खनिज संसाधन
खनिज अनेक बुनियादी उद्योगों के लिए महत्वपूर्ण कच्चा माल होते हैं। खनिज पदार्थों को सामान्यतः दो भागों में बांटा जा सकता है- पहला धात्विक और दूसरा अधात्विक। बिहार में जहां धात्विक खनिजों का अभाव है वहीं अधात्विक खनिजों की संभावना आज भी बनी हुई है। बिहार विभाजन के पश्चात् अधिकांश महत्वपूर्ण खनिज एवं खनन क्षेत्र झारखण्ड राज्य में चला गया। वर्तमान बिहार राज्य में मिट्टी, बालू और चूना पत्थर जैसे गौण खनिज एवं ग्रेनाइट, बॉक्साइट, क्वार्ट्जाइट, पायराइट, अभ्रक और चूना पत्थर जैसे मुख्य खनिज मौजूद हैं परन्तु राज्य में खनिजों की बहुत कम अनुपात में उपस्थिति है। बिहार भारत का एकमात्र राज्य है, जहां पायराइट का उत्पादन व्यापक पैमाने पर किया जाता है।
राज्य भू-वैज्ञानिक प्रोग्रामन बोर्ड के भूवैज्ञानिकों के अनुसार जमुई, नालंदा और गया जिलों के भूमिगत चट्टानों में सोना और हीरा होने का अनुमान लगाया गया है। राज्य के रोहतास और कैमूर जिलों में लगभग 21 करोड़ टन चूना पत्थर के निक्षेप मौजूद हैं।
बिहार में पाये जाने वाले प्रमुख खनिज
किसी भी राज्य की प्रगति वहां पाए जाने वाले खनिज सम्पदा के भण्डार तथा उसके खनन पर आधारित है। यह वर्तमान यांत्रिक सभ्यता का मूलाधार है। बिहार में मुख्य रूप से दो प्रकार के खनिज पाये जाते हैं- (1) धात्विक खनिज (2) अधात्विक खनिज।
1. धात्विक खनिज
धात्विक खनिज वे होते हैं, जिन्हें खदानों से निकालकर परिशोधित किया जाता है, जिससे उनमें विशेष प्रकार की चमक आ जाती है। सोना, चांदी, ताम्बा, जस्ता, शीशा और लोहा ऐसे ही धात्विक खनिज हैं। बॉक्साइट (खड़गपुर की पहाड़ियां), सोना (जमुई-करमटिया) आदि में मिलते हैं।
सोना
- जमुई जिला के सोनो प्रखण्ड के करमटिया, रानीपहाड़ी, बदमारीया, मरही पहाड़ी, दबचारी तथा राजगीर के कबूतरा और नाकिया पहाड़ में सोने के खनिज उपलब्ध हैं।
- केन्द्रीय खान मंत्रालय के अनुसार बिहार में देश का 42 प्रतिशत स्वर्ण अयस्क संसाधन है।
- सर्वेक्षण के अनुसार स्वर्ण अयस्क की अधिकतर भण्डार गया, नालंदा (राजगीर) और जमुई जिलों में है। कुल स्वर्ण भण्डार 128.88 मैट्रिक टन है जो कर्नाटक के स्वर्ण अयस्क संसाधन से लगभग दोगुना है।
- यहां पाये जाने वाले प्रति टन सोना अयस्क में सोना धातु की मात्रा 0.1 से 0.6 ग्राम है।
बॉक्साइट
- यह मुंगेर जिला के खगड़पुर की पहाड़ियों में उपलब्ध है। भूतात्विक अन्वेषण से पता चला है कि इस क्षेत्र में लगभग 5 मिलियन टन बॉक्साइट का भण्डार है।
- इसके अतिरिक्त गया, जमुई, बांका, रोहतास जिले के कुछ क्षेत्रों में भी उपलब्ध है।
टिन
- यह कैसिटेराइट नामक खनिज संस्तर से प्राप्त होता है। बिहार के गया जिले में टिन के भंडार का पता चला है।
2. अधात्विक खनिज
अधात्विक खनिज वे होते हैं, जिन्हे परिशोधित नहीं किया जा सकता, केवल उन्हें खुरचकर अथवा काटकर विभिन्न आकृतियों में परिवर्तित किया जाता है। बिहार में प्रधान रूप से पाये जाने वाले अधात्विक खनिज की प्रधानता है।
अभ्रक
- अभ्रक हल्का खनिज है, जो आग्नेय तथा रूपान्तरित चट्टानों में परत के रूप में पाया जाता है।
- अभ्रक विद्युत का कुचालक है जिसके कारण इसका उपयोग बिजली के उपकरण, कम्प्यूटर, वायुयान तथा वायरलेस उद्योग में होता है।
- बिहार में अभ्रक पट्टी का विस्तार झारखंड के हजारीबाग से लेकर बिहार में नवादा, दक्षिणी मुंगेर होते हुए दक्षिणी भागलपुर तक है, जो लगभग 160 किमी. लम्बे तथा 28 से लेकर 30 किमी. चौड़े क्षेत्र में फैली है।
- इस पट्टी में विश्व का 71 प्रतिशत अभ्रक का उत्पादन किया जाता है।
ग्रेफाइट
- यह कार्बन का एक अपरूप है जिसे काला सीसा भी कहा जाता है। इसमें सिलिका एवं सिलिकेट जैसी अशुद्धियां मिली रहती हैं। यह कायान्तरित शैलों में पाया जाता है।
- इसका उपयोग सीसे की पेंसिल बनाने, रंग-रोगन करने तथा अणुशक्ति रिएक्टरों में मोडरेटर के रूप में किया जाता है। इसका उत्पादन जमुई जिला के सीमुलतला में किया जाता है।
चूना पत्थर
- बिहार के पश्चिमी भाग में विंध्य शैल समूहों में भारी जमाव के रूप में पाया जाता है। सबसे बड़ा चूना पत्थर का भण्डार रोहतास में स्थित है। यहां चूना पत्थर का कुल भण्डार 210. 85 मिलियन टन आंका गया है। मुख्य रूप से सोन घाटी के पश्चिम में तथा कैमूर पहाड़ी में मिलता है।
- मुख्य उत्खनन केन्द्र रोहतास जिला में रोहतासगढ़, चूना हट्टन, चुनशन, रामढ़िहरा, बर्लिया, दुसारखाद, डेहरी-ऑन-सोन, बंजारी आदि स्थान है।
- चूना पत्थर मुख्य रूप से सीमेंट उद्योग के लिए कच्चा माल उपलब्ध कराता है।
- बंजारी एवं डेहरी-ऑन-सोन में सीमेन्ट कारखाना स्थापित है तथा इस क्षेत्र में एक नया सीमेंट कारखाना 2012 में खोला गया है।
पायराईट
- यह खनिज गंधक का एक प्रमुख स्रोत है। सुपर फॉस्फेट, सल्फर एसिड, रेयॉन, कठोर रबर, चीनी बनाने, पेट्रोलियम शोधन आदि में इसका उपयोग किया जाता है।
- राज्य में यह मुख्यतः ऊपरी विंध्य शैल समूह के पास रोहतास जिले में पाया जाता है। रोहतास जिला के अतिरिक्त यह खनिज कैमूर जिले में भी पाया जाता है।
- रोहतास जिले के अमझौर में 109 वर्ग किमी. क्षेत्र में लौह-पायराइट पाया जाता है। इसके अतिरिक्त यह खनिज कुटियारी, मन्दा व करिरिया में भी पाया जाता है।
- वर्तमान में इसका भण्डार 98.790 टन आंका गया है। इस खनिज के दोहन के लिए रोहतास जिला के अमझोर में ‘पायराईट फास्फेट एण्ड केमिकल्स कम्पनी’ की स्थापना की गई है। जहां पर उर्वरक का उत्पादन किया जाता है। बिहार देश में पायराइट का एकमात्र उत्पादक राज्य है।
चीनी मिट्टी
- चीनी मिट्टी की प्राप्ति प्रायः ग्रेनाइट की फेल्सपार नामक खनिज क्षेत्रों से होती है। इसका उपयोग विद्युत उपकरण एवं बर्तन निर्माण में होता है।
- भागलपुर, बांका, मुंगेर में इसके बड़े भण्डार हैं। मुंगेर में समुखिया, लेतवा, बारन, कटोरिया, इसके प्रमुख क्षेत्र हैं। वर्तमान में इसका भण्डार 02 मिलियन टन आंका गया है।
- फायरक्ले उच्च कोटी का चीनी मिट्टी है, जो कालोंग गांव के नदरामपुर क्षेत्र में पाये जाते है।
फेल्सपॉर
- जमुई, गया, मुंगेर, भागलपुर तथा नवादा जिलों में इसके भण्डार हैं। यह बर्तनों पर एनामेल करने, विद्युतरोधी उपकरण बनाने, कृत्रिम दांत बनाने आदि में किया जाता है।
- कुछ क्षारीय फेल्सपॉर अपनी चमक एवं वर्ग विलास के कारण उपरलों-सनस्टोन, मूनस्टोन, एमजान स्टोन आदि के रूप में व्यवहार में लाए जाते हैं।
क्वाट्र्जाइट
- यह लखीसराय, नालंदा, मुंगेर के खड़गपुर की पहाड़ियों, जमुई चकाई क्षेत्र की पहाड़ियों में पाया जाता है।
- इस खनिज का प्रयोग मुख्य रूप से भवन निर्माण सामग्री के रूप में किया जाता है।
स्लेट
- मुंगेर जिला के खड़गपुर पहाड़ियों में स्थित काला एवं रंगीन स्लेट का भंडार प्राचीन काल
- से ही विख्यात है।
- यह मुंगेर के खगड्पुर पहाड़ी क्षेत्र में 2.53 मिलियन टन का भण्डार आंकलित किया गया है।
- यहां काला एवं रंगीन स्लेट भी उपलब्ध हैं। जमालपुर के धरहरा, कजरा आदि क्षेत्रों में भी स्लेट के निक्षेप हैं।
- रोहतास के कैमूर पहाड़ियों पर उच्च सिलिका प्रतिशत वाले सैंड स्टोन के असीमित भण्डार हैं।
सोप स्टोन
- भूतात्विक अन्वेषण के आधार पर सोपस्टोन का बड़ा भंडार जमुई जिले में मिला है। इस खनिज का प्रयोग पेंट उद्योग एवं सौंदर्य प्रसाधन में किया जाता है।
शोरा
- यह प्रकृति में सोडियम नाइट्रेट और पोटैशियम के रूप में पाया जाता है। इसका उपयोग मुख्यतः विस्फोटक पदार्थ (बारूद), कांच, इस्पात को मुलायम बनाने, दियासलाई, पटाखे तथा खाद बनाने आदि में किया जाता है।
- राज्य में यह मुजफ्फरपुर, पूर्वी चम्पारण, सारण, दरभंगा, भोजपुर, गया, मुंगेर जिलों में प्राप्त होता है। राज्य में इसका लगभग 20,000 टन वार्षिक उत्पादन है।
- सारण जिले के मुख्य उत्पादक क्षेत्र सरैया और मांझी हैं।
खनिज तेल एवं गैस
- पूर्णिया एवं कटिहार जिलों में गहन भूतात्विक अन्वेषण के द्वारा खनिज तेल एवं गैस के भंडार मिले हैं।
- बिहार के बक्सर जिले में कुल 302.57 वर्ग किलोमीटर में पेट्रोलियम के भंडार हार हैं, जिसमें से बक्सर में 52.13 वर्ग किलोमीटर और वाकि उत्तर प्रदेश की सीमा में तेल के भंडार होने के अनुमान हैं।
- इसके अतिरिक्त बिहार के समस्तीपुर जिले में करीब 308.32 वर्ग किमी. तेल भंडार होने की सम्भावना है।
ग्रेफाइट
- यह कार्बन का एक अपरूप है जिसे काला सीसा भी कहा जाता है। इसमें सिलिका एवं सिलिकेट जैसी अशुद्धियां मिली रहती हैं। यह कायान्तरित शैलों में पाया जाता है।
- इसका उपयोग सीसे की पेंसिल बनाने, रंग-रोगन करने तथा अणुशक्ति रिएक्टरों में मोडरेटर के रूप में किया जाता है। इसका उत्पादन जमुई जिला के सीमुलतला में किया जाता है।
यूरेनियम
- यूरेनियम उच्च शक्ति का अणुशक्ति खनिज है। इसका रंग गहरा काला होता है तथा यह पिंडों के रूप में पाया जाता है।
- यह खनिज बिहार के गया जिला के सुईगार के निकट अकबरी पहाड़ की अभ्रक खानों से प्राप्त होता है।
- इसका उपयोग महत्त्वपूर्ण रिएक्टरों को संचालित करने के लिए ईंधन के रूप में किया जाता है।
पत्थर, बालू एवं ईंट
- बिहार सरकार ने बिहार में पाये जाने वाले खनिजों की एक संशोधित सूची 2003 में जारी की थी, जिसमें बालू और पत्थर को भी खनिज की श्रेणी में रखा गया है।
- पत्थरों के टूटने एवं घिसने से ही बालू का निर्माण होता है। पत्थरों का टूटना व घिसना नदी जल प्रक्रिया द्वारा होता है।
- पत्थर के खदान उत्तर में शिवालिक पहाड़ियों के अवशेषी क्षेत्रों में है। इस क्षेत्र में भिखना थेरी, एकवा और बलथर में पत्थर खदानें हैं। इसके अलावे मुंगेर, कैमूर, गया, नालंदा, नवादा. भागलपुर, पश्चिम चम्पारण जिलों में भी यह पाया जाता है।
मैग्नेटाइट
- यह मुख्य रूप से बिहार के पर्वतीय जिलों में मिलता है। बिहार में इसका कुल अनुमानित भण्डार 0.59 हजार मीट्रिक टन है।
ग्रेनाइट
- बिहार में ग्रेनाइट के निक्षेप भागलपुर, गया, जमुई, जहानाबाद, मुंगेर तथा नवादा जिलों में हैं। यहां काले ग्रेनाइट एवं रंगीन सजावटी ग्रेनाइट की उपलब्धता है।
- इसका उपयोग गृह निर्माण के कार्यों में किया जाता है।
बेरीलियम
- बिहार में बेरीलियम गया जिले में पाया जाता है। इसका प्रयोग मिश्रित धातुओं के निर्माण में किया जाता है। बेरीलियम आग्नेय चट्टानों से प्राप्त होने वाला खनिज है।
मोनोजाइट
- यह खनिज बिहार में गया एवं मुंगेर जिले में मिलता है। मोनोजाइट पैगमेटाइट चट्टानों से प्राप्त होने वाला खनिज है।
- मोनोजाइट थोरियम, सीरियम, यूरेनियम और टैंटलम का मिश्रण होता है।
खनिज संसाधन
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खनिज संसाधन
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प्राप्ति स्थान/जिला
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मैंगनीज
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पटना, मुंगेर, गया
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अभ्रक
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गया, जमुई, बांका, नवादा
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पायराइट
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अमझौर एवं बंजारी (रोहतास)
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चीनी मिट्टी
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भागलपुर, वैशाली, मुंगेर
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फायरक्ले
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मुंगेर, पूर्णिया, भागलपुर
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बॉक्साइट
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खड़गपुर (मुंगेर), बंजारी (रोहतास)
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टिन
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देवराज एवं कुर्कखंड (गया)
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ग्रेफाइट
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सिमुलतल्ला (जमुई)
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सेलखड़ी
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गया, मुंगेर, नवादा
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एस्बेस्टस
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मुंगेर
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डोलोमाइट
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रोहतास
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स्लेट, सिलिका
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मुंगेर
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यूरेनियम
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गया, नवादा
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सोना
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मुंगेर
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शोरा
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सारण, गोपालगंज, सिवान, वैशाली, मुजफ्फरपुर
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पेट्रोलियम
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पश्चिम चम्पारण, पूर्णिया, सहरसा, किशनगंज, बक्सर, समस्तीपुर
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बिहार में खनिज आधारित उद्योग
बिहार में बहुतायत रूप से पाए जाते हैं, जैसे- चूना पत्थर, पायराइट्स इत्यादि। पायराइट्स के उत्पादन एवं उपलब्धता के मामले में बिहार, देश में प्रथम स्थान पर है क्योंकि देश के 95% पायराइट्स का भंडार बिहार में ही है। इस तरह बिहार स्वाभाविक रूप से देश का अग्रणी उत्पादक बन गया है। इस तरह के खनिजों की प्रचुर उपलब्धता किसी क्षेत्र में उद्योग की स्थापना के लिये अवसर प्रदान करती है। बिहार में भी कुछ ऐसे स्थान हैं जहां खनिज की प्रचुर उपलब्धता के कारण बड़े-बड़े उद्योगों की स्थापना की गई है। बिहार में खनिज आधारित कुछ प्रमुख उद्योगों का विवरण निम्नलिखित है-
खनिज आधारित उद्योग
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उद्योग
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स्थान
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सीमेंट
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कल्याणपुर सीमेंट लि., बंजारी (रोहतास), निर्माण सीमेंट लि. बिहटा (पटना), श्री सीमेंट लि. (औरंगाबाद)
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उर्वरक
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हराभरा फर्टीलाइजर, धनुकगरा (सीतामढ़ी), श्री कृष्ण फर्टिलाईजर मुजफ्फरपुर
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पेट्रोलियम रिफाइनरी
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इण्डियन ऑयल रिफाइनरी, बरौनी (बेगूसराय)
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सीमेंट उद्योग
- बिहार में सीमेंट बनाने के लिये आवश्यक खनिज चूना पत्थर का असीम भंडार है।
- रोहतास की पहाड़ियों एवं कैमूर की पहाड़ियों में कच्चे माल (चूना पत्थर) की प्रचुर उपलब्धता के कारण रोहतास के बंजारी एवं डालमिया नगर में सीमेंट उद्योग की स्थापना की गई थी।
- वर्तमान में वित्तीय एवं प्रबंधन की समस्या तथा ऊर्जा की पर्याप्त उपलब्धता न होने की वजह से डालमिया नगर कारखाना बंद पड़ा हुआ है।
रसायन उद्योग
- बिहार में रासायनिक उद्योग का विकास रोहतास एवं बरौनी में अत्यधिक हुआ है।
- रोहतास में ‘पायराइट्स फॉस्फेट एंड केमिकल्स लिमिटेड’ (PPCL) की स्थापना की गई, जो कि जिले के अमझोर नामक स्थान पर अवस्थित है।
- 1982 में बिहार सरकार के सार्वजनिक उपक्रम के रूप में ‘बिहार इनसेक्टिसाइट लिमिटेड’ की स्थापना की गई थी जहां आधारभूत रसायन का उत्पादन किया जाता था लेकिन वर्तमान में इसकी हालत दयनीय है।
क्रशर उद्योग
- इस उद्योग का विकास जमुई, मुंगेर, गया, नवादा, औरंगाबाद, कैमूर एवं रोहतास जिले में प्रमुख रूप से हुआ है।
- बिहार का दक्षिणी भाग पहाड़ी पठारी क्षेत्र होने के कारण इस क्षेत्र में ग्रेनाइट, नीस, सिस्ट जैसे- चट्टानों की अधिकता है और इसका वृहत् पैमाने पर निर्माण कार्यों में इस्तेमाल होता है।
शीशा उद्योग
- बिहार के दक्षिणी क्षेत्र में शीशे में प्रयुक्त होने वाले कच्चे माल की अधिकता है। पठारी क्षेत्र होने के कारण यहां बालू, सिलिका, चूना पत्थर इत्यादि पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है, फलस्वरूप शीशा उद्योग का विकास हुआ। पटना, भागलपुर और दरभंगा शीशा उद्योग के मुख्य केंद्र हैं।
बिहार को खनिज से प्राप्त होने वाले राजस्व
बिहार एक कृषि प्रधान राज्य है और राज्य की अर्थव्यवस्था में कृषि की तुलना में खनिज का योगदान बहुत कम है। विभाजन से पूर्व बिहार की स्थिति खनिज के मामले में ऐसी नहीं थी लेकिन झारखण्ड के अलग होने का प्रभाव राजस्व पर भी पड़ा।
- 2021-21 में राज्य सरकार का लक्ष्य खनिजों से 1600.00 करोड़ रुपये राजस्व प्राप्त करना था, लेकिन वास्तविक संग्रहण 1760.9 करोड़ रुपये हुआ जो राजस्व संग्रहण के लक्ष्य से अधिक था। 2019-20 में लक्ष्य 1600.00 करोड़ रुपये था जबकि वास्तविक संग्रहण 1616.3 करोड़ रुपये था।
- मुख्य राजस्व स्रोतों के बीच लगभग 84.9% राजस्व संग्रहण दो स्रोतों से हुआ था- बालू खनन और निर्माण विभाग। इसके अतिरिक्त राजस्व में अन्य योगदाता ईंट भट्टे और स्टोन क्रशर आदि थे।
- नदी निकायों से बालू निकालने के बेहतर नियमन और पर्यावरण की सुरक्षा बनाए रखने के लिए राज्य सरकार ने बालू नीति, 2013 को हटाकर उसकी जगह बिहार बालू खनन नीति, 2019 को लाया है। इस नीति के निम्नलिखित लक्ष्य हैं-
- सुनिश्चित करना कि बालू खनन पर्यावरण के लिहाज से टिकाऊ ढंग से हो।
- निर्माण के लिए उचित मूल्य पर पर्याप्त मात्रा में बालू की उपलब्धता सुनिश्चित करना।
- रोजगार सृजन सुनिश्चित करने के लिए बंदोबस्ती पाने वालों की संख्या बढ़ाना।
- राज्य सरकार ने बिहार गौण खनिज रियासत नियमावली, 1972 और बिहार खनिज (अवैध खनिज, परिवहन एवं भंडारण निवारण) नियमावली, 2003 को निरस्त करके बिहार खनिज (रियासत, अवैध खनन, परिवहन एवं भंडारण निवारण) नियमावली, 2019 लागू की है।
- अवैध खनन और ढुलाई में कमी लाने के लिए राज्य सरकार ने राज्य के प्रत्येक जिले में एक कार्यबल का गठन किया है।
बिहार में खनिजों से प्राप्त राजस्व (करोड़ रुपये) (2016-17 से 2020-21)
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वर्ष
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लक्ष्य
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संग्रहण
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अनुपात (% में)
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2016-17
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1100.0
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994.1
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90.4
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2017-18
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1350.0
|
1082.7
|
80.2
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2018-19
|
1600.0
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1556.8
|
97.3
|
2019-20
|
1600.0
|
1616.3
|
101.0
|
2020-21
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1600.0
|
1708.9
|
106.8
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