कार्यपालिका
- संसदीय शासन पद्धति के अनुरूप बिहार में भी कार्यपालिका के दो स्वरूप हैं- नाममात्र की कार्यपालिका तथा वास्तविक कार्यपालिका |
- राज्य प्रशासन में राज्यपाल एक संवैधानिक अध्यक्ष के रूप में हैं, जिसमें शासन की सभी शक्तियां निहित हैं किंतु उसे राज्य मंत्रिपरिषद् की सलाह के अनुरूप कार्य करना होता है।
राज्यपाल
- राज्य का संवैधानिक प्रधान राज्यपाल होता है, जबकि वास्तविक प्रधान मुख्यमंत्री होता है।
- राज्यपाल राष्ट्रपति के प्रसादपर्यंत ही पद पर रहता है। अतः राष्ट्रपति उसे कार्यकाल समाप्ति के पूर्व भी हटा सकते हैं।
राज्यपाल के पद पर नियुक्त किए जाने वाले व्यक्ति में निम्न योग्यताएं होना अनिवार्य हैं:
- वह भारत का नागरिक हो।
- वह 35 वर्ष की उम्र पूरी कर चुका हो।
- किसी प्रकार के लाभ के पद पर न हो।
- वह राज्य विधान सभा का सदस्य चुने जाने योग्य हो ।
- राज्यपाल उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश अथवा वरिष्ठतम न्यायाधीश के सम्मुख अपने पद व गोपनीयता की शपथ ग्रहण लेता है।
- राज्यपाल विधानमंडल का सत्राह्वान, सत्रावसान तथा विघटन करता है।
उन्मुक्तियाँ एवं विशेषाधिकार
- राज्यपाल अपने कर्तव्य पालन के संबंध में किसी भी न्यायालय में उत्तरदायी नहीं होगा ।
- अपने कार्यकाल के दौरान राज्यपाल को गिरफ्तार नहीं किया जा सकता है।
- कार्यकाल के दौरान राज्यपाल के विरुद्ध फौजदारी मुकदमा नहीं शुरू किया जा सकता है।
राज्यपाल की शक्तियाँ एवं कार्य
- राज्यपाल राज्य की कार्यपालिका का प्रधान होता है। संविधान के अनुसार राज्य की समस्त कार्यपालिका शक्तियाँ राज्यपाल में निहित होती हैं (अनुच्छेद-154)।
- राज्यपाल की शक्तियाँ तथा कार्यों को मुख्य रूप से निम्न वर्गों में बाँटा जा सकता है- 1. कार्यपालिका, 2. विधायी, 3. वित्तीय, 4. न्याय -संबंधी, 5. स्वविवेकी एवं आपातकालीन शक्तियां ।
राज्यपाल की कार्यपालिका संबंधित शक्तियाँ
- मुख्यमंत्री की नियुक्ति
- अन्य मंत्रियों की नियुक्ति
- महाधिवक्ता की नियुक्ति
- राज्यपाल राज्य के विश्वविद्यालयों का कुलाधिपति होता है तथा कुलपतियों को भी नियुक्त करता है।
- राज्य लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष व अन्य सदस्यों की नियुक्ति राज्यपाल करता है।
- मुख्यमंत्री से सूचना प्राप्त करने का अधिकार
- राज्य के उच्च न्यायालय में न्यायाधीशों की नियुक्ति के सम्बन्ध में राष्ट्रपति को परामर्श देता है।
बिहार में राष्ट्रपति शासन
|
क्र.
|
अवधि
|
राज्यपाल
|
1.
|
29.06.1968-26.02.1969
|
नित्यानंद कानूनगो
|
2.
|
06.07.1969-16.02.1970
|
नित्यानंद कानूनगो
|
3.
|
09.01.1972-19.03.1972
|
देवकांत बरूआ
|
4.
|
30.04.1977-22.06.1977
|
जगन्नाथ कौशल
|
5.
|
17.02.1980-08.06.1980
|
डॉ. ए. आर. किदवई
|
6.
|
28.03.1995-04.04.1995
|
डॉ. ए. आर. किदवई
|
7.
|
12.02.1999 – 08.03.1999
|
सुंदर सिंह भंडारी
|
8.
|
07.03.2005-24.11.2005
|
सरदार बूटा सिंह
|
विधायी शक्तियाँ
- राज्यपाल विधान मण्डल का अभिन्न अंग है (अनुच्छेद-164)।
- राज्यपाल विधान मण्डल का सत्राह्नान करता है, उसका सत्रावसान करता है तथा उसका विघटन करता है। राज्यपाल विधानसभा के अधिवेशन अथवा दोनों सदनों के संयुक्त अधिवेशन को संबोधित करता है।
- राज्य विधान सभा के किसी सदस्य पर अयोग्यता का प्रश्न उत्पन्न होता है, तो अयोग्यता संबंधी विवाद का निर्धारण राज्यपाल चुनाव आयोग से परामर्श करके करता है।
- राज्य विधान मण्डल द्वारा पारित विधेयक राज्यपाल के हस्ताक्षर के बाद ही अधिनियम बन पाता है। अध्यादेश जारी करना (अनुच्छेद-213)
वित्तीय शक्तियाँ
- बिना राज्यपाल की अनुशंसा के विधान मंडल में धन विधेयक नहीं प्रस्तुत किया जा सकता है।
- प्रत्येक वित्तीय वर्ष के आरंभ होने के पहले राज्यपाल विधान मंडल में वित्त मंत्री द्वारा बजट प्रस्तुत करवाता है।
- राज्य की आकस्मिक निधि उसके ही अधीन है जिसमें वह राज्य विधान मंडल की स्वीकृति मिलने तक आकस्मिक घटनाओं से निपटने के लिए अग्रिम धन उपलब्ध करा सकता है।
न्यायिक शक्तियाँ
- अनुच्छेद 161 के अंतर्गत राज्यपाल, राज्य के कानून के उल्लंघन करने के परिणाम स्वरूप किसी व्यक्ति को दी गई सजा को कम कर सकता है, या पूरी तरह क्षमादान कर सकता है। किन्तु, वह मृत्युदंड को माफ नहीं कर सकता और न सैनिक अदालत द्वारा दंडित किये गए अपराधी के संबंध में कुछ कर सकता है।
विवेकाधिकार या स्वविवेकी शक्तियां
- राज्य की सांविधानिक तंत्र की विफलता की स्थिति में राज्यपाल अपने विवेकाधिकार का – प्रयोग करते हुए अपना प्रतिवेदन राष्ट्रपति को भेज सकता है।
- वह राज्य के विधान मंडल द्वारा पारित विधेयक को अपने विवेकाधिकार से राष्ट्रपति के विचारार्थ सुरक्षित रख सकता है; यदि उसे लगे कि उक्त विधेयक संघीय कानून या नीतियों के प्रतिकूल है।
- पराजित / अल्पमत मंत्रिपरिषद् की सलाह पर विधान सभा को भंग करने के संबंध में अपने विवेकाधिकार का प्रयोग कर सकता है।
- यदि विधान सभा में किसी दल को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला हो, तो वैसी स्थिति में अपने विवेकाधिकार का प्रयोग करने का अवसर उसे अधिक मिलता है।
- विवेकाधिकार शक्ति के अंतर्गत राज्यपाल द्वारा किए गए किसी भी कार्य को न्यायालय में प्रश्नगत नहीं किया जा सकता है।
आपात शक्तियाँ
जब राज्यपाल को यह समाधान हो जाता है कि ऐसी परिस्थितियां उत्पन्न हो गई हैं जिनमें राज्य का शासन संविधान के उपबंधों के अनुसार नहीं चलाया जा सकता तो वह राष्ट्रपति को प्रतिवेदन भेजकर (अनुच्छेद 356) यह कह सकता है कि राष्ट्रपति राज्य के शासन के सभी या कोई कृत्य स्वयं ग्रहण कर ले (इसे सामान्यतः राष्ट्रपति शासन कहा जाता है)।
राज्यपाल की स्थिति
- यदि हम राज्यपाल के उपर्युक्त अधिकारों पर दृष्टिगत करें तो ऐसा लगता है कि राज्यपाल एक बहुत शक्तिशाली अधिकारी है, किन्तु वास्तविकता इससे सर्वथा भिन्न है। हमने संसदीय शासन प्रणाली को अपनाया है, जिसमें मंत्रिपरिषद् विधान मण्डल के प्रति उत्तरदायी होती है, अत: वास्तविक शक्तियां मंत्रिपरिषद् को प्राप्त होती हैं, न कि राज्यपाल को ।
- राज्यपाल एक संवैधानिक प्रमुख के रूप में कार्य करता है किन्तु असाधारण स्थितियों में उसे इच्छानुसार कार्य करने के अवसर प्राप्त हो सकते हैं।
केन्द्र शासित प्रदेशों के संवैधानिक प्रमुख के पदनाम
उपराज्यपाल: दिल्ली, पुदुचेरी, अण्डमान-निकोबार द्वीप समूह, जम्मू कश्मीर, लद्दाख
प्रशासक: चंडीगढ़, लक्षद्वीप, दादर-नागर हवेली एवं दमन दीव |
बिहार की राजव्यवस्था: सारगर्भित तथ्य
|
विधान मंडल का रूप
|
द्विसदनीय
|
विधान सभा में कुल सदस्यों की संख्या
|
243
|
विधान परिषद् में सदस्यों की संख्या
|
75
|
विधान सभा में अनारक्षित स्थानों की संख्या
|
203
|
विधान सभा में SC/ST के लिए आरक्षित स्थान
|
38/2
|
बिहार से चुने जाने वाले लोक सभा के सदस्यों की संख्या
|
40
|
बिहार से चुने जाने वाले राज्य सभा के सदस्यों की संख्या
|
16
|
लोक सभा में अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित स्थान
|
6
|
प्रखण्डों की संख्या
|
534
|
जिलों की संख्या
|
38
|
जिला परिषद्
|
38
|
नगर परिषद्
|
49
|
नगर निगम
|
12
|
नगर पंचायत
|
81
|
बिहार के राज्यपाल
|
क्र.सं.
|
नाम
|
कार्यकाल
|
1.
|
जयराम दास दौलतराम
|
15.08.1947-11.01.1948
|
2.
|
माधव श्री हरि अणे
|
12.01.1948-16.06.1952
|
3.
|
रंगनाथ रामचंद्र दिवाकर
|
16.06.1952-05.07.1957
|
4.
|
डॉ. जाकिर हुसैन
|
06.07.1957-11.05.1962
|
5.
|
एम.ए. आयंगर
|
12.05.1962-06.12.1967
|
6.
|
नित्यानंद कानूनगो
|
07.12.1967-20.01.1971
|
7.
|
न्यायमूर्ति उज्ज्वल नारायण सिन्हा (कार्यवाहक)
|
20.01.1971-31.01.1971
|
8.
|
देवकांत बरुआ
|
01.02.1971-03.02.1973
|
9.
|
आर.डी. भंडारे
|
03.02.1973-15.06.1976
|
10.
|
जगन्नाथ कौशल
|
16.06.1976-27.05.1978
|
11.
|
न्यायमूर्ति कृष्णबल्लभ नारायण सिंह (कार्यवाहक)
|
27.05.1978-26.06.1978
|
12.
|
जगन्नाथ कौशल
|
27.06.1978-30.01.1979
|
13.
|
न्यायमूर्ति कृष्णबल्लभ नारायण सिंह (कार्यवाहक)
|
30.01.1979-19.09.1979
|
14.
|
ए.आर. किदवई
|
20.09.1979-14.03.1985
|
15.
|
पी.वी. सुब्बैया
|
15.03.1985-25.02.1988
|
16.
|
गोविंद नारायण सिंह
|
26.02.1988-23.01.1989
|
17.
|
न्यायमूर्ति दीपक कुमार सेन (कार्यवाहक)
|
24.01.1989-28.01.1989
|
18.
|
आर.सी.डी. प्रधान
|
29.01.1989-02.03.1989
|
19.
|
जगन्नाथ पहाड़िया
|
03.03.1989-02.02.1990
|
20.
|
न्यायमूर्ति जी. जी. सोहनी (कार्यवाहक)
|
02.02.1990-16.02.1990
|
21.
|
मो. यूनुस सलीम
|
16.02.1990-14.02.1991
|
22.
|
बी.एस. रेड्डी (कार्यवाहक)
|
14.02.1991-18.03.1991
|
23.
|
मोहम्मद शफी कुरैशी
|
19.03.1991-13.08.1993
|
24.
|
ए. आर. किदवई
|
14.08.1993-26.04.1998
|
25.
|
सुंदर सिंह भंडारी
|
27.04.1998-15.03.1999
|
26.
|
न्यायमूर्ति बृजमोहन लाल (कार्यवाहक)
|
15.03.1999-06.10.1999
|
27.
|
सूरजभान (कार्यवाहक)
|
06.10.1999-23.11.1999
|
28.
|
वी.सी. पांडे
|
23.11.1999-12.06.2003
|
29.
|
एम.रामा जोइस
|
12.06.2003-01.10.2004
|
30.
|
वेदप्रकाश मारवाह (कार्यवाहक)
|
01.11.2004-04.11.2004
|
31.
|
बूटा सिंह
|
05.11.2004-31.01.2006
|
32.
|
गोपालकृष्ण गांधी
|
31.01.2006-22.06.2006
|
33.
|
रामकृष्ण सूर्यभान गवई
|
22.06.2006-10.07.2008
|
34.
|
आर. एल. भाटिया
|
10.07.2008-29.06.2009
|
35.
|
देवानंद कुंवर
|
29.06.2009-22.03.2013
|
36.
|
डी.वाई. पाटिल
|
22.03.2013-26.11.2014
|
37.
|
केशरीनाथ त्रिपाठी
|
27.11.2014-15.08.2015
|
38.
|
रामनाथ कोविंद
|
16.08.2015-21.06.2017
|
39.
|
केशरीनाथ त्रिपाठी
|
22.06.2017-03.09.2017
|
40.
|
सत्यपाल मलिक
|
04.09.2017-21.08.2018
|
41.
|
लाल जी टंडन
|
22.08.2018-28.07.2019
|
42.
|
फागु चौहान
|
29.07.2019 अब तक
|
नोट: स्वतंत्रता पूर्व बिहार के प्रथम राज्यपाल (1921) लॉर्ड सत्येन्द्र प्रसन्न सिन्हा थे।
स्त्रोत: बिहार सरकार www.governor.bih.nic.in
|
मुख्यमंत्री
- राज्य – प्रशासन में मुख्यमंत्री सर्वाधिक महत्वपूर्ण व्यक्ति होता है और प्रशासन का केन्द्रबिन्दु होता है।
- मुख्यमंत्री की नियुक्ति राज्यपाल (अनुच्छेद 164 (1) ) द्वारा की जाती हैं। साधारणत: वैसे व्यक्ति को मुख्यमंत्री नियुक्त किया जाता है जो विधान सभा में बहुमत दल का नेता हो ।
- राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली पुदुचेरी एवं जम्मू-कश्मीर में चुनाव पश्चात् मुख्यमंत्री की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा होती है और मुख्यमंत्री राष्ट्रपति के प्रति उत्तरदायी होता है।
- राज्य कार्यपालिका का वास्तविक प्रधान मुख्यमंत्री ही होता है।
- मुख्यमंत्री राज्यपाल एवं मंत्रिमंडल के बीच कड़ी का काम करता है।
सर्वाधिक समय तक वाले शीर्ष पांच मुख्यमंत्री ( 2020 )
|
|
सीएम
|
टर्म
|
समय
|
1.
|
नीतीश कुमार
|
07
|
5,530+….
|
2.
|
श्री कृष्ण सिंह
|
03
|
4,918
|
3.
|
राबड़ी देवी
|
03
|
2,746
|
4.
|
लालू प्रसाद यादव
|
02
|
2,687
|
5.
|
जगन्नाथ मिश्र
|
03
|
2,006
|
नोट: सबसे कम समय के लिए सीएम रहने का रिकॉर्ड सतीश प्रसाद सिंह को जाता है। वे संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी से थे। वे महज 4 दिन, 28 जनवरी से फरवरी, 1968 तक कार्यकाल में रहे। दूसरे कम समय के लिए मुख्यमंत्री रहने का रिकॉर्ड नीतीश कुमार के नाम है, जिनका कार्यकाल 8 दिनों (3 से 10 मार्च, 2000) का है।
|
बिहार के मुख्यमंत्री
|
क्र.
|
नाम
|
कार्यकाल
|
1.
|
श्रीकृष्ण सिंह
|
02.04.1946-31.01.1961
|
2.
|
दीपनारायण सिंह
|
01.02.1961-18.02.1961
|
3.
|
विनोदानंद झा
|
18.02.1961-02.10.1963
|
4.
|
कृष्ण बल्लभ सहाय
|
02.10.1963-05.03.1967
|
5.
|
महामाया प्रसाद सिन्हा
|
05.03.1967-28.01.1968
|
6.
|
सतीश प्रसाद मंडल (कार्यवाहक)
|
28.01.1968-01.02.1968
|
7.
|
बिंदेश्वरी प्रसाद मंडल
|
01.02.1968-22.03.1968
|
8.
|
भोला पासवान शास्त्री
|
22.03.1968-29.06.1968
|
1.
|
राष्ट्रपति शासन
|
29.06.1968-26.02.1969
|
9.
|
सरदार हरिहर सिंह
|
26.02.1969-22.06.1969
|
10.
|
भोला पासवान शास्त्री
|
22.06.1969-04.07.1969
|
2.
|
राष्ट्रपति शासन
|
06.07.1969-16.02.1970
|
11.
|
दरोगा प्रसाद राय
|
16.02.1970-22.12.1970
|
12.
|
कर्पूरी ठाकुर
|
22.12.1970-02.06.1971
|
13.
|
भोला पासवान शास्त्री
|
02.06.1971-09.01.1972
|
3.
|
राष्ट्रपति शासन
|
09.01.1972-19.03.1972
|
14.
|
केदार पांडेय
|
19.03.1972-02.07.1973
|
15.
|
अब्दुल गफुर
|
02.07.1973-11.04.1975
|
16.
|
जगन्नाथ मिश्र
|
11.04.1975-30.04.1977
|
4.
|
राष्ट्रपति शासन
|
30.04.1977-24.06.1977
|
17.
|
राम सुंदर दास
|
24.06.1977-21.04.1979
|
18.
|
जगन्नाथ मिश्र
|
21.04.1979-17.02.1980
|
5.
|
राष्ट्रपति शासन
|
17.02.1980-08.06.1980
|
19.
|
कर्पूरी ठाकूर
|
08.06.1980-14.07.1983
|
20.
|
चंद्रशेखर सिंह
|
14.08.1983-12.03.1985
|
21.
|
बिंदेश्वरी दुबे
|
12.03.1985-13.02.1988
|
22.
|
भागवत झा आजाद
|
14.02.1988-10.03.1989
|
23.
|
सत्येंद्र नारायण सिंह
|
11.03.1989-06.12.1989
|
24.
|
जगन्नाथ मिश्र
|
06.12.1989-10.03.1990
|
25.
|
लालू प्रसाद यादव
|
10.03.1990-28.03.1995
|
6.
|
राष्ट्रपति शासन
|
28.03.1995-04.04.1995
|
26.
|
लालू प्रसाद यादव
|
04.04.1995-25.07.1997
|
27.
|
श्रीमती राबड़ी देवी
|
25.07.1997-11.02.1999
|
7.
|
राष्ट्रपति शासन
|
12.02.1999-08.03.1999
|
28.
|
श्रीमती राबड़ी देवी
|
09.03.1999-02.03.2000
|
29.
|
नीतीश कुमार
|
03.03.2000-10.03.2000
|
30
|
श्रीमती राबड़ी देवी
|
11.03.2000-06.03.2005
|
8.
|
राष्ट्रपति शासन
|
07.03.2005-24.11.2005
|
31
|
नीतीश कुमार
|
24.11.2005-24.11.2010
|
32.
|
नीतीश कुमार
|
24.11.2010-19.05.2014
|
33.
|
जीतन राम मांझी
|
20.05.2014-21.02.2015
|
34.
|
नीतीश कुमार
|
22.02.2015-19.11.2015
|
35.
|
नीतीश कुमार
|
20.11.2015-26.07.2017
|
36.
|
नीतीश कुमार
|
27.07.2017-13.11.2020
|
37.
|
नीतीश कुमार
|
16.11.2020 – अब तक
|
नोट:
1. नीतीश कुमार 13.11.2020-15.11.2020 तक कार्यवाहक मुख्यमंत्री रहें।
2. सबसे लम्बी अवधि (262 दिन), सबसे कम अवधि (7 दिन) का राष्ट्रपति शासन है।
3. देश में सर्वाधिक 8 बार मुख्यमंत्री पद का शपथा लेने का रिकार्ड नीतीश कुमार का है।
|
मंत्रिपरिषद्
- संविधान के अनुच्छेद-163 के अनुसार एक मंत्रिपरिषद् की व्यवस्था की गई है जो राज्यपाल को उनके कार्यों में परामर्श एवं सहायता देने के लिए होती है।
- मंत्रिपरिषद् सामूहिक रूप से राज्य की विधान सभा के प्रति तथा व्यक्तिगत रूप से राज्यपाल के प्रति उत्तरदायी होती है।
- संविधान के अनुच्छेद-164 (क) के अनुसार, राज्यपाल द्वारा सर्वप्रथम मुख्यमंत्री की नियुक्ति की जाती है तथा उसके बाद मुख्यमंत्री की सलाह पर अन्य मंत्रियों की नियुक्ति की जाती है।
मंत्रिपरिषद् के कार्य
- मंत्रिपरिषद् ही राज्य की नीतियों को निर्धारित करती है।
- विधान मंडल की सर्वोच्च समिति होने के कारण यह विधान मंडल का अधिवेशन बुलाती है, स्थगित करती है तथा इसकी कार्यसूची तैयार करती है।
- राज्य के सार्वजनिक वित्त पर मंत्रिपरिषद् का ही अधिकार है। मंत्रिपरिषद् ही बजट बनाती है तथा उसे विधान मंडल में प्रस्तुत करती है।
- राज्यपाल राज्य के समस्त महत्वपूर्ण पदों पर नियुक्ति मंत्रिपरिषद् की सलाह पर करता है।
|