महाजनपद काल में बिहार
बुद्ध के जन्म से पूर्व लगभग छठी शताब्दी ई.पू. में भारतवर्ष 16 महाजनपदों में बंटा था, जिसका उल्लेख हमें बौद्ध ग्रंथ ‘अंगुत्तरनिकाय’ एवं जैन ग्रंथ ‘भगवतीसूत्र’ में मिलता है। उस समय भारत के सोलह महाजनपदों में से तीन मगध, अंग और वज्जि बिहार में थे।
अंगः अंग राज्य का सर्वप्रथम उल्लेख अथर्ववेद में मिलता है। भागलपुर के समीप स्थित इस स्थान को ह्वेनसांग चेनन्पो कहता था।अंग राज में कुल 25 राजा हुए जिनमें पहला आर्य राजा तितुक्षी था ।
- अंग महाजनपद में आधुनिक बिहार के भागलपुर एवं मुंगेर जिले शामिल थे। इसकी राजधानी चंपा थी ।
- महाभारत में चर्चित कुंती पुत्र कर्ण यहाँ का अंतिम आर्य राजा था।
- महाभारत युद्ध के पश्चात अंग एवं मगध राज्य के बीच लगातार संघर्ष होता रहा। इस दौरान इस राज्य के अंतिम तीन राजा क्रमशः दधिवाहन, द्रधवर्मन तथा ब्रह्मदत्त थे।
- दधिवाहन की पुत्री चंदना जैन धर्म (महावीर से प्रेरित होकर) को स्वीकार करने वाली प्रथम महिला थी।
- मगध के राजा बिम्बिसार ने अंग राज्य के अंतिम राजा ब्रह्मदत्त के समय इस राज्य को मगध साम्राज्य में मिला लिया और अपने पुत्र अजातशत्रु को अंग का प्रांतपति नियुक्त किया।
वज्जि संघ: बुद्धकालीन 10 प्रमुख गणराज्यों में वज्जि संघ एक प्रतिष्ठित गणराज्य था। वर्तमान तिरहुत प्रमंडल में शामिल वैशाली और मुजफ्फरपुर तक फैली गंगा नदी के उत्तर में स्थित लिच्छवियों का गणराज्य था जो आठ कुलों का एक संघ था जिसमें विदेह, ज्ञातृक, लिच्छवि एवं वज्जि महत्वपूर्ण थे।
- वज्जि संघ की राजधानी वैशाली थी। यह नगर तीन भागों में बंटा था।
- वज्जि संघ का लिच्छवि गणराज्य इतिहास में ज्ञात प्रथम गणतंत्र राज्य था । वज्जि संघ का सबसे प्रबल सदस्य लिच्छवि राज्य था, जिसके शासक क्षत्रिय थे।
- कौटिल्य ने लिच्छवि राज्य का उल्लेख राजशब्दोपजीवी संघ के रूप में किया है। इसमें शातृक/ ज्ञातृक एक अन्य सदस्य था, जिसका प्रमुख सिद्धार्थ था। ज्ञातृकों के प्रमुख स्थान कुंडग्राम (वैशाली) में सिद्धार्थ के पुत्र महावीर का जन्म 540 ई.पू. में हुआ।
- महावीर की माता त्रिशला लिच्छवि राज्य के प्रमुख चेतक की बहन थी।
- वज्जि संघ का संविधान एवं प्रशासन संघात्मक कुलीनतंत्र की तरह था।
- राजाओं की सभा संस्था कहलाती थी । संस्था में सभी राजाओं के अधिकार समान थे, लेकिन बुजुर्गों को अधिक सम्मान प्राप्त था।
- वज्जि संघ के अंतर्गत ‘वैशाली की नगरवधू’ के पद पर प्रसिद्ध नर्तकी आम्रपाली की नियुक्ति की गई थी जिसका संबंध मगध नरेश बिम्बिसार के साथ था।
16 महाजनपद
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महाजनपद
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राजधानी
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विस्तार
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अंग
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चम्पा
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बिहार में भागलपुर एवं मुंगेर के वर्तमान प्रमंडल तथा झारखंड के साहिबगंज एवं गोड्डा जिलों के कुछ हिस्से
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मगध
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राजगृह/ गिरिव्रज
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वर्तमान पटना और गया के प्रमंडलों वाले जिले
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वज्जि
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वैशाली
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आठ कबीलाई गणराज्यों का संघ, बिहार में गंगा नदी के उत्तर में स्थित था
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मल्ल
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कुशीनगर और पावा
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यह भी एक गणराज्य संघ था जिसमें आधुनिक पूर्वी उत्तर प्रदेश के देवरिया, बस्ती, गोरखपुर और सिद्धार्थनगर जिले आते थे
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काशी
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वाराणसी
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वर्तमान में बनारस का इलाका
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कोशल
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श्रावस्ती
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वर्तमान का फैजाबाद, गोंडा, बहराइच आदि जिले
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वत्स
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कौशाम्बी
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वर्तमान समय के इलाहाबाद और मिर्जापुर आदि जिले इसके अंतर्गत आते थे
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चेदी
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शक्तिमति
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आधुनिक बुंदेलखंड का क्षेत्र
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कुरु
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इंद्रप्रस्थ
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यमुना नदी के पश्चिम में पड़ने वाले इलाके हरियाणा और दिल्ली
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पांचाल
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अहिछत्र
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पश्चिमी उत्तर प्रदेश से यमुना नदी के पूर्व के इलाके
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सुरसेन
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मथुरा
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इसमें आज का ब्रजमंडल क्षेत्र शामिल था
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मत्स्य
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विराटनगर
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इसमें राजस्थान के अलवर, भरतपुर और जयपुर के इलाके शामिल थे
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अवंती
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उज्जैनी/ महिष्मती
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आधुनिक मालवा ( राजस्थान-मध्य प्रदेश) का क्षेत्र
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अश्मक
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पाटन / पोतना
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महाराष्ट्र, नर्मदा और गोदावरी नदियों के बीच
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गांधार
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तक्षशिला/ पुष्कलावती
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इसके अंतर्गत पाकिस्तान के पश्चिमी इलाके और पूर्वी अफगानिस्तान के इलाके आते थे
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कंबोज
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राजपुर/ हाटक
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इसकी पहचान आधुनिक पाकिस्तान के हजारा जिले के तौर पर की गई है
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वैशाली के लिच्छवि गणराज्य
- बिहार में स्थित प्राचीन गणराज्यों में बुद्धकालीन समय में लिच्छवि गणराज्य सबसे बड़ा तथा शक्तिशाली राज्य था।
- दुनिया का पहला गणराज्य वैशाली में लिच्छवियों के द्वारा स्थापित किया गया।
- इस गणराज्य की स्थापना सूर्यवंशीय राजा इक्ष्वाकु के पुत्र विशाल ने की थी, जो कालान्तर में ‘वैशाली’ के नाम से विख्यात हुआ।
- लिच्छवियों ने महात्मा बुद्ध के निर्वाण हेतु महावन में प्रसिद्ध कतागारशाला का निर्माण करवाया था।
- वज्जि संघ के प्रधान राजा चेतक की पुत्री चेलना का विवाह मगध नरेश बिम्बिसार से हुआ था।
- ईसा पूर्व 7वीं सदी में वैशाली के लिच्छवि राज्य राजतंत्र से गणतंत्र में परिवर्तित हो गया। वैशाली राजवंश का प्रथम शासक नमनेदिष्ट था, जबकि अन्तिम राजा सुति या प्रमाति था । इस राजवंश में कुल 24 राजा हुए।
आम्रपाली- यह वैशाली/ लिच्छवी की राजनृत्यांगना एवं परम रूपवती एवं कला प्रवीण गणिका थी। उस युग में राजनर्तकी का पद बड़ा गौरवपूर्ण एवं सम्मानित माना जाता था। संघ में प्रवेश के आग्रह के पश्चात् आम्रपाली को महात्मा बुद्ध ने अपने संघ में भिक्षुणी के रूप में प्रवेश दिया और उसे आर्या अम्बा कहकर संबोधित किया। आम्रपाली बौद्ध संघ में प्रवेश करने वाली दूसरी महिला थी। इसके पहले बौद्ध संघ में प्रवेश करने वाली प्रथम महिला बुद्ध की सौतेली माता/मौसी प्रजापति गौतमी थी।
जीवक- मगध नरेश बिम्बिसार का प्रसिद्ध राजवैद्य जीवक बुद्ध का अनुयायी था। बिम्बिसार ने जीवक को तक्षशिला (कश्मीर) में शिक्षा हेतु भेजा था, जहां उसने आयुर्वेद पर विशद् अध्ययन किया। बाद में यही जीवक एक प्रख्यात चिकित्सक एवं राजवैद्य बना और राजगृह के निकट अंबवन (आम्रोद्यान) में अपना चिकित्सालय खोला जहां महात्मा बुद्ध से उसकी मुलाकात हुई और उनका अनुयायी बन गया। चिकित्सकीय प्रवीणता के कारण ही बिम्बिसार – ने जीवक को अवंती के रोगग्रस्त राजा प्रद्योत की चिकित्सा के लिए भेजा था।
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