ऊर्जा संसाधन
ऊर्जा मानव विकास के लिए अत्यंत आवश्यक संसाधन है। मानव समाज के क्रमिक विकास के साथ-साथ ऊर्जा की आवश्यकता बढ़ती जा रही है। इस प्रकार ऊर्जा मानव विकास के लिए आवश्यक शर्त है।
बिहार के तीव्र आर्थिक विकास के लिए ऊर्जा की व्यवस्था अत्यंत आवश्यक है। बिहार विभाजन के बाद राज्य की 70% ऊर्जा उत्पादन की क्षमता झारखण्ड में चली गई। बिहार के सर्वांगीण विकास में पारम्परिक ऊर्जा स्रोतों जैसे- कोयला, खनिज तेल, प्राकृतिक गैस, आण्विक ऊर्जा, जल विद्युत ऊर्जा के साथ-साथ गैर पारम्परिक ऊर्जा स्रोतों जैसे- सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा, जैव ऊर्जा, ज्वारीय ऊर्जा, भू-तापीय ऊर्जा, कचरे से उत्पन्न ऊर्जा की महती भूमिका है।
बिहार में विद्युत इकाईयाँ
बिहार में ऊर्जा उत्पादक इकाईयों को दो भागों में बांटा जा सकता है- (1) ताप विद्युत इकाईयां, (2) जल विद्युत इकाईयां।
ताप विद्युत इकाईयां
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बरौनी तापविद्युत केन्द्र, बरौनी
- बरौनी तापविद्युत केन्द्र राजकीय क्षेत्र का अकेला विद्युत केन्द्र है। हालांकि इसमें 7 इकाइयां हैं, लेकिन उनमें से 5 का कार्यकारी जीवनकाल समाप्त हो चुका है और वे उत्पादन के लिए उपलब्ध नहीं हैं।
- 250-250 मेगावाट की दो नई इकाइयों (इकाई 8 और 9) का काम भी केन्द्र के विस्तार कार्यक्रम के तहत जारी है।
- इकाई 8 की क्षमता वृद्धि जनवरी 2018 में और इकाई 9 की मार्च 2018 में हासिल कर ली गई। राष्ट्रीय तापविद्युत निगम की विशेषज्ञता का उपयोग करके इन इकाइयों द्वारा उत्पादित बिजली का खर्च कम करने के लिए राज्य सरकार ने बरौनी ताप विद्युत केन्द्र का स्वामित्व राष्ट्रीय तापविद्युत निगम को हस्तांतरित कर दिया है।
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कांटी बिजली उत्पादन निगम
- यह मुजफ्फरपुर में अवस्थित है। इसकी स्थापना 1970 में 120 मेगावॉट क्षमता के साथ की गई थी।
- इसकी उत्पादन क्षमता 220 मेगावॉट की हैं।
- कांटी बिजली उत्पादन निगम अब राष्ट्रीय तापविद्युत निगम की पूर्णतः अंगीभूत कम्पनी है।
- उत्तरी बिहार में बिजली आपूर्ति इस केन्द्र से की जाती है।
- इसका नाम जॉज फर्नांडिश थर्मल पावर स्टेशन कर दिया गया है।
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कहलगांव सुपर थर्मल पावर
- यह भागलपुर में सबौर के समीप स्थित है।
- इसकी स्थापना 1979 में 840 मेगावॉट क्षमता के साथ हुई थी।
- इसकी उत्पादन क्षमता बढ़ाकर 1500 मेगावॉट कर दी गई हैं।
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पटना ताप संयंत्र
- बाढ़ में नवनिर्मित एन.टी.पी.सी. के थर्मल पावर से दूसरे फेज की प्रथम इकाई से 660 MW विद्युत की वाणिज्यिक उत्पादन 15 नवम्बर, 2014 से आरंभ हुआ ।
- इसमें से 440 MW बिजली बिहार को मिलती है। इसके दूसरे फेज की दूसरी इकाई से 660 MW विद्युत का उत्पादन मार्च 2015 में आरंभ हो गया है, जिसमें से 429MW बिजली बिहार को मिल रही है।
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औरंगाबाद ताप विद्युत् परियोजना
- राज्य सरकार द्वारा 1320 मेगावाट के औरंगाबाद में बिजलीघर के प्रस्ताव को दिसम्बर, 2009 में मंजूरी प्रदान की गई।
- हरियाणा की ट्राइटोन एनर्जी लिमिटेड कंपनी के सहयोग से औरंगाबाद जिले के कोचर गांव के बारूण में स्थापित होने वाली इस बिजलीघर में 660-660 मेगावाट की दो यूनिटें निर्मित की गई है।
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अल्ट्रामेगा पावर प्रोजेक्ट (बांका)
- बांका में लगभग 4000 मेगावाट की विद्युत परियोजना स्थापित करने के लिए एक प्रस्ताव भेजा गया है जिसके लिए 2500 एकड़ जमीन चिन्हित कर ली गई है।
- केन्द्रीय जल आयोग ने गंगा नदी से 120 क्यूसेक पानी देने के लिए सहमति प्रदान की है। परियोजना की कार्यावधि से पहले की गतिविधियां चलाने के लिए विद्युत वित्त निगम ने दो विशेष प्रयोजन माध्यम (एसपीवी) निगमित किए हैं।
- केन्द्रीय विद्युत मंत्रालय ने इसके लिए1 करोड़ टन की आरक्षित क्षमता वाला बरहट / पीरपैंती कोयला ब्लॉक आबंटित किया है। बिहार को इस परियोजना से 2,000 मेगावाट बिजली आबंटित की गई है।
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नबीनगर संयंत्र चरण-1
- यह परियोजना बिहार के औरंगाबाद जिले में अवस्थित है।
- प्रारम्भ में नबीनगर विद्युत उत्पादन निगम, राष्ट्रीय तापविद्युत निगम और बिहार राज्य विद्युत उत्पादन कंपनी लि. का संयुक्त उपक्रम था जिनका इसकी इक्विटी में 50:50 अनुपात में हिस्सा था। बाद में राज्य सरकार के निर्णय के अनुसार, इसका 100 प्रतिशत इक्विटी शेयर राष्ट्रीय तापविद्युत निगम को हस्तांतरित कर दिया गया।
- इस विद्युत परियोजना के लिए 660-660 मेगावाट की 3 इकाइयों का निर्माण किया गया है।
- 660 मेगावाट की पहली इकाई का निर्माण कार्य सितंबर 2019 में पूरा हो गया है। 660 मेगावाट की अन्य दो इकाइयों (कुल 1320 मेगावाट) का निर्माण कार्य पूर्ण हो गया है और उनके फरवरी 2021 तथा जून 2021 तक पूरा करने का लक्ष्य था, जिसे 7 मार्च, 2022 को हासिल कर लिया गया।
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बक्सर विद्युत परियोजना
- इस परियोजना का शिलान्यास प्रधानमंत्री द्वारा मार्च 2019 में किया गया। बक्सर जिला के चौसा में 660-660 मेगावाट की दो इकाइयों वाली ग्रीनफील्ड विद्युत परियोजना के निर्माण के लिए सतलुज जलविद्युत निगम के साथ समझौता हस्ताक्षरित हुआ है।
- सतलुज जलविद्युत निगम को आम्रपाली कोल ब्लॉक आबंटित किया गया है। बिजली खरीद का समझौता बिहार की वितरण कंपनियों के साथ हस्ताक्षरित हो चुका है और 85 प्रतिशत बिजली बिहार को आबंटित की गई है।
- मार्च 2019 में केन्द्र सरकार द्वार निवेश संबंधी स्वीकृति प्रदान कर दी गई। परियोजना को 2023-24 तक पुरा करने का लक्ष्य है।
बिजली की उपलब्धता
- मार्च 2020 में राज्य में बिजली की उपलब्ध क्षमता 6073 मेगावाट थी जो मार्च 2021 में बढ़कर 6422 मेगावाट हो गई। बिजली की बढ़ी हुई मांग को पूरा करने के लिए 2022-23 तक विभिन्न स्रोतों से 4516 मेगावाट की अतिरिक्त क्षमता चरणबद्ध ढंग से बढ़ाने का लक्ष्य है।
- वर्ष 2022-23 तक बिहार में बिजली की कुल उपलब्ध क्षमता 10589 मेगावाट हो जाने की आशा है, जिसमें से 6812 मेगावाट (64.3 प्रतिशत) पारंपरिक बिजली होगी और शेष 3777 मेगावाट (35.7 प्रतिशत) गैर-पारंपरिक ।
- बिजली की औसत उपलब्धता ग्रामीण क्षेत्रों में 6-8 घंटे से बढ़कर 20-22 घंटे और शहरी क्षेत्रों में 10-12 घंटे से बढ़कर 23-24 घंटे हो गई है।
- वर्ष 2015-16 में बिजली की कुल खपत5 करोड़ यूनिट थी जो 2019-20 में बढ़कर 2898.8 करोड़ यूनिट हो गई। इसका अर्थ चार वर्षों में 53 प्रतिशत से भी अधिक वृद्धि है।
- राज्य में बिजली की प्रति व्यक्ति खपत 2014-15 के 203 किलोवाट/ आवर से बढ़कर 2020-21 में 350 किलोवाट/ आवर हो गई जो 6 वर्षों में4 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाती है।
- बिजली की खपत में सबसे अधिक वृद्धि दर्ज करने वाले तीन जिले हैं। शेखपुरा (26.8%), किशनगंज (25%) और शिवहर (20.9%)।
- केंद्र सरकार ने समेकित विद्युत विकास योजना के तहत बिहार के छः शहरों मुजफ्फरपुर, भागलपुर, कहलगांव, गया, बोधगया और आरा के लिए दो अतिरिक्त योजनाओं को स्वीकृति प्रदान की है।
विद्युत और ऊर्जा की अनुमानित उपलब्धता (2020-21 से 2022-23)
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वर्ष
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कुल क्षमता
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अनुमानित चरम उपलब्धता
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अनुमानित उपलब्धता
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( मेगावाट)
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( मेगावाट)
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(करोड़ यूनिट)
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2019-20
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6414
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5323
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32632
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2020-21
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6422
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4830
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33107
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2021-22
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9798
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6366
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38975
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2022-23
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11137
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7195
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49739
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अधिकतम बिजली खपत वाले जिले करोड़ यूनिट / आवर ( 2021-22)
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न्यूनतम बिजली खपत वाले जिले करोड़ यूनिट / आवर ( 2021-22)
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जिला
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खपत
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जिला
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खपत
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पटना
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521.1
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शिवहर
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11.5
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गया
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203.1
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अरवल
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21.4
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मुजफ्फरपुर
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144.4
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शेखपुरा
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24.7
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