सल्तनत काल में बिहार
- 12वीं शताब्दी के अंत और 13वीं शताब्दी के आरम्भ में तुर्क सेनापति मलिक हुसामुद्दीन के सहायक इब्ने बख्तियार खिलजी ने बिहार के कर्मनाशा नदी के पूर्वी ओर सफल अभियान किया।
- बख्तियार खिलजी के अभियान के समय सेन वंश का शासक लक्ष्मण सेन तथा पाल वंश का शासक इन्द्र प्रद्युम्नपाल था।
- बिहार में तुर्क सत्ता की स्थापना का वास्तविक श्रेय इब्ने बख्तियार खिलजी को जाता है।
- बिहार में तुकों की सबसे महत्वपूर्ण विजय बख्तियार खिजली की ओदन्तपुरी (आधुनिक बिहारशरीफ) पर विजय थी। यह विजय उसने 1198 ई. में प्राप्त की थी।
- बख्तियार खिलजी ने बौद्ध धर्म के विरोधियों के सहयोग से नालन्दा विश्वविद्यालय को नष्ट किया और बख्तियारपुर शहर की स्थापना की।
- बख्तियार खिलजी ने 1203-04 ई. में नादिया (बंगाल) पर चढ़ाई की, जो सेन वंश के शासक लक्ष्मण सेन की राजधानी थी। बख्तियार खिलजी ने अपनी राजधानी लखनौती में स्थापित की।
- बीमारी की अवस्था में बख्तियार खिलजी के एक अधिकारी अलीमर्दन ने उसकी हत्या करके उसका शव बिहारशरीफ के इमादपुर मुहल्ला में दफन कर दिया था।
- बख्तियार खिलजी को ‘गाजी इख्तियार’ उपनाम से भी जाना जाता है।
गुलाम वंश
- मुहम्मद गोरी ने कुतुबुद्दीन ऐबक को 1191 ई. में अक्ता प्रदान किया।
- इल्तुतमिश के पुत्र नासिरूद्दीन महमूद ने अवध, बिहार तथा लखनौती को एक ही प्रशासनिक इकाई के रूप में संगठित कर 1227 ई. से 1229 ई. तक शासन किया।
- बिहार को दिल्ली सल्तनत के अधीन करने वाला प्रथम सुल्तान इल्तुतमिश था।
- इल्तुतमिश ने बिहार में अपना प्रथम सूबेदार मलिक जानी को नियुक्त किया।
- इल्तुतमिश ने सैफुद्दीन ऐबक को बिहार का गवर्नर नियुक्त किया तथा बाद में तुगान खाँ बिहार का राज्यपाल बना।
- बलबन के शासन काल में गया का क्षेत्र दिल्ली के अधीन था, जिसका वर्णन गया के राजा वनराज की गया प्रशस्ति में किया गया है।
- लखनौती के शासक तुगरिल खाँ ने बलबन की अधीनता स्वीकार की, परन्तु 1279-80 ई. में विद्रोह कर दिया।
खिलजी वंश
- 1290 में जलालुद्दीन खिलजी दिल्ली का सुल्तान बना एवं खिलजी वंश का शासन प्रारम्भ हुआ।
- 1297 ई. में अलाउद्दीन ने शेख मोहम्मद इस्माइल को दरभंगा भेजा, परन्तु राजा शुक्र सिंह ने इस सेना को पराजित कर दिया।
- अलाउद्दीन का प्रसिद्ध सेनापति जफर खाँ मंगोलों के विरूद्ध लड़ता हुआ मारा गया।
- अलाउद्दीन खिलजी के शासन काल में खालसा भूमि अधिक पैमाने पर विकसित हुई।
- जवावित का संबंध राज्य कानून से है।
- अलाउद्दीन खिलजी ने दक्षिण विजय के लिए मलिक काफूर को नियुक्त किया।
- खिलजी वंश के समय तक बिहार में गंगा नदी के दक्षिण के मैदानों पर भी तुकों का आधिपत्य था किन्तु तुगलक काल में दिल्ली सल्तनत का बिहार पर निर्णायक वर्चस्व हुआ।
- खिलजी वंश के समय के कुछ सिक्के शाहपुर (भोजपुर) से प्राप्त हुए हैं।
तुगलक वंश
- तुगलक काल में बिहार की राजधानी बिहारशरीफ (नालंदा) थी।
- मोहम्मद बिन तुगलक के समय में दरभंगा में एक दुर्ग तथा जामा मस्जिद का निर्माण कराया गया।
- मोहम्मद बिन तुगलक अपनी राजधानी को दिल्ली से देवगिरि (दौलताबाद-महाराष्ट्र) ले गया तथा देवगिरि का नाम बदलकर दौलताबाद रखा। उसने पुनः अपनी राजधानी को दौलताबाद से दिल्ली ले आया, इस कारण उसे अंतर्विरोधों का विस्मयकारी मिश्रण तथा सनकी अथवा पागल बादशाह भी कहा जाता है।
- मुहम्मद बिन तुगलक ने दरभंगा का नाम बदल कर तुगलकपुर रख दिया।
- 14वीं शताब्दी में तिरहुत पर आधिपत्य कर फिरोजशाह तुगलक ने एक नए राजवंश की स्थापना की। इस वंश को वैनवार वंश या आन्हिलवाड़ वंश कहा जाता है।
- फिरोज तुगलक द्वारा स्थापित दार उल शफा एक खैराती अस्पताल था।
- फिरोज तुगलक ने रोजगार दफ्तर खोलकर तथा प्रत्येक मनुष्य के गुण एवं योग्यता के हिसाब से
- यथासम्भव अधिक से अधिक लोगों को नियुक्ति देकर बेकारी की समस्या को हल करने का
- प्रयास किया।
- फिरोज तुगलक के दरबार में सबसे अधिक दास थे। दासों की देखभाल के लिए पृथक विभाग ‘दीवान-ए-बंदगान’ का गठन किया गया।
- बिहारशरीफ बौद्ध धर्म का प्रमुख केन्द्र था, ओदन्तपुरी का महाविहार यहीं अवस्थित था। इसके साथ ही अनेक बौद्ध विहार इस क्षेत्र में अवस्थित थे, जिस कारण तुकों ने इस नगर का नाम विहार रखा जो बाद में बिहार हो गया। इस समय के प्रशासनिक इकाइयों आदि का विवरण मिन्हाज उस सिराज की रचना तबकाते नासरी में मिलता है।
- पटना और गया के क्षेत्रों में फिरोजशाह तुगलक के कई अभिलेख प्राप्त हुए हैं।
- राजगीर के कुछ जैन मंदिरों के अभिलेखों में फिरोज द्वारा उन्हें दान दिए जाने का उल्लेख है।
- सूफी संत हजरत शफुद्दीन याहया मनेरी के मल्फूजात (उक्तियों के संकलन) और मनाकिबुल असफिया जैसी रचनाओं से बिहार में तुगलक शासन का इतिहास जानना सम्भव है।
लोदी वंश
- भारत का पहला अफगान शासक बहलोल लोदी था।
- सिकन्दर लोदी के बिहार अभिलेख से ज्ञात होता है कि 1495-96 में जौनपुर के शासक हुसैन शाह शर्की को पराजित कर उसने दरिया खां नूहानी को बिहार का प्रशासक नियुक्त किया।
- लोदी शासकों के काल में बिहार में नूहानी अफगानों की स्थिति सुदृढ़ थी।
- पानीपत की प्रथम लड़ाई (1526 ई.) के बाद बहार खां ने सुल्तान मोहम्मद शाह नूहानी नाम धारण कर बिहार में स्वतंत्र सत्ता की स्थापना की। इसमें उनका साथ नूहानी और फारमूली कबीलों के प्रमुख सरदारों ने दिया।
- सुल्तान मोहम्मद ने इब्राहिम लोदी की सेना को कनकपुरा युद्ध में पराजित किया।
मध्यकालीन बिहार के प्रमुख अभिलेख
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बुद्ध सेन का बोधगया अभिलेख
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बिहारशरीफ का प्रस्तर अभिलेख
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संग्रामगुप्त का पंच ताम्रपत्र अभिलेख
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मुहम्मद बिन तुगलक का बेनीबन अभिलेख
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फिरोजशाह तुगलक का राजगीर अभिलेख
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खड़गपुर के राजा का अभिलेख
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भभुआ में शेरशाह का अभिलेख
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खैरवार प्रमुख प्रताप धवल के तीन अभिलेख
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- सुल्तान मोहम्मद की 1528 ई. में मृत्यु हो गई तथा उसका अल्पवयस्क पुत्र जलालुद्दीन उर्फ जलाल खां शासक नियुक्त हुआ, जबकि फरीद खां उर्फ शेर खां उसका संरक्षक नियुक्त हुआ। शेर खां ने बंगाल के शासक नुसरत शाह के बिहार आक्रमण को विफल किया था।
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