बिहार में यूरोपीय व्यापारियों का आगमन
- सर्वप्रथम 17वीं शताब्दी में बिहार में यूरोपीय व्यापारियों का आगमन प्रारंभ हुआ।
- प्रारम्भ में बिहार के शोरा व्यापार पर डच व्यापारियों का प्रभुत्व था।
- बिहार में सबसे पहले पुर्तगाली आए। पुर्तगाली हुगली के जलमार्ग से पटना आए। पुर्तगाली अपने साथ मसाला, चीनी-मिट्टी के बर्तन इत्यादि लेकर आते तथा वे पटना से सूती वस्त्र ले जाते थे।
- बिहार में डच कंपनी की स्थापना 1632 ई. में हुई थी। डच फैक्ट्री वर्तमान पटना कॉलेज के उत्तरी हिस्से की इमारत थी।
- जाब चनाक का 1664 ई. में पटना फॅक्ट्री का प्रधान बनाया गया तथा वह इस पद पर 1680 ई. तक रहा। सर जॉन मार्शल ने इस दौरान जॉब चर्नाक के अधीन कार्य किया।
- बिहार के सूबेदार शाईस्ता खाँ द्वारा 1680 ई. में अंग्रेजी कंपनी के व्यापार पर5% कर लगाने से क्षुब्ध होकर जॉब चर्नाक ने हुगली शहर को 1686 ई. में लूट लिया।
- फर्रूखसियर ने अंग्रेजों को बिहार एवं बंगाल में व्यापार करने के लिए 1717 में पुनः स्वतंत्रता प्रदान कर दी।
- पटना फैक्ट्री को अंग्रेजों ने 1718 में पुनः खोल दिया। इस दौरान कंपनी ने व्यापार में घूसखोरी
- की प्रथा को प्रारंभ किया।
- नवाब अलीवर्दी खां के दबाव के कारण पटना फैक्ट्री 1750 में पुनः बंद कर दी गई, लेकिन हॉलवेल ने प्रयास करके 1755 में पटना फैक्ट्री को पुनः खोल दिया।
बिहार में यूरोपीय कंपनियाँ
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कंपनी का नाम
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स्थापना वर्ष
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उत्पाद
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पुर्तगाली फैक्ट्री
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17वीं सदी पूर्वार्ध
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सूती वस्त्र
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डच (नीदरलैण्ड) फैक्ट्री
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1632
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अनाज, शोरे, सूती वस्त्र
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ब्रिटिश फैक्ट्री
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1651
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नील, सूती वस्त्र
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डेन फैक्ट्री
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1774
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सूती वस्त्र
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- बिहार के सूबेदार सैय्यद हुसैन अली खाँ एवं उसका भाई अब्दुल्ला खां को सैय्यद बंधु के नाम से जाना जाता है जो शासक निर्माता के रूप में प्रसिद्ध थे।
- 1763 को मीर कासिम ने पटना में गिरफ्तार 148 कैदियों जिसमें पटना के अंग्रेजी एजेंट एलिस भी था, की हत्या करवा दी। यह घटना पटना हत्याकांड के नाम से विख्यात है।
- जेम्स अलेक्जेन्डर की अध्यक्षता में 1770 ई. में Revenue Council of Patna के नाम से एक लगान परिषद् का गठन किया गया। लगान परिषद के दो अन्य सदस्य रॉबर्ट पाल्क एवं जार्ज वैनसिटार्ट थे।
- 1770 ई. में बिहार का पूर्णिया जिला संन्यासी विद्रोह का केन्द्र था।
- सर जॉन शोर की स्थायी बंदोबस्त व्यवस्था को बिहार में गवर्नर जनरल लॉर्ड कार्नवालिस द्वारा 1793 ई. में लागू किया गया।
- जब ईस्ट इंडिया कंपनी को 1765 ई. में बिहार का दीवानी अधिकार प्राप्त हो गया तो उसके बाद बिहार का प्रशासन चलाने के लिए नायब नाजिम अथवा उप प्रांतपति का पद बनाया गया।
- 1772 ई. में वारेन हेस्टिंग्स ने शिताब राय को अपदस्थ कर उसके पुत्र कल्याण सिंह को राय रायान की उपाधि प्रदान की।
- वर्ष 1770 ई. के बाद 1783 ई. में पुनः बिहार में अकाल पड़ा। इस समस्या के समाधान के लिए और अनाज भंडारण के लिए 1784-1786 ई. में पटना गोलघर का निर्माण हुआ।
- पटना गोल घर का निर्माण ब्रिटिश इंजिनियर कप्तान जॉन गास्टिन ने करवाया था।
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