भारत छोड़ो आन्दोलन में बिहार का योगदान
द्वितीय विश्व युद्ध के प्रांरभ होने से विश्व में नए ध्रुवीकरण बनने शुरू हो गए थे। युद्ध खतरा भारत के द्वार तक आ पहुंचा था। 1941 ई. के दिसंबर में जापानी आक्रमण की गूंज में स्पष्ट रूप से महसूस की जाने लगी थी। जापानियों ने कलकत्ता पर भी छिटपुट बमबारी की थी। लगभग बिहार के सभी प्रांतों में भी इसी तरह का भय सता रहा था। 14 जनवरी, 1942 को पटना के स्थानीय अखबार ‘सर्चलाइट’ ने इसी आशय को टिप्पणी प्रकाशित की। 26 जनवरी, 1942 को ‘इण्डियन नेशन’ ने इसी तहर का आशय व्यक्त किया।
- युद्ध के खतरे से भारत की रक्षा कैसे हो यह भारत के राष्ट्रीय नेतृत्व की सर्वाधिक चिंता का विषय बन गया। अनुग्रह नारायण ने एक सेवा दल संगठित करने की योजना बनाई।
- अखिल भारतीय कांग्रेस के बंबई अधिवेशन में ग्वालिया टैंक मैदान में भारत छोड़ो आंदोलन का प्रस्ताव पास किया गया, जिसमें गांधीजी द्वारा करो या मरो का नारा दिया गया।
- इस प्रस्ताव को अखिल भारतीय कांग्रेस समिति ने 8 अगस्त, 1942 को स्वीकार कर लिया। लेकिन प्रस्ताव पारित होने से पूर्व ही इस आन्दोलन में सक्रिय भूमिका निभाने वाले प्रमुख नेताओं नारायण सिंह और सुखलाल सिंह को हजारीबाग में गिरफ्तार कर लिया गया।
- बिहार के प्रमुख नेता राजेन्द्र प्रसाद, अनुग्रह बाबू, श्रीकृष्ण सिंह, मथुरा बाबू इत्यादि को 9 अगस्त, 1942 को गिरफ्तार कर लिया गया।
- सरकार के दमनात्मक नीति के विरोध में जनता में विक्षोभ की लहर व्याप्त हो गई। सर्वप्रथम छात्रों ने विरोध जुलस निकाला। राजेंद्र प्रसाद की गिरफ्तारी के विरोध में पटना में विरोध जुलूस निकाला गया, जिसकी अध्यक्षता श्री सूरजदेव ने की थी।
- 10 अगस्त, 1942 को पुलिस ने सदाकत आश्रम, जिला प्रांतीय कांग्रेस कमिटि के प्रचार अधिकारी अमर किशोर सिंह के इंकार करने पर उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया।
- 11 अगस्त, 1942 को ‘अंग्रेजों भारत छोड़ो’, ‘झंडा ऊंचा रहे हमारा’, ‘भारत माता की जय’, ‘वन्दे मातरम्’, ‘हम सचिवालय पर झंडा फहराएंगे’…. जैसे ओजस्वी नारों के साथ छात्रों के एक जुलूस ने पटना में सचिवालय भवन के पूर्वी गेट पर राष्ट्रीय ध्वज फहराना शुरू किया।
- इससे वहां के तत्कालीन अंग्रेज जिलाधिकारी डब्ल्यू, जी. आर्चर (कलक्टर) ने बौखलाकर निहत्थे छात्रों पर अन्धाधुन्ध गोलियाँ चलवा दी, जिसमें सात नौजवान छात्र वहीं पर झंडा धार्म एक-एक कर शहीद हो गए लेकिन आठवां छात्र रामकृष्ण सिंह (छात्र-पटना कॉलेज, मोकामावासी) अंग्रेजों की आंखों में धूल झोंककर ब्रितानी झंडा (यूनियन जैक) को उतार कर भारतीय झंडा (तिरंगा फहराने में कामयाब हो गए।
- सचिवालय गोलीकांड के समय भारतीय अफसर उदित नारायण पाण्डेय (एस.डी.ओ.) और विश्वभर चौधरी (डिप्टी कलक्टर) थे। सचिवालय सुरक्षा की जिम्मेदारी भारतीय बंदुकधारी गोरखा पुलिस को सौंपी गई थी। सचिवालय कांड के बाद दो दिनों तक पटना बंद रहा।
- डुमरांव, गया, सिवान, कटिहार थानों पर झण्डा लगाने की कोशिश में क्रमशः कपिलमुनि, – श्यामबिहारी लाल, फुलेना प्रसाद श्रीवास्तव तथा ध्रुव कुमार को पुलिस की गोलियों का शिकार होना पड़ा।
- भारत छोड़ो आंदोलन में बिहार के गया, भागलपुर, सारण, पूर्णिया, शाहाबाद, मुजफ्फरपुर और चम्पारण स्वतः स्फूर्त जन विद्रोह के मुख्य केन्द्र थे।
- 9 अगस्त को राजेन्द्र प्रसाद को पटना में गिरफ्तार कर लिया गया और बांकीपुर बेल ले जाया गया। उसी दिन पटना में फूलन प्रसाद वर्मा तथा मथुरा प्रसाद को गिरफ्तार कर लिया गया।
- 10 अगस्त की सुबह डॉ. श्रीकृष्ण सिंह अपने गांव मोरे से पटना आते ही गिरफ्तार कर लिए गए।
- 11 अगस्त को अनुग्रह नारायण सिंह को भी गिरफ्तार कर लिया गया। दोनों को बांकीपुर जेल में रखा गया।
- श्री बलदेव सहाय ने सरकारी नीति के विरोध में महाधिवक्ता (एडवोकेट जनरल) के पद से त्यागपत्र दे दिया।
- सचिवालय गोलीकांड के विरोध में 12 अगस्त को पटना में पूर्ण हड़ताल रही। उसी दिन बिहार प्रान्तीय कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष महामाया प्रसाद सिन्हा को पटना रेलवे स्टेशन पर गिरफ्तार कर लिया गया।
- साचिवालय गोलीकांड के दिन कांग्रेस मैदान में जगत नारायण लाल की अध्यक्षता में आयोजित सभा में संचार सुविधाओं को ठप करने एवं सरकारी कार्यों को शिथिल करने का प्रस्ताव पारित हुआ।
पटना सचिवालय गोलीकाण्ड के सात शहीद (11 अगस्त, 1942)
|
|
शहीद
|
छात्र /कक्षा
|
निवासी
|
1.
|
रामानन्द सिंह
|
11वीं
|
शहादत नगर (पटना)
|
2.
|
रामगोविन्द सिंह
|
11वीं
|
दशरथा (पटना)
|
3.
|
उमाकान्त प्रसाद सिन्हा
|
11वीं
|
नरेन्द्रपुर (सारण)
|
4.
|
राजेन्द्र सिंह
|
11वीं
|
बनवारी चक (सारण)
|
5.
|
सतीश प्रसाद झा
|
11वीं
|
खड़हरा (भागलपुर)
|
6.
|
जगपति कुमार
|
स्नातक
|
खराटी (ओबरा, औरंगाबाद)
|
7.
|
देवीपद चौधरी
|
9वीं
|
जमालपुर, सिलहट (असम)
|
- महिलाओं ने जुलूस निकालकर कांग्रेस मैदान में भगवती देवी (राजेन्द्र प्रसाद की बहन) की अध्यक्षता में एक सभा आयोजित की और इस सभा में सुन्दरी देवी (शंभुशरण वर्मा की पत्नी) एवं रामप्यारी देवी (जगत नारायण लाल की पत्नी) ने वकीलों से वकालत छोड़ने का अनुरोध किया।
- विक्रम के नौलाख सिंह को भी 10 अगस्त की रात को गिरफ्तार कर लिया गया।
- 13 अगस्त की शाम को कदमकुआं में श्री जगतनारायण लाल की अध्यक्षता में एक सभा हुई जिसमें रेलवें लाइन, तार और टेलिफोन के तारों को काटना, संचार व्यवस्था को नष्ट करना, थाना, कचहरी, जेल एवं अन्य सरकारी संस्थाओं पर कब्जा करना, सरकारी कागजत आदि जलाना जैसे प्रस्ताव स्वीकृत किए गए। इन कार्यक्रमों के अनुसार प्रांत भर में स्वतः प्रेरित कार्रवाइयां व्यापक रूप से शुरू हो गई।
- फतुहा की भीड़ ने शाही वायुसेना के दो अधिकारियों को ट्रेन से खींच कर मार डला और तांगा में रखकर शहर में घुमाया। युरोपीय लोगों के प्रति जनता का यह बर्ताव 1857 ई. के बाद पहली बार देखने को मिला।
- इसी तरह 18 अगस्त एवं 30 अगस्त, 1942 को मुंगेर जिले के पसराहा एवं रूइहार में दुर्घटनाग्रस्त होकर गिरने वाले शाही वायुसेना के कर्मचारियों की हत्या कर दी गई।
- पुराना शाहाबाद (अब बक्सर) जिलें में 16 अगस्त, 1942 को डुमरांव थाने के पास दरोगा देवनाथ सिंह के रिवाल्वर की गोली से श्री कपिल मुनि, श्री रामदास विश्वकर्मा, श्री गोपाल कहार, श्री सुखारी कहार, श्री सुघाशरण अहीर, श्री बालेश्वर दूबे शहीद हुए।
- महाराजगंज थाना भवन पर झंडा फहराने के प्रयास में श्री फुलेना प्रसाद श्रीवास्तव शहीद हो गए। लेकिन उनकी पत्नी तारा रानी ने उनके हाथ से झंडा फहरा दिया। तारा देवी को गिरफ्तार कर लिया गया।
- चम्पारण (मोतिहारी) में 9 अगस्त, 1942 को पुलिस की गोलिया खाकर सर्वश्री यदुराउत, श्री महंत लक्ष्मण दास, श्री द्वारका कहार, श्री हरिहर ठाकुर, श्री रामऔतार साह, श्री कुमेल राय शहीद हो गए।
- हाजीपुर में स्थानीय हाई स्कूल के एक शिक्षक श्री अक्षय कुमार अपने पद से इस्तीफा देकर छात्रों का नेतृत्व कर रहे थे। हाजीपुर के रेलवे स्टेशन, गोदाम और जेल पर लोगों ने आक्रमण किए। जेल से 79 कैदी छुड़ा लिए गए। जेल से छुडाएं जाने वालों में डॉ. गुलजार प्रसाद, श्री राजेश्वर पटेल प्रभृति थे।
- कटिहार में 13 अगस्त, 1942 को लोगों ने थाने का घेराव किया और रजिस्ट्री ऑफिस जला दिया। सरकारी अधिकारियों ने क्रुध होकर गोली चलवा दी जिसमें श्री ध्रुव कुमार कुन्दु, श्रो रामाशीष सिंह, श्री बिहारी साह, श्री रामघार सिंह, श्री दामोदर सिंह, श्री मुंशी साह, श्री कलांनद मंडल शहीद हो गए। डॉ. किशोरी लाल कुन्दू (ध्रुव कुमार कुन्दू के पिता) को दूसरे दिन रौतरा स्टेशन पर गिरफ्तार कर लिया गया।
- कटिहार के नौजवानों को ध्रुव की शहादत और डॉ. कुन्दु की गिरफ्तारी की खबर सुनकर भारी धक्का लगा। भारत में अंग्रेजी राज का विरोध करने के लिए ध्रुव दल की स्थापना की गई जिसके सेनानायक जयप्रकाश नारायण थे। नवल किशोर नीरज इसके सचिव तथा श्री चुनचुन सिंह, अजब लाल भगत, विश्वनाथ दत्त भोला झा, तारणी प्रसाद साह, शत्रुघ्न प्रसाद सिंह, शांति वाग्ची और कमलकृष्ण बोस इसके सदस्य थे।
- 27 अगस्त, 1942 को पूर्णिया कलक्टरी पर झंडा फहराने का प्रयास तथा जुलूस का नेतृत्व करते हुए अंग्रेजी सरकार के सिपाहियों की गोली खाकर श्री योगेन्द्र नारायण सिंह, श्री परमेश्वर दास, श्री शेख इदाहक, श्री मोती मंडल, श्री शुकदेव भगत, श्री कुताई शाहू शहीद हुए।
- चम्पारण के गोविन्दगंज थाना में ऋषि दल के अंतर्गत लगभग एक महीने तक जनता का राज्य बना रहा। इसका गठन करने में श्री रामाश्रय दुबे का प्रमुख हाथ था।
- 1942 के आंदोलन में दरभंगा महाराज ने न केवल सरकार को अपने सशस्त्र लोगों की सेवाएं देने से इंकार किया बल्कि गिरफ्तार लोगों की मदद भी की।
- दिसम्बर, 1942 में कांग्रेस समाजवादियों द्वारा ‘स्वतंत्रता संग्राम मोर्चा’ शीर्षक से एक प्रलेख निकाला गया था, जिसमें क्राति को आगे बढ़ाने हेतु एक समग्र शक्ति के रूप में मोर्चा संगठित करने पर बल दिया गया था।
- भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान पटना से प्रकाशित ‘सर्चलाइट’, ‘इंडियन नेशन’ और ‘राष्ट्रवाणी’ का प्रकाशन नहीं हुआ।
- 12 अगस्त को सरकारी नीति के विरोध में डी. एल. नन्द केयोलियर ने पटना बुद्ध समिति के सचिव पद से त्यागपत्र दे दिया था।
- पटना के फतेहपुर (मालसलामी थाना) में 65 व्यक्तियों ने कुछ दिनों तक समानान्तर प्रशासन चलाया। बिहार प्रांतीय कांग्रेस कमेटी का मुख्यालय अस्थायी तौर पर यहीं से काम करता था।
- 30 अगस्त, 1942 को जगत नारायण लाल ने यहाँ एक सभा की और इसके कार्यकर्ताओं को ‘शहीद संघ’ नाम दिया।
- पटना जिले के फतुहा थाना खुसरूपुर के श्री द्वारिका प्रसाद आर्य ने एक रक्षा दल गठित की और कुछ समय तक सफलता के साथ प्रतिरोध किया।
- बिहार में प्रशासन को पंगु बनाने के उद्देश्य से ‘सियाराम दल’ नामक गुप्त संगठन की गतिविधियां 1943-44 तक जारी रहीं।
- केवल सरकार द्वारा प्रचारित ‘पटना डेली न्यूज’ नामक समाचार बुलेटिन ही उस दौरान बिहार से प्रकाशित होता था।
- ‘सदा-ए-आम’ नामक एक उर्दू पत्र की प्रतियां सरकार खरीद लेती थी और मुफस्सिल में वितरित करती थी।
- मुंगेर से मुंगेर समाचार’ नामक एक सप्ताहिक प्रकाशित किया जा रहा था।
- किसान सभा के मुख पत्र ‘हुँकार’ अपने सम्पादकीय और संवाददाताओं की रिपॉट सरकार से दिखा लिया करते थे।
- भारत रक्षा अधिनियम के तहत पटना का सरस्वती प्रेस सरकारी आदेश से बंद कर दिया गया।
- 16 दिसंबर, 1942 को मुजफ्फरपुर के श्रीकृष्ण प्रेस पर छापा मारकर पुलिस ने प्रेस को जब्त कर लिया।
अगस्त क्रांति का बिहार के विभिन्न क्षेत्रों पर प्रभाव
- 1942 की अगस्त क्रांति की चिंगारी सम्पूर्ण बिहार में फूट पड़ी। सारण जिले में जगलाल चौधरी ने थाने को जला दिया।
- चम्पारण जिले के गोविन्दपुर थाने में ऋषिजी, महादेव प्रसाद, जगन्नाथ प्रसाद और ब्रह्मानंद तिवारी ने एक ‘समानांतर सरकार’ बनायी थी और वे मुखबिरों को सजा देते थे। मुजफ्फरपुर जिले के मोनापुर के थानेदार को लोगों ने जिंदा जला दिया।
- बेलसंड थाने पर गोली चली, जिसमें जयमंगल सिंह, सुखदेव सिंह, भुपन सिंह, नौजाद सिंह, बंशी तत्मा, सरसात शाह, सुंदर महरा, छटू साह, बलदेव सुहरी तथा सुखु लोहार मारे गये।
- भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान किसानों के भारी विद्रोह के कारण सरकारी अधिकारियों ने सारण जिला को कुख्यात रूप से अपराधी जिला घोषित कर दिया।
अगस्त क्रांति के दौरान गिरफ्तार नेता
|
नाम
|
जेल
|
राजेन्द्र प्रसाद
|
बांकीपुर जेल
|
श्री कृष्ण सिंह
|
बांकीपुर जेल
|
अनुयह नारायण सिन्हा
|
बांकीपुर जेल
|
जयप्रकाश नारायण
|
हजारीबाग जेल
|
योगेन्द्र शुक्ल
|
बक्सर जेल
|
- भागलपुर में अगस्त क्रांति का नेतृत्व छात्रों ने किया था। यहाँ शिवधारी सिंह, सुखदेव चौधरी, कैलाश बिहारी लाल गिरफ्तार हुए।
- भागलपुर-मुंगेर के ग्रामीण क्षेत्रों में अगरजीत पासवान के नेतृत्व में तुमूल आंदोलन चलाया गया।
- 13 अगस्त को हजारीबाग की सरस्वती देवी तथा एक अन्य महिला बंदी को भागलपुर सेन्ट्रल जेल ले जाया जा रहा था। उन्हें नाथनगर में एक भीड़ ने पुलिस के हाथों से छुड़ा लिया। सरस्वती देवी ने लाजपत पार्क में एक क्रांतिकारी भाषण किया।
- दरभंगा में कुलानंद वैदिक और संघवारा में कर्पूरी ठाकुर ने संचार व्यवस्था ठप करने का काम किया।
राष्ट्रीय आंदोलन में बिहार की भूमिकाः एक नजर में
|
वर्ष
|
क्षेत्र/केन्द्र
|
गतिविधियाँ
|
12 जून, 1857
|
देवघर रोहिणी गांव[
|
30वीं रेजिमेंट की टुकड़ी द्वारा स्थानीय मेजर की हत्या बिहार में विद्रोह को शुरूआत मानी जाती है।
|
|
पटना
|
पौर अली खान (पुस्तक बिक्रेता) द्वारा नेतृत्व
|
25 जुलाई , 1857
|
दानापुर छावनी
|
जगदीशपुर के जमीदार द्वारा आरा पर अधिकार
|
1905
|
देवघर
|
स्वदेशी आंदोलन के समय गोल्डन लीग की स्थापना
|
1906
|
|
रामकृष्ण सोसाइटी के माध्यम से क्रांतिकारी विचारों का प्रसार
|
1908
|
मुजफ्फरपुर
|
खुदीराम बोस एवं प्रफ्फुल चाकी के द्वारा किंग्सफोर्ड की हत्या
|
1913
|
पटना
|
सचिन्द्र नाथ सान्याल द्वारा अनुशीलन समिति का गठन
|
खिलाफत आंदोलन
|
1919
|
पटना, गया, मुंगेर, पूर्णिया
|
इसके समर्थन में विभिन्न सभाएं आयोजित की गई मौलाना मजहरूल हक की पत्रिका ‘द मदर लैंड’ के द्वारा बिहार में जनजागरण का प्रयास
|
मार्च 1919
|
फुलवारी शरीफ
|
मुस्लिम उलेमा सम्मेलन
|
असहयोग आंदोलन
|
अगस्त 1920
|
भागलपुर
|
अध्यक्ष राजेंद्र प्रसाद, राष्ट्रीय महाविद्यालय की स्थापना (बाद में बिहार विद्यापीठ-1921)
|
|
|
|
साइमन कमीशन का विरोध
|
दिसंबर 1928
|
पटना
|
साइमन कमीशन के आगमन का व्यापक विद्रोह, काला झंडा दिखाया गया
|
सविनय अवज्ञा आंदोलन
|
15 अप्रैल, 1930
|
सारण चंपारण
|
नमकीन मिट्टी से नमक बनाकर सत्याग्रह की औपचारिक शुरूआत
|
16 अप्रैल, 1930
|
पटना
|
मंगल तालाब से नमक बनाने का कार्यक्रम, इसमें राजेन्द्र प्रसाद और जे बी कृपलानी की भागीदारी
|
|
भागलपुर
|
महादेव लाल सर्राफ ने नेतृत्व किया
|
मई 1930
|
|
गांधीजी को गिरफ्तारी के विरोध में जनप्रदर्शन
|
8 मई, 1930
|
|
बिहार कांग्रेस कमिटी ने विदेशी वस्त्र एवं शराब दुकानों पर धरना प्रदर्शन किया
|
1933
|
|
पुनः सविनय अवज्ञा शुरू बिहार में भी इसका असर, विभिन्न वर्गों की भूमिका-कृषक, व्यापारी, माध्यम वर्ग, महिला आदि
|
व्यक्तिगत सत्याग्रह
|
1940
|
बिहार
|
प्रेरणा-विनोभा भावे, प्रथम सत्याग्रही श्री कृष्णा सिं प्रथम महिला सत्याग्रही जानकी देवी, जगतरानी देवी
|
9 अगस्त, 1942
|
पटना
|
राजेन्द्र प्रसाद को गिरफ्तार कर बांकीपुर (पटना: में रखा गया बलदेव सहाय का महाधिवक्ता पद से इस्ती
|
भारत छोड़ो आंदोलन
|
10 अगस्त, 1942
|
|
सरकार की प्रतिक्रिया
प्रमुख राष्ट्रवादी संस्थाओं, कार्यालयों पर पुलिस का को जैसे सदाकत आश्रम, कांग्रेस सोशलिस्ट पार्टी, बिहार विद्यापीठ
|
11 अगस्त, 1942
|
पटना
|
सचिवालय घटना
इस दौरान पढना जिला अधिकारी डब्लू जी आर्चर २ आदेश पर पुलिस गोलीबारी में 7 छात्र शहीद हो गए उमाकांत प्रसाद सिन्हा, सतीश प्रसाद झा, रामानंद सिं राजेन्द्र सिंह, जगतपति कुमार सिंह, देवीपद चौधरी, रामगोविंद सिंह।
|
बिहार में भूमिगत संगठन
- भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान बिहार में गुप्त क्रांतिकारी गतिविधियां भी चलाई गई थीं।
- 29 अक्टूबर को गया के एक औषधालय में पुलिस को बम बनाने के समान मिले।
- 14 नवम्बर, 1942 को एक प्रमुख फरार समाजवादी नरसिंह नारायण आजाद को गया में पकड़ लिया गया।
- भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान गिरफ्तार लोकनायक जयप्रकाश नारायण हजारीबाग जेल से 9 नवम्बर, 1942 को रामनन्दन सिंह, योगेन्द्र शुक्ल, सूरज नारायण सिंह, गुलाब चन्द्र गुप्त (गुलाबी) और शालीग्राम सिंह के साथ भागने में सफल रहे।
- जेल फरारी घटना में शामिल रहने के संदेह में राम नारायण सिंह, कृष्ण वल्लभ सहाय और सुखलाल सिंह को गिरफ्तार कर भागलपुर जेल भेज दिया गया।
- हजारीबाग जेल से फरार योगेन्द्र शुक्ल को बाद में 4 दिसम्बर, 1942 को करनौती के बालगोविन्द सिंह के साथ मुजफ्फरपुर में गिरफ्तार कर लिया गया।
- 7 दिसम्बर को योगेन्द्र शुक्ल पटना लाये गये और उन्हें बक्सर जेल भेज दिया गया। जेल से भागने के बाद जयप्रकाश नारायण के साथ रामनन्दन मिश्र और शालिग्राम सिंह, अच्युत पटवर्धन की बहन विजया के साथ कलकत्ता चले गये।
- वहाँ से उन्होंने सूरज नारायण सिंह और विजया के साथ नेपाल तराई के जंगली इलाकों में छापामार युद्ध का प्रशिक्षण देने के लिए शिविर स्थापित किया।
आजाद दस्ता
- मार्च, 1943 में आजाद दस्ता के अखिल भारतीय केन्द्र और बिहार प्रांतीय कार्यालय का गठन जयप्रकाश नारायण के द्वारा नेपाल में किया गया।
- आजाद दस्ता का संचालन नेपाल में कोसी नदी के दलकारों के टापू नामक स्थान से किया जाता था।
- इस समय तक श्यामनन्दन सिंह के साथ डॉ. राममनोहर लोहिया भी नेपाल पहुँच गये थे।
- डॉ. लोहिया संचार एवं प्रचार विभाग का निर्देशन करते थे। आजाद दस्ता के मुख्य प्रशिक्षक सरदार नित्यानन्द सिंह थे और बिहार के लिए भी श्री सूरजनारायण सिंह के अधीन एक स्वतंत्र परिषद् स्थापित की गई थी।
- सरदार नित्यानन्द सिंह सोनबरसा में पुलिस की गोलियों से शहीद हुए।
- मई, 1943 में जयप्रकाश नारायण, डॉ. लोहिया, श्यामनन्दन सिंह, कार्तिक प्रसाद सिंह, ब्रजकिशोर सिंह, श्यामसुन्दर और बैद्यनाथ झा को अचानक नेपाल सरकार द्वारा गिरफ्तार करके हनुमान नगर जेल में रखा गया था।
- सरदार नित्यानंद सिंह और सूरज नारायण के नेतृत्व में क्रांतिकारियों का एक जत्था हनुमान नगर जेल से जयप्रकाश नारायण और कुछ अन्य बंदियों को छुड़ा लिया था।
- 18 दिसम्बर, 1943 को जयप्रकाश नारायण पुनः मुगलपुरा में गिरफ्तार कर लिये गए।
- फरवरी, 1946 में जयप्रकाश नारायण की रिहाई के प्रश्न पर दबाव बनाने के उद्देश्य से ‘जयप्रकाश दिवस’ मनाया गया।
- मार्च, 1946 में सम्पन्न विधान सभा चुनाव में 152 सीटों में से कांग्रेस के 68 और मुस्लिम लोग के 34 सदस्य निर्वाचित हुए थे।
- 24 मार्च, 1946 को ब्रिटिश मंत्रिमंडल के तीन सदस्य पैथिक लॉरस, स्टेफर्ड क्रिप्स एवं एबी. अलेक्जेण्डर के कैबिनेट मिशन ने नया संविधान बनाने तथा अंतरिम सरकार के गठन की संस्तुति की।
- कांग्रेस ने कैविनेट मिशन योजना को स्वीकार कर लिया पर अंतरिम सरकार की योजना का मुस्लिम लीग ने विरोध किया।
- 30 मार्च, 1946 को श्रीकृष्ण सिंह के नेतृत्व में बिहार में दूसरा कांग्रेसी मंत्रिमंडल बना।
- जून, 1946 में सम्पन्न संविधान सभा के चुनाव में कांग्रेस को 296 सीटों में से 111 पर विजय प्राप्त हुई।
- कांग्रेस की इस जीत के बाद मुस्लिम लीग ने पाकिस्तान प्राप्त करने के लिए 16 अगस्त, 1946 के दिन को देश भर में ‘प्रत्यक्ष कार्यवाही दिवस’ के रूप में मनाया।
- उसी दिन कलकत्ता में भयंकर साम्प्रदायिक दंगे शुरू हो गए और इसका दुःखद अंत पूर्वी बंगाल में ढाका, नोआखली और त्रिपुरा जिलों में हिन्दुओं की बड़े पैमाने पर हत्या और लूटपाट के साथ हुआ।
- पूर्वी बंगाल को प्रतिक्रिया बिहार में भी हुई। 1946 के अंत में प्रांत के कई स्थानों पर साम्प्रदायिक दंगे भड़क उठे। इस साम्प्रदायिक दंगे का व्यापक प्रभाव छपरा, पटना, बिहारशरीफ, जहानाबाद, बांका आदि शहरों पर हुआ।
- मार्च, 1947 में गांधीजी साम्प्रदायिक दंगों के बाद बिहार में शाति और सद्भावना का संदेश देने के उद्देश्य से आए थे।
- 9 दिसम्बर, 1946 को स्वतंत्र भारत की संविधान निर्माण के लिए संविधान सभा की प्रथम बैठक बिहार के सच्चिदानंद सिन्हा की अध्यक्षता में सम्पन्न हुई। बाद में संविधान सभा के स्थायी अध्यक्ष डॉ. राजेन्द्र प्रसाद बने।
- 15 अगस्त, 1947 को भारत को स्वतंत्रता मिलने के बाद बिहार में प्रथम स्वतंत्रता दिवस बड़े उत्साह से मनाया गया।
- जयराम दौलतराम बिहार के प्रथम राज्यपाल और डॉ. श्रीकृष्ण सिंह बिहार के प्रथम मुख्यमंत्री के रूप में 15 अगस्त, 1947 को पद भार ग्रहण किया। उसी दिन राज्यपाल ने 1942 की क्राति में पटना सचिवालय गोलीकांड में शहीद छात्रों की स्मृति में पटना में बनाए जाने वाले शहीद स्मारक की आधारशिला रखी।
|