राज्य के प्रमुख आयोग
बिहार मानवाधिकार आयोग
- बिहार मानवाधिकार आयोग की स्थापना 3 जनवरी, 2000 को की गई थी। इसका पुनर्गठन 25 जून, 2008 को किया गया।
- इस आयोग का उद्देश्य राज्य में मानवाधिकारों के संरक्षण के लिए कार्य करना है। यह आयोग वैसे कानूनों पर अपने विचार देता है, जिनमें मानवाधिकार के हनन की कोई प्रवृत्ति सामने आती है।
बिहार राज्य महिला आयोग
- बिहार राज्य महिला आयोग का गठन महिलाजों के अधिकारों के सरक्षण तथा उनके कल्याण के कार्यक्रमों की निगरानी के उद्देश्य से किया गया है।
- बिहार राज्य महिला आयोग महिला अधिकारों पर राज्य के विभिन्न जिलों में कार्यशालाओं का आयोजन करता है।
बिहार लोक सेवा आयोग
- संविधान के अनुच्छेद-315 में संघ के लिए संघीय लोक सेवा आयोग तथा राज्यों के लिए राज्य लोक सेवा आयोग गठित करने का प्रावधान है।
- बिहार लोक सेवा आयोग 1 अप्रैल, 1949 को अस्तित्व में आया।
- आयोग के सदस्यों का कार्यकाल 6 वर्ष या 62 वर्ष की आयु तक (इसमें से जो पहले हो) होता है।
- आयोग के अध्यक्ष तथा सदस्यों को नियुक्ति मंत्रिपरिषद् की सलाह पर राज्यपाल द्वारा की जाती है।
- बिहार लोक सेवा आयोग के प्रथम अध्यक्ष राजधारी सिन्हा थे।
राज्य सूचना आयोग
- सूचना का अधिकार अधिनियम सम्पूर्ण भारत (तब जम्मू-कश्मीर छोड़कर) में 12 अक्टूबर, 2005 से लागू हो चुका है।
- इस अधिनियम का मूल कर्तव्य यह है कि लोकतांत्रिक शासन में सरकार और सरकारी मशीनरी जनता के प्रति जवाबदेह हो तथा सरकारी मशीनरी के क्रियाकलाप में पारदर्शिता हो।
- अधिनियम की धारा 15 के अनुसार प्रत्येक राज्य सरकार को राज्य सूचना आयोग का गठन राज्य सरकार की अधिसूचना द्वारा 22 अगस्त, 2005 को किया गया।
- धारा 15 के अनुसार राज्य सूचना आयोग में राज्य मुख्य सूचना आयुक्त के अलावा राज्य सूचना आयुक्तों की संख्या 10 से अधिक नहीं होगी, आवश्यकता अनुसार रखी जा सकेगी।
- मुख्य सूचना आयुक्त तथा राज्य सूचना आयुक्त के पद पर नियुक्ति के लिए वही व्यक्ति पात्रता रखते हैं, जो सार्वजनिक जीवन में प्रतिष्ठित व उत्कृष्ट है तथा जिन्हें जानकारी/ज्ञान, विधि, विज्ञान तथा तकनीकी, सामाजिक सेवा, प्रबंध, पत्रकारिता, मास मीडिया या प्रशासन और शासन का व्यापक ज्ञान और अनुभव है। आयोग का मुख्यालय पटना में है।
- राज्य मुख्य सूचना आयुक्त पाँच वर्षों की पदावधि या 65 वर्ष की आयु, जो भी पहले हो, के लिए पद धारण करेंगे।
- राज्य मुख्य सूचना आयुक्त का दर्जा कंन्द्रीय निर्वाचन आयोग के निर्वाचन आयुक्त के समकक्ष रखा गया है, उन्हें देय वेतन एवं भत्ते तथा सेवा की अन्य निबंधन और शर्ते निर्वाचन आयुक्त के समान प्राप्त होंगी।
- राज्यपाल द्वारा माननीय उच्चतम न्यायालय के संदर्भ पर जाँच के बाद राज्यपाल के आदेश द्वारा राज्य मुख्य सूचना आयुक्त या राज्य सूचना आयुक्त को प्रमाणित/सिद्ध दुव्र्व्यवहार या असमर्थता (अक्षमता) के आधार पर हटाया जा सकता है।
बिहार कर्मचारी चयन आयोग
- स्थापना 4 नवम्बर, 1975
- इसमें एक अध्यक्ष एवं दो अन्य सदस्य होते हैं।
बिहार पंचायत चुनाव 2021
- बिहार पंचायत चुनाव 2021 की अधिसूचना 24 अगस्त, 2021 को जारी की गई थी।
- बिहार पंचायत चुनाव 11 चरणों में संपन्न हुआ था।
- 24 सितम्बर को पहला और 12 दिसम्बर को अंतिम चरण का मतदान हुआ था।
- बिहार पंचायत चुनाव में कुल मतदाताओं की संख्या-6, 38, 94, 737
- मतदान केंद्रों की कुल संख्या-1, 13, 891
- कुल पद- 2, 47, 656
- बिहार में सभी 11 चरणों में 13 फीसदी मतदान हुआ।
- पंचायत चुनाव के दसवें चरण में सर्वाधिक44 फीसदी जबकि सबसे कम दूसरे चरण में 55.02 फीसदी मतदान हुआ।
- सभी 11 चरणों में महिलाओं ने चुनाव प्रक्रिया के दौरान बढ़-चढ़कर मताधिकार का प्रयोग किया, प्रत्येक चरण में पुरूषों की तुलना में महिलाओं ने अधिक मतदान किया।
- बिहार का एकमात्र प्रखंड जहां की सभी 8 ग्राम पंचायतों में महिलाएं ही मुखिया बनी सरमेरा प्रखंड (नालंदा जिला)
- बिहार पंचायत चुनाव में पहली बार EVM का प्रयोग किया गया।
- राज्य के पंचायत चुनाव में 32,801 उम्मीदवार निर्विरोध निर्वाचित हुए।
- 1734 पद ऐसे थे जहां चुनाव लड़ने के लिए एक भी प्रत्याशी ने नामांकन नहीं किया था।
- 21 वर्ष की अनुष्का बिहार की सबसे कम उम्र की मुखिया बनी जो शिवहर जिले के कुशहर पंचायत की मुखिया बनी।
- इस पंचायत चुनाव में रिकॉर्ड 58% महिला उम्मीदवार चुनी गई हैं। यह रिकॉर्ड भारत में प्रथम है।
विभिन्न पदों का विवरण
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ग्राम पंचायत
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8067
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ग्राम कचहरी सरपंच
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8067
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मुखिया
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8067
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ग्राम कचहरी पंच
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1 ,09 ,634
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वार्ड सदस्य
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1, 09, 634
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पंचायत समिति सदस्य
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11,094
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जिला परिषद सदस्य
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1160
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