्थापना 1978 ई. में हुई। पटना में रंगीन प्रसारण की सुविधा 1982 से प्रांरभ हुई।
- बिहार में दूरदर्शन के उच्च शक्ति के 5 ट्रांसमीटर हैं। यहां के मुख्य दूरदर्शन केन्द्रों में पटना, कटिहार एवं मुजफ्फरपुर हैं। राज्य में निम्न शक्ति के 26 ट्रांसमीटर कार्यरत हैं।
- बिहार में दूरदर्शन के अतिरिक्त निजी टीवी चैनलों की संख्या एवं लोकप्रियता में इन दिनों काफी वृद्धि हुई है। बिहार में और खासकर राजधानी पटना में दर्श टीवी, ई-टीवी बिहार, सहारा समय, स्टार टीवी, जी टीवी, सोनी, एन डी टी.वी., साधना, महुआ, इंडिया टीवी, कलर्स, लाइफ ओके आदि अनेक चैनल के कार्यक्रम प्रसारित हो रहे हैं।
- इसमें से अनेक चैनल के समाचार चैनल और मनोरंजन चैनल अगल-अलग हैं तथा इनका प्रसारण अपने दर्शकों के लिए चौबीसों घंटे उपलब्ध है। वर्ष 2008 में भोजपुरी भाषियों के लिए ‘महुआ’ चैनल आरंभ हुआ।
आकाशवाणी
- बिहार के प्रथम आकाशवाणी केन्द्र पटना का उद्घाटन 26 जनवरी, 1948 को तत्कालीन गृहमंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल के द्वारा किया गया था। इस केन्द्र के उद्घाटन समारोह में राष्ट्रकवि दिनकर के काव्य पाठ्य का प्रसारण मुख्य रूप से किया गया था। यह केन्द्र आकाशवाणी के हिसाब से पूर्वी जोन में पड़ता है।
- बिहार में पटना, भागलपुर, दरभंगा एवं पटना में विविध भारती (फतुहा केन्द्र) मीडियम वेव के केन्द्र हैं। अभी तक राज्य में 8 आकाशवाणी केन्द्रों की स्थापना हो चुकी है।
- बिहार में कुल 6 एफ.एम. रेडियो स्टेशन हैं, जिनमें 3 पटना में, एक-एक क्रमशः मुजफ्फरपुर, पूर्णिया व सासाराम में स्थित हैं।
- बिहार में कई निजी रेडियो चेनल जैसे- रेड एफएम, रेनबों एफएम, रेडिया सिटी, रेडियो मिर्ची आदि शामिल है।
डाक व्यवस्था
- 1766 में लार्ड क्लाइब ने देश में पहली डाक व्यवस्था स्थापित की थी। देश का पहला डाक घर कलकता में खोला गया था। भारत में दुनिया का सबसे बड़ा डाक नेटवर्क है जिसमें 1.57 लाख डाकघर हैं।
- वर्तमान में बिहार परिक्षेत्र के जिला मुख्यालय में अवस्थित 31 मुख्य डाकघरों के अलावा 9,084 डाकघर हैं। इनमें से ग्रामीण क्षेत्र में 8610 (94.8%) और शहरी क्षेत्र में 474 (5.2%) है।
- पूरे भारत के डाक नेटवर्क में हिस्से के लिहाज से देखें, तो बिहार का देश में मात्र 5.8 प्रतिशत हिस्सा है। यद्यपि यह हिस्सा कम है क्योंकि देश की 8.6 प्रतिशत आबादी बिहार में रहती है।
- डाक विभाग ने पटना मुख्य डाकघर, भागलपुर जिला मुख्यालय और दरभंगा पीटीसी को विभागीय विरासत भवन घोषित किया है।
- डाक विभाग की दर्पण (डिजिटल एडवांसमेंट ऑफ रूरल पोस्ट ऑफिस फॉर ए न्यू इंडिया) परियोजना, डाक और वित्त संबंधी ऑनलाइन लेनदेन से संबद्ध है।
- बिहार के विभिन्न डाकघर बैंकों में कुल 2.99 करोड़ खाते हैं जिनमें विभिन्न योजनाओं के तहत 31.144 करोड़ रु. बकाया शेष मौजूद है। पूरे देश के खातों में बिहार के खातों का 8.2 प्रतिशत हिस्सा है जबकि देश के कुल बकाया शेष में बिहार के कुल बकाया शेष का मात्र 4.5 प्रतिशत हिस्सा है।
- बिहार के डाकघरों में 1 लाख निवेश खाते, 16 लाख मासिक आय वाले खाते और 6 लाख सुकन्या समिद्धि योजना के तहत खाते हैं।
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