लोकगीत
- बिहार के लोक साहित्य में गीतों का प्रमुख स्थान रहा है।
- विभिन्न अवसरों पर गाए जाने वाले गीतों के अतिरिक्त विविध प्रसंगों पर आधारित गीत भी लोकगीत की श्रेणी में आते हैं।
- ये सभी गीत लोक संस्कृति से जुड़े हुए हैं। इन गीतों में सिर्फ छंदों की ही नहीं बल्कि सुर, ताल एवं लय की भी प्रधानता होती है।
- ‘नगमत असफी’ नामक संगीत पुस्तक के रचनाकार राजाशाह हैं।
बिहार में प्रचलित लोकगीत
- संस्कार गीत: बालक-बालिकाओं के जन्मोत्सव, मुंडन, पट्टी पूजन, जनेऊ तथा विवाह आदि पर गाये जाने वाली संस्कार गीत है-सोहर, खेलौनो, कोहबर, समूहबनी आदि इसके प्रमुख उदाहरण हैं।
- ऋतु गीत: बिहार में मौसम या ऋतुओं के अनुसार अलग-अलग गीत गाने का प्रचलन है। इसमें विभिन्न ऋतुओं से संबंधित गीत; जैसे फगुआ या होली, चैता, कजली, हिण्डोला, चतुर्मासा, बारहमासा आदि गीत इसके अंतर्गत आते हैं।
- पर्वगीत: राज्य में विशेष पर्वो पर गाये जाने वाले मांगलिक गीतों को ‘पर्वगीत’ कहा जाता है। होली, दीपावली, छठ, तीज, जिऊतिया, बहुरा, पीड़िया, रामनवमी, जन्माष्टमी तथा अन्य शुभ अवसरों पर गाये जाने वाले गीतों में प्रमुखतः शब्द, लय एवं गीतों में भारी समानता होती है।
- पेशा गीतः इस श्रेणी के अंतर्गत आने वाले गीत विभिन्न पेशा या रोजगार से संबंधित होते हैं। जैसे- रोपनी सोहनी, जांता पिसाई, छप्पर छाते समय हवाई गीत इत्यादि ।
- गाथा गीतः यह गीत राज्य में प्रचलित विविध लोकगाथाओं पर आधारित हैं। इसे निम्न श्रेणियों में वर्गीकृत किया गया है-
- लोरिकायन: यह वीर रस से ओत-प्रोत एक लोकगाथा है। मुख्यतः इसे अहीर (यादव) लोग गाते हैं। इस गाथा में लोरिक के पुत्रों, भतीजों और पोते इन्दल का वर्णन है। इस गाथा को मैथिली, भोजपुरी एवं मगही क्षेत्र के लोग अलग-अलग ढंग से गाते एवं सुनते हैं।
- नयका बंजारा: इस गाथा में मुख्य पात्र के रूप में शोभनायका नामक वणिक पुत्र इसमें नायक एवं उसकी पत्नी के प्रेम-प्रसंग, विरह आदि का वर्णन है।
- विजयमल: विजयमल गीत में राजा विजयमल की वीरता का उल्लेख है। ये धुनधुनिया के राजा धुरमल सिंह के पुत्र हैं। विजयमल विवाह करने हेतु बावनगढ़ जाता है। वहां वह बारातियों के साथ बन्दी बना लिया जाता है। सिंघल बघेड़ा किसी तरह विजयमल को अपनी पीठ पर बैठाकर वापस घर लाता है। विजयमल जब बड़ा होता है, तो वह प्रतिशोधवश बावनगढ़ पर चढ़ाई करता है। इसमें वह अदम्य वीरता का प्रदर्शन कर काफी समय से बंदी अपने पिता तथा बारातियों को कैद छुड़ाकर अपनी पत्नी को साथ लेकर घर लौटता है। यह गीत भी राज्य के अधिकांश क्षेत्रों में गाया जाता है।
महत्वपूर्ण लोकगीत
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लोकगीत
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विशेषता
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नाचारी
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भगवान शंकर के भजन गीतों को एक विशेष राग में गाना। इस राग के जनक महाकवि विद्यापति हैं।
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लगनी राग
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मिथिला क्षेत्र में विवाह के अवसर पर गाए जाने वाले गीत।
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फाग
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होली के अवसर पर गाए जाने वाले गीत ।
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चैता
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चैत्र के महीना में एक विशेष राग में गाए जाने वाला वियोग श्रृंगार से संबंधित गीत ।
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पूरबी राग
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स्त्रियों द्वारा गाया जाने वाला गीत।
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- सलहेसः यह लोकगीत लोककथा के नायक-नायिका की प्रशंसा में गाया जाता है। इस गीत में दौना मालिन द्वारा सलहेस को छुड़ाने की गाथा का वर्णन किया गया है। उसके एक प्रतिद्वन्द्वी ने ईर्ष्यावश सलहेस को चोरी के झूठे आरोप में बंदी बनवा दिया था । दौना मालिन ने साहस कर अपने प्रेमी सलहेस को किस प्रकार मुक्त कराया; इसी पर यह लोकगीत आधारित है।
- दीना भदरी: करुण रस से भरे इस गीत में दीना एवं भदरी नामक दो बहादुर भाईयों की गाथा का वर्णन है। लोकगाथाओं के अनुसार, इसके नायक दीना एवं भदरी मुसहर जाति के थे।
- नूनाचार: यह गाथा गीत विशेष रूप से मिथिला क्षेत्र में प्रचलित है। इसमें वीर रस तथा करुण रस की प्रधानता है। यह गाथा राजा कर्ण से संबंधित है। यह गाथा मगही क्षेत्र के छतरी चौहान और अंगिका क्षेत्र के ‘धुधली-घटमा’ नामक गाथा से मिलती है।
- मीरायन: इस गाथा गीत का नायक ‘मीरा’ नामक एक युवक है। डिहरी नगर का हरफुल नामक व्यक्ति नुनजागढ़ की लड़ाई में अपने पुत्रों के साथ मारा गया। उसकी मृत्यु के बाद उसकी पत्नी के गर्भ से उत्पन्न पुत्र ‘मीरा’ ने युवा होकर नुनजागढ़ को जीतकर अपने पिता की मौत का बदला लिया।
- अमर सिंह बारिया: यह गाथा गीत वीर रस से ओत-प्रोत है। अमर सिंह बारिया एक वीर पुरुष थे। उन्होंने तिरहुत के एक अत्याचारी राजा उपमार को परास्त किया था। कहा जाता है कि वे कमला के परम उपासक थे और कमला नदी की कृपा से ही उन्हें विजय की प्राप्ति हुई थी।
- धुधली – घटमा: यह गाथा गीत अंगिका क्षेत्र में विशेष रूप से प्रचलित है। इस गाथा का नायक धुधली अपने पिता रैया रनपाल की मृत्यु का बदला अपने मामा घटमा सहित सातों भाइयों को मारकर लेता है। यह गाथा गीत चम्पारण जिले में धुधली – बटेड़ियां और दरभंगा जिले में राय-रनपाल के नाम से प्रसिद्ध है।
- राजा हरिचन गीतः यह गाथा गीत राजा हरिचन से संबंधित है। राजा हरिचन (हरिश्चन्द्र) बड़ा ही तपस्वी था। उसकी तपस्या से पूरा इन्द्रलोक भयभीत हो गया, तब इन्द्र ने विश्वामित्र को राजा हरिचन को पथभ्रष्ट करने के उद्देश्य से भेजा।
बिहार की प्रमुख लोक कथाएँ
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लोक कथा
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विशेषता
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ऐतिहासिक कथाएँ
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व्यक्तियों, स्थानों प्रसिद्ध वंशों की उत्पत्ति, जातियाँ- उपजातियों की उत्पत्ति से संबंधित
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हँसी-मजाक की कथाएँ
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बारों, मक्षाओं इत्यादि से संबंधित
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सामान्य कथाएँ
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राजा-रानी से संबंधित
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सृष्टि कथाएँ
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सूर्य, चंद्र, आकाश, पृथ्वी, नदी, पशु- पक्षी, मनुष्य की उत्पत्ति से संबंधित
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अनुश्रुतियाँ कथाएँ
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यौन संबंधी, भूत-प्रेत, फुटकर
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- छतरी चौहान गीतः यह गाथा गीत मगही क्षेत्र में विशेष रूप से प्रचलित है। इस गाथा में छतरी चौहान अपने पिता की मृत्यु का बदला अपने अत्याचारी मामा से लेता है।
- कुँवर वृजभारः इस गाथा गीत को सोरठी वृजभार भी कहा जाता है। यह गाथा गीत बहुत ही मार्मिक और रोमांचक होता है। यह बिहार के अतिरिक्त दूसरे प्रदेशों में भी प्रचलित है। उल्लेखनीय है कि इस गाथा पर नाथपन्थियों का स्पष्ट प्रभाव है।
- जाति संबंधी गीतः समाज में रहने वाली विभिन्न जातियां अपने मनोनुकूल गीत गाती हैं, जिन्हें जातीय गीत कहा जाता है। विभिन्न जातियों-अहीरों, दुसाधों, चमारों, कहारों, धोबियों आदि के अपने अलग-अलग गीत हैं। ऐसे गीत बहुत कम पाए जाते हैं।
- भजन या श्रुति गीतः इसके अंतर्गत निरगुन, शीतला माता के गीत, ग्राम देवताओं के गीत तथा अन्य पूजा-पाठ से सम्बधित गीत गाए जाते हैं।
- बाल क्रीड़ा गीतः ये गीत प्रायः बच्चों के खेलते समय गाए जाते हैं। इसके अंतर्गत ‘ओका बोका तीन-तड़ोका’, कबड्डी, पहाड़े के गीत आदि आते हैं।
- विशिष्ट गीतः इसके अंतर्गत पीड़िया के गीत, पानी मांगने के गीत इत्यादि आते हैं। उपरोक्त लोकगीतों के अतिरिक्त बिहार में समय-समय पर; जैसे- झूमर, झूले के गीत, बिरहा, जोगा, सांझपरानी, प्रभावी, निर्गुण, देवी-देवताओं के गीत गाने का प्रचलन है।
बिहार के प्रमुख लोकगायक
बिहार में पद्मश्री शारदा सिन्हा, डॉ. शंकर प्रसाद, मोतीलाल ‘मंजूल’, विंध्यवासिनी देवी, नन्द किशोर प्रसाद, कमला देवी, केसरी नन्दन भगत, कुमुद अखौरी, ग्रेस कुजूर, विष्णु प्रसाद सिन्हा, ब्रज किशोर दुबे, भरत सिंह भारती, संतराज सिंह ‘रागेश’, योगेन्द्र सिंह अलबेला, अजित कुमार ‘अकेला’, भरत शर्मा ‘व्यास’, शंभूराम, कविता चौधरी, उमाकान्त ‘कमल’, ललिता झा, उर्वशी, रेणुका सहाय, मनोज तिवारी ‘मृदुल’, पवन सिंह, कल्पना, अरविन्द पाण्डेय ‘कल्लू’, खेसारी लाल यादव, राकेश मिश्रा, कमलबास कुँवर’, गायत्री ठाकुर, विनय बिहारी, विजेन्द्र गिरी और अनु दुबे आदि बहुचर्चित एवं बहुप्रशंसित लोकगायक हैं।
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