स्वतंत्रता आंदोलन में बिहार की महिलाओं का योगदान
- सन् 1917 ई. में बिहार में महात्मा गांधी के पदार्पण के साथ ही आंदोलन में महिलाओं का झुकाव बढ़ गया।
- सरला देवी ने 1921 में प्रिंस ऑफ वेल्स के भारत आगमन के दौरान होने वाले समारोहों के बहिष्कार आंदोलन को नेतृत्व प्रदान किया।
- 1921 ई. में देशबंधु कोष के लिए जब गांधीजी ने बिहार का भ्रमण किया तो यहां की महिलाओं ने अपने आभूषण तक दान में दे दिया।
- इस कार्य में महात्मा गांधी के साथ श्रीमती प्रभावती देवी (जयप्रकाश नारायण की पत्नी) ने महत्त्वपूर्ण योगदान दिया।
- सन् 1930 ई. के नमक आंदोलन में भी बिहार की महिलाओं ने बड़े जोश-खरोश के साथ भाग लिया। श्रीमती शैलबाला राय के ओजस्वी भाषण से प्रभावित होकर संथाल परगना की महिलाओं ने नमक कानून को भंग किया।
- हजारीबाग की श्रीमती सरस्वती देवी तथा श्रीमती साधना देवी को नमक कानून के उल्लंघन के लिए छह माह की सजा भी मिली।
- पटना में श्रीमती हसन इमाम तथा श्रीमती विन्ध्यवासिनी देवी के नेतृत्व में महिलाओं ने विदेशी वस्त्रों के दुकानों के सामने धरना-प्रदर्शन को सफल बनाया।
- 26 जनवरी को स्वतंत्रता दिवस मनाने के आरोप में पटना में डॉ. राजेन्द्र प्रसाद की पत्नी श्रीमती राजवंशी देवी तथा चन्द्रावती देवी सहित सात महिलाओं को गिरफ्तार किया गया जिसमें राजवंशी देवी तथा चन्द्रावती देवी को डेड् वर्ष कारावास की सजा दे दी गई।
- 9 अगस्त, 1942 को पटना में डॉ. राजेन्द्र प्रसाद की बहन श्रीमती भगवती देवी के नेतृत्व में महिलाओं का एक विशाल जुलूस निकला।
- हजारीबाग में महिलाओं का नेतृत्व श्रीमती सरस्वती देवी कर रही थीं, जिन्हें गिरफ्तार भी किया गया। लेकिन जब सरस्वती देवी को हजारीबाग से भागलपुर जेल ले जाया जा रहा था तो विद्यार्थियों के एक जत्था ने धावा बोलकर उन्हें छुड़ा लिया। कुछ दिनों बाद उन्हें फिर
- गिरफ्तार कर लिया गया। – छपरा में 19 अगस्त, 1942 को हुई एक विशाल जनसभा की अध्यक्षता शाति देवी ने की।
- छपरा जिले के दिघवारा प्रखंड पर तिरंगा झंडा फहराने के आरोप में मलखाचक के स्वर्गीय राम विनोद सिंह की दो पुत्रियों शारदा एवं सरस्वती को 14 और 11 वर्ष की सजा दी गई।
- संथाल परगना के हरिहर मिर्धा की पत्नी बिरजी देवी की पुलिस ने हत्या कर दी।
- गया जिले की प्यारी देवी को भी पुलिस ने गिरफ्तार किया।
- वैशाली की ही श्रीमती विन्दा देवी, शहीद फुलैना प्रसाद की पत्नी तारा देवी, मुजफ्फरपुर की भवानी मेहरोत्रा, भागलपुर की रामस्वरूप देवी, कुमारी धतुरी देवी, जिरिया देवी, मुंगेर की सम्पतिया देवी, शाहाबाद की फुई कुमारी, पटना की सुधा कुमारी शर्मा आदि महिलाओं ने स्वतंत्रता संग्राम में अद्वितीय योगदान दिया।
- 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान अनेक महिलाएं पुलिस की गोली से शहीद भी हुई. जिनमें प्रमुख हैं- छोड्मारा गांव की श्रीमती विराजी मधियाइन, शाहाबाद के गांव लसाढ़ी के शिव गोपाल दुसाध की पत्नी अकेली देवी, मुंगेर के रोहियार गांव की कुमारी धतुरी देवी आदि।
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