असहयोग आंदोलन और बिहार
- सितम्बर, 1920 में कांग्रेस का विशेष अधिवेशन कलकत्ता में हुआ जिसमें गांधीजी ने असहयोग आंदोलन का प्रस्ताव रखा जिसे सर्वसम्मति से पारित किया गया।
- बिहार में इस आंदोलन से जुड़े व्यक्तियों में प्रमुख थे मजहरूल हक, राजेन्द्र प्रसाद, ब्रजकिशोर प्रसाद और मोहम्मद शफी।
- बिहार प्रांतीय सम्मेलन का 12वां अधिवेशन भागलपुर में राजेन्द्र प्रसाद की अध्यक्षता में 28-29 अगस्त, 1920 को हुआ, जिसमें राजेन्द्र प्रसाद ने हिंदी में भाषण देते हुए असहयोग पर विशेष रूप से बल दिया।
- असहयोग संबंधी प्रस्ताव दरभंगा के धरणीधर ने प्रस्तुत किया, जबकि मुंगेर के शाह मोहम्मद जुब्बैर, पटना के गुलाम इमाम और मोतिहारी के गोरख प्रसाद ने इसका अनुमोदन किया।
- इस सम्मेलन में गांधीजी द्वारा सुझाए गए असहयोग कार्यक्रम को कार्यान्वित करने हेतु व्यावहारिक योजना निर्धारित करने के लिए एक समिति का गठन किया गया। राजेन्द्र प्रसाद मजहरूल हक और शाह मोहम्मद जुबैर समिति के सदस्य थे। समिति को सारण में होने वाले एक विशेष अधिवेशन के समक्ष अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करनी थी।
- सितम्बर, 1920 में लाला लाजपत राय की अध्यक्षता में आयोजित कोलकाता विशेष अधिवेशन में गांधीजी के असहयोग कार्यक्रम को स्वीकार कर लिया गया। नागपुर में कांग्रेस के वार्षिक अधिवेशन में असहयोग आंदोलन को पूर्ण स्वीकृति प्रदान की गई। इसके अंतर्गत परिषदों के चुनाव का बहिष्कार करना भी शामिल था। परिणाम स्वरूप मजहरूल हक, राजेन्द्र प्रसाद, ब्रजकिशोर प्रसाद, गोरख प्रसाद, धरणीधर तथा मोहम्मद शफी ने परिषद की उम्मीदवारी से नाम वापस से लिया।
- दिसंबर 1920 में गांधीजी की भागलपुर यात्रा के दौरान वहां शराबबंदी आंदोलन शुरू हुआ जबकि उनकी मुजफ्फरपुर की सभा में बाबू मनोरंजन प्रसाद सिन्हा रचित ‘फिरंगिया’ संगीत का गायन हुआ।
- सुप्रसिद्ध साहित्यकार राहुल सांकृत्यायन असहयोग आंदोलन के दौरान छपरा में सक्रिय थे।
- मजहरूल हक ने पटना के दीघा में खैरू मियां द्वारा दान में दिए गए जमीन पर सदाकत आश्रम’ स्थापित किया जिसमें यहां के छात्रों द्वारा चरखे बनाने का काम आरंभ हुआ।
- मोहम्मद फजलुल रहमान एवं राजेन्द्र प्रसाद ने मिलकर पटना-गया रोड पर बिहार राष्ट्रीय महाविद्यालय की 5 जनवरी, 1921 को स्थापना की। गांधीजी ने 6 फरवरी, 1921 को बिहार राष्ट्रीय महाविद्यालय तथा उसके भवन में ही बिहार विद्यापीठ का औपचारिक उद्घाटन किया।
- बिहार विद्यापीठ की स्थापना का उद्देश्य प्रांत में खोली गई सभी राष्ट्रीय संस्थाओं का समायोजन करना तथा उनका नियंत्रण एवं निर्देशन करना था। बिहार विद्यापीठ के कुलपति एवं उपकुलपति के पदों पर क्रमशः मजहरूल हक एवं ब्रजकिशोर प्रसाद आसीन हुए, जबकि राष्ट्रीय महाविद्यालय के प्राचार्य पर राजेन्द्र प्रसाद नियुक्त थे।
- 30 सितम्बर, 1921 को मजहरूल हक ने सदाकत आश्रम से ‘दि मदरलैंड’ नामक अखबार निकालना प्रारम्भ किया जिसका उद्देश्य राष्ट्रीय भावना का प्रसार, असहयोग कार्यक्रम का प्रसार और हिन्दू-मुस्लिम एकता का उपदेश देना था।
- 16 अगस्त, 1921 को अखिल भारतीय कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक पटना के सदाकत आश्रम में हुई।
- गाँधीजी के अतिरिक्त उसमें मोतीलाल नेहरू, राजेन्द्र प्रसाद, मौलाना मुहम्मद अली, जमनालाल बजाज उपस्थित थे। इस बैठक में 11 प्रस्ताव स्वीकृत हुए। इनमें सबसे महत्वपूर्ण प्रस्ताव विदेशी वस्त्रों का बहिष्कार के सम्बन्ध में था।
- नवम्बर, 1920 के मध्य में शाहाबाद के डुमराव में नशाबंदी आंदोलन शुरू किया गया तथा 13 नवम्बर, 1920 को नशाखोरी छोड़ने की अपील की गई।
- दिसम्बर, 1920 में अपनी अल्पकालिक यात्रा के क्रम में गाँधीजी के प्रभावस्वरूप कुछ राष्ट्रीय स्कूल खोले गए तथा बिहार में एक विद्यापीठ के गठन का निर्णय लिया गया।
- 27 नवम्बर, 1921 को बिहार प्रान्तीय कांग्रेस कमेटी ने कौमी सेवक दल की स्थापना की, इसका सर्वप्रमुख कार्य प्रांत में शांति बनाए रखना था।
- चम्पारण में असहयोग आन्दोलन के दौरान गिरफ्तार किए गए प्रमुख नेता थे विपिन बिहारी वर्मा, शिवधारी पांडे, गणेश प्रसाद साहू, रामदयाल साहू, रामदास प्रसाद, हरवंश सहाय और जयनारायण प्रसाद।
- उत्तर बिहार में किसान आंदोलन के नेता स्वामी विद्यानंद ने सरकारी नीति की कठोर आलोचना की, जबकि आरा में गुलाम इमाम ने ब्रिटिश सरकार पर मुसलमानों के हित का उल्लंघन करने का आरोप लगाया।
- पटना लॉ कॉलेज के छात्र सैयद मोहम्मद शेर और बिहार नेशनल कॉलेज के छात्र अब्दुल बारी एवं मोहम्मद शाकी ने कॉलेज छोड़ दिया। बाद में अब्दुल बारी एक उग्रपंथी नेता प्रमाणित हुए।
- बिहार विद्यार्थी परिषद् ने सरला देवी की अध्यक्षता में अपने हजारीबाग अधिवेशन में ब्रिटेन केराजकुमार के आगमन का विरोध करने का फैसला किया। जब राजकुमार 22 दिसम्बर, 1921 को बिहार आए तो नरम दल के अलावा शेष सभी लोगों ने राजकुमार का विरोध किया।
- इस विरोध की कार्रवाई में बिहार के अनेक नेता गिरफ्तार हुए। बिहार के राजनैतिक कैदियों के साथ जेल प्रशासन का व्यवहार पशुवत था जिसे मजहरूल हक ने अपने अखबार दि मरदलैंड के माध्यम से प्रचारित किया। तत्कालीन कारागार निरीक्षक बनातवाला ने मजहरूल हक पर मानहानि का मुकदमा दायर किया। मजहरूल हक पर एक हजार रुपए का जुर्माना यातीन महीने कारावास का दंड मिला, जिसमें से उन्होंने कारावास को चुना।
- 22 दिसम्बर, 1921 को प्रिन्स ऑफ वेल्स का पटना आगमन हुआ, उनको सर्वत्र काला झंडा दिखाया गया और उस दिन शहर में हड़ताल मनाई गई।
- जब अहसयोग आन्दोलन जोर पकड़ रहा था, उसी समय 5 फरवरी, 1922 को चौरी-चौरा कांड से क्षुब्ध होकर गाँधीजी ने असहयोग आन्दोलन को स्थगित कर दिया।
- असहयोग के अनेक कारण थे रौलेट एक्ट, जलियांवाला बाग हत्याकांड (13 अप्रैल, 1919), हंटर कमेटी की रिपोर्ट, भारतीयों द्वारा स्वराज की मांग आदि। खिलाफत आन्दोलन का बिहार में व्यापक प्रभाव पड़ा।
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