विधान मण्डल
देश में संघीय शासन व्यवस्था होने के कारण प्रांतों में पृथक् विधानमंडल का प्रावधान किया गया है। भारतीय संविधान राज्यों को एक सदनीय अथवा द्विसदनीय विधानमंडल का प्रावधान करता है यह राज्य की इच्छा पर निर्भर है कि वे एक सदनीय अथवा द्विसदनीय विधान मण्डल चाहते हैं। बिहार में द्विसदनीय विधानमंडल है जिसमें विधान परिषद और विधान सभा शामिल हैं। राज्य का विधानमंडल राज्यपाल विधान सभा एवं विधान परिषद् को सम्मिलित करके बनता है।
विधान परिषद्
- यह विधान मण्डल का द्वितीय सदन अथवा उच्च सदन है। इसके सदस्यों की संख्या कम-से- कम चालीस और अधिक से अधिक विधान सभा सदस्यों की संख्या के एक तिहाई होती है।
- इंग्लैंड के सम्राट द्वारा दिल्ली दरबार में 12 दिसम्बर, 1911 को बिहार- उड़ीसा प्रांत के लिए लेफ्टिनेंट गवर्नर नियुक्त करने की घोषणा हुई और 22 मार्च, 1912 को नए प्रांत का गठन हुआ।
- 1 अप्रैल, 1912 को चालर्स स्टुअर्ट बेली बिहार एवं उड़ीसा राज्य के लेफ्टिनेंट गवर्नर बने।
- लेफ्टिनेंट गवर्नर को सलाह देने के लिए इण्डियन काउंसिल ऐक्ट 1861 एवं 1909 में संशोधन कर गवर्नमेंट ऑफ इण्डिया ऐक्ट, 1912 द्वारा बिहार विधान परिषद् का गठन किया गया जिसमें 3 पदेन सदस्य 21 निर्वाचित सदस्य एवं 19 मनोनीत सदस्य रखे गए।
- विधान परिषद् की प्रथम बैठक 20 जनवरी, 1913 को पटना कॉलेज (बाकीपुर) के सभागार में हुई।
- 22 नवम्बर, 1921 ई. को बिहार विधान परिषद् में महिलाओं को मताधिकार दिए जाने संबंधी विधेयक पारित हुआ जो बिहार के गौरवशाली लोकतांत्रिक इतिहास में एक महत्वपूर्ण बिन्दु है।
- भारत अधिनियम, 1919 के अंतर्गत 29 दिसम्बर, 1920 को बिहार और उड़ीसा की गवर्नर का प्रांत घोषित किया गया। विधान परिषद् की सदस्य संख्या-43 से बढ़ाकर 103 कर दी गई जिसमें 76 निर्वाचित, 27 मनोनीत तथा 2 विषय विशेष सदस्यों होते थे।
- 7 फरवरी, 1921 को बिहार (उड़ीसा भी शामिल) विधान परिषद् अस्तित्व में आई, जिसके प्रथम सभापति वालंटर मीडे थे। 28 मार्च, 1936 को बिहार के लिए अलग विधान परिषद् का गठन हुआ।
- विधान परिषद् के सदस्यों का कार्यकाल 6 साल का होता है। एक तिहाई सदस्य हर दूसरे वर्ष की समाप्ति पर अवकाश ग्रहण करते हैं। इसमें चुने जाने वाले सदस्यों की न्यूनतम आयु 30 वर्ष होती है। अन्य अर्हताएं संविधान के अनुच्छेद 173 द्वारा निर्धारित हैं।
- विधान परिषद् के लिए 1/3 सदस्यों का निर्वाचन राज्य विधान सभा के सदस्यों द्वारा आनुपातिक प्रतिनिधित्व की एकल संक्रमणीय मत पद्धति द्वारा होता है 1/3 सदस्यों का निर्वाचन स्थानीय निकायों द्वारा 1/12 सदस्यों का निर्वाचन पंजीकृत स्नातकों द्वारा तथा 1/12 सदस्यों का निर्वाचन शिक्षक प्रतिनिधियों द्वारा होता है। शेष 1/6 भाग का मनोनयन राज्यपाल द्वारा साहित्य, कला, विज्ञान समाज सेवा के विशेष अनुमानों में से किया जाता है।
- विधान परिषद् के सत्र की अध्यक्षता सदस्यों द्वारा निर्वाचित सभापति तथा उप-सभापति द्वारा की जाती है।
- यदि किसी राज्य की विधान सभा अपने कुल सदस्यों के पूर्ण बहुमत तथा उपस्थित व मतदान करने वाले के दो तिहाई बहुमत से प्रस्ताव पारित करे तो भारतीय संसद उस राज्य में विधान परिषद् का गठन या उत्सादन कर सकती है।
- वर्तमान में केवल छ राज्यों उत्तर प्रदेश (99) कर्नाटक (75) महाराष्ट्र (78) बिहार (75), आन्ध्र प्रदेश (50) तथा तलगाना (40) में विधान परिषद् विद्यमान हैं। लेकिन 7वां विधान परिषद् के रूप में 7 जुलाई 2021 को पश्चिम बंगाल विधान सभा में पारित हो चुका है।
- बिहार विधान परिषद् NeVA प्लेटफॉर्म (पेपरलेस मोड) पर जाने वाला देश का पहला सदन बन गया है। बिहार सरकार द्वारा साल 2021 में शीतकालीन सत्र को पूरी तरह से पेपरलेस मोड में आयोजित किया गया था।
- मार्च 2022 में नागालैण्ड विधानसभा NeVA प्लेटफार्म पर आने वाला देश का प्रथम विधानसभा बन गया।
विधान सभा
- बिहार राज्य विधानमंडल में विधानसभा को निम्न सदन कहा जाता है। इसमें सदस्यों की कुल संख्या 243 है।
- नवम्बर, 2000 में बिहार राज्य पुनर्गठन अधिनियम 2000 के तहत ऐलो इंडियन को सीट के पास चली गई थी लेकिन 104वें संविधान संशोधन 2021 द्वारा इसे समाप्त कर दिया गया है।
- 91वां संविधान संशोधन, 2003 के तहत केंद्र/राज्य में मुख्यमंत्री सहित उस राज्य को विधान सभा के कुल सदस्य संख्या के 15% से अधिक मंत्रिपरिषद में सदस्यों की संख्या नहीं हो सकती है। लेकिन छोटे राज्यों में मंत्रियों की संख्या 12 (मुख्यमंत्री सहित) से कम नहीं होगी।
- भारतीय संविधान के अनुच्छेद 170 के अनुसार विधान सभा के प्रतिनिधियों को प्रत्यक्ष मान से वयस्क मताधिकार के द्वारा निर्वाचित किया जाता है। इसकी अधिकतम संख्या 500 तथा निम्नतम 60 निर्धारित की गयी है।
- 243 सदस्यों का निर्वाचन वयस्क मताधिकार के आधार पर किया जाता है। इनमें 203 सामान्य वर्ग के लिए 38 अनुसूचित जाति के लिए तथा 2 अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित है।
- विधान सभा का सदस्य होने के लिए न्यूनतम आयु 25 वर्ष है अन्य अर्हताएं संविधान के अनुच्छेद 173 द्वारा निर्धारित की गई है।
- विधान सभा के निर्वाचित सदस्यों (अनुच्छेद 178) में से किसी एक सदस्य को अध्यक्ष तथा दूसरे को उपाध्यक्ष के रूप में निर्वाचित किया जाता है।
- अध्यक्ष तथा उपाध्यक्ष अपने कर्तव्यों का संचालन विधान सभा सचिवालय की सहायता से करते हैं, जिसका प्रधान मुख्य सचिव कहलाता है। विधान सभा को राज्य के लिए कानून बनाने, बजट पारित करने, कार्यपालिका पर अंकुश लगाने सम्बन्धी व्यापक शक्तियाँ संविधान द्वारा प्रदान की गई हैं।
- आपात स्थिति लागू होने पर विधान सभा की अवधि 6 माह तक बढ़ायी जा सकती है। इसे पुनः 6 महीने और बढ़ाई जा सकती है। इस प्रकार इस अवधि को कुल 3 वर्ष तक बढ़ाई जा सकती है।
- राज्यपाल इसे पांच वर्ष से पूर्व भी भंग कर सकता है।
नोट: 104वें संविधान संशोधन अधिनियम, 2019 द्वारा लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में एंग्लो-इंडियन के लिए सीटों के आरक्षण को समाप्त कर दिया गया है। संविधान के लागू होने के बाद से 70 वर्ष की अवधि के लिए यह प्रावधान लागू किया गया था जो 25 जनवरी, 2020 को इसकी अवधि समाप्त हो रही थी, जिसे अनुच्छेद 334 में संशोधन कर समाप्त कर दिया गया है। लेकिन इसी संशोधन के तहत एससी/एसटी के लिए आरक्षण को 10 वर्षों के लिए, 25 जनवरी, 2030 तक और बढ़ा दिया गया है।
विधान सभा के अधिकारी
प्रांतीय विधान सभा के कार्यवाही के सुचारू रूप से संचालन हेतु राज्य विधान सभा के सदस्य विधान सभा अध्यक्ष तथा उपाध्यक्ष का चयन करते हैं। ये विधान सभा के पदाधिकारी कहलाते हैं।
विधान सभा के अध्यक्ष
- विधान सभा के सदस्य अपने सदस्यों के मध्य से ही अध्यक्ष का चुनाव करते हैं। वह सदन की कार्यवाही का संचालन करता है, अनुशासन बनाए रखता है, भाषण देने, प्रश्न पूछने और विधेयक प्रस्तावों को पेश करने आदि की अनुमति देता है।
- वह प्रस्ताव पर मतदान कराता है तथा परिणाम की घोषणा करता है। पक्ष-विपक्ष में मत बराबर होने की स्थिति में निर्णायक मत देता है।
- विधान सभा अध्यक्ष ही धन विधेयक को प्रमाणित करता है। उसका निर्णय अंतिम होता है। वह अपना त्यागपत्र विधान सभा के उपाध्यक्ष को देता है।
- 14 दिन की पूर्व सूचना पर उसे तत्कालीन सदस्यों के बहुमत से हटाया जा सकता है।
विधान सभा के उपाध्यक्ष
- विधान सभा उपाध्यक्ष विधान सभा का द्वितीय प्रमुख अधिकारी होता है। विधान सभा अध्यक्ष की अनुपस्थिति में उसका सारा कार्य विधान सभा उपाध्यक्ष करता है। वह विधान सभा अध्यक्ष को त्यागपत्र देता है।
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